Top 10 Polluting Countries: आज के समय में जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। वैज्ञानिकों की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जन इस समस्या का प्रमुख कारण है। विश्व के कई देश इस प्रदूषण में योगदान कर रहे हैं, लेकिन कुछ देशों का योगदान अन्य की तुलना में कहीं अधिक है।
Top 10 Polluting Countries चीन और अमेरिका सबसे आगे-
2022 के आंकड़ों के अनुसार, चीन विश्व का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है, जो प्रति वर्ष लगभग 12,667 मिलियन टन CO₂ का उत्सर्जन करता है। इसका मुख्य कारण वहां की कोयला आधारित बिजली संयंत्र, विनिर्माण उद्योग और परिवहन क्षेत्र है। दूसरे स्थान पर अमेरिका है, जो सालाना 4,854 मिलियन टन CO₂ का उत्सर्जन करता है।
Top 10 Polluting Countries भारत की स्थिति चिंताजनक-
भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक बन गया है, जो प्रति वर्ष लगभग 2,693 मिलियन टन CO₂ का उत्सर्जन करता है। देश के तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण, विकासशील अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के लिए कोयले पर निर्भरता इसके प्रमुख कारण हैं।
The uk isn’t in the top 10 polluting countries in the world, in fact it’s only at number 19!
The UK does NOT need to partake in this whole BS narrative of ‘global warming’🙄🙄🙄 pic.twitter.com/BozFhF3Nu7
— Jouma Sepoes (@i_r_b_r_m) February 13, 2025
हालांकि, भारत सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश बढ़ाया जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को प्रोत्साहित किया जा रहा है और वनीकरण परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
टॉप 10 कार्बन उत्सर्जक देश-
विश्व जनसंख्या समीक्षा के अनुसार, 2022 में शीर्ष कार्बन उत्सर्जक देशों में रूस (1,909 मिलियन टन), जापान (1,083 मिलियन टन), इंडोनेशिया (692 मिलियन टन), ईरान (686 मिलियन टन), जर्मनी (674 मिलियन टन), दक्षिण कोरिया (636 मिलियन टन) और सऊदी अरब (608 मिलियन टन) शामिल हैं।
CO₂ उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत-
जीवाश्म ईंधन का जलना सबसे बड़ा कारण है। परिवहन, हीटिंग और बिजली उत्पादन के लिए कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है। फैक्टरियां, पावर प्लांट और वाहन बड़ी मात्रा में CO₂ वातावरण में छोड़ते हैं। वनों की कटाई भी एक प्रमुख कारण है। पेड़ प्राकृतिक रूप से कार्बन को अवशोषित करते हैं, लेकिन शहरीकरण और कृषि के लिए व्यापक वनों की कटाई से उत्सर्जन बढ़ रहा है।
औद्योगिक गतिविधियों में रासायनिक प्रतिक्रियाएं, विनिर्माण और सीमेंट उत्पादन शामिल हैं। विकसित देशों की औद्योगिक गतिविधियां विश्व के उत्सर्जन में बड़ा योगदान करती हैं। कृषि क्षेत्र से भी मीथेन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। विशेष रूप से पशुपालन से होने वाला उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है।
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वैश्विक सहयोग और टिकाऊ नीतियां-
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और टिकाऊ नीतियों की आवश्यकता है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, वनीकरण और स्वच्छ प्रौद्योगिकी को अपनाकर कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है।
विश्व के सभी देशों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।
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