Saudi Arabia
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    Saudi Arabia: इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सऊदी अरब के रेगिस्तान में भारी बर्फबारी और बारिश हुई है। अगर रिपोट्स की मानें, तो अल जौफ क्षेत्र में हाल ही में भारी बारिश के बाद बर्फबारी हुई है। जिससे इस देश में सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है, जो आमतौर पर अपनी शुष्क जलवायु के लिए जाना जाता है। वहां के निवासियों ने सुबह उठकर पहाड़ों पर सफेद चादर देखी, एक शानदार नजारा सऊदी प्रेस एजेंसी ने, इस बात पर जोर डाला है, कि भारी बारिश के साथ सिर्फ बर्फबारी ही नहीं हुई है, बल्कि झरने भी बने हैं। जिससे घाटियां फिर से जीवंत हो चुकी हैं और क्षेत्र में जीवन का संचार हुआ है।

    बदलाव का प्रतीक (Saudi Arabia)-

    सर्दियों का यह नजारा एक ताजा बदलाव का प्रतीक है, क्योंकि देश सर्दियों में प्रवेश कर रहा है, जो खूबसूरत वसंत ऋतु का अच्छा संकेत है, जिसके लिए अल जौफ प्रसिद्ध है। बसंत के दौरान यह क्षेत्र मौसमी जंगली फूलों से रंग-बिरंगा हो जाता है। जिसमें गुलदाउदी, लैवेंडर और कई तरह के सुगंधित पौधे होते हैं, जो इसकी प्रकृति और सुंदरता को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। हालांकि सऊदी अरब के मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में लगातार खराब मौसम की चेतावनी जारी की। अल जौफ के ज्यादातर हिस्से में बर्फ के साथ बारिश की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं पूर्वानुमान की मानें, तो आगे भी बारिश पड़ सकती है।

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    असामान्य मौसम पैटर्न (Saudi Arabia)-

    इससे विजिबिलिटी कम हो जाएगी, इस तूफान के चलते तेज हवाएं चलने की भी उम्मीद है। जिससे अधिकारियों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई। हालांकि सऊदी अरब ही ऐसा देश नहीं है, जो असामान्य मौसम पैटर्न का सामना कर रहा है। संयुक्त आयुर्वेदिक अरब अमीरात भी इसी तरह की मौसम प्रणाली के प्रभाव में है। 14 अक्टूबर को यूएई में राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कई जगहों पर संभावित बारिश और ओलावृष्टि की संभावना के बारे में एडवाइज़री जारी की थी। यूएई के मौसम विभाग ने इन बदलावों के लिए अरब सागर में ओमान की ओर से बढ़ने वाली निम्न दबाव प्रणाली को ज़िम्मेदार ठहराया है। जिसने पूरे क्षेत्र में मौसम की स्थिति को बदल दिया है।

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    इतिहास में एक अनूठा अध्याय-

    अल जौफ में बर्फबारी न सिर्फ राज्य में जलवायु इतिहास में एक अनूठा अध्याय जोड़ती है। सऊदी अरब में बर्फबारी का होना आम बात नहीं है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। कुछ साल पहले ही सहारा रेगिस्तान के एक शहर में तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था, जिससे भारी बर्फबारी हुई थी। रेगिस्तानी इलाकों में बर्फबारी के पीछे वैज्ञानिक अक्सर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखते हैं। विश्व बैंक के मुताबिक, पश्चिम एशिया जलवायु से संबंधित प्रभावों की वजह से संवेदनशील क्षेत्रों में ऐसा होता है। पूर्वानुमान के मुताबिक, तापमान में वृद्धि हो सकती है, जिससे मौसम के पैटर्न में ज्यादा अनियमित घटना हो सकती है।

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