Viral Video
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    Viral Video: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक सीनियर प्रोफेसर और एक पहले साल का छात्र कक्षा में हिंदू शादी की रस्में निभाते हुए नजर आ रहे हैं। यह घटना पश्चिम बंगाल के मौलाना अबुल कलाम आज़ाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MAKAUT) से संबंधित है। इस वीडियो में प्रोफेसर दुल्हन के कपड़ों में हैं, और छात्र उन्हें वरमाला पहनाते हुए दिखाई दे रहा है। इस वायरल वीडियो ने न केवल विश्वविद्यालय समुदाय को बल्कि पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो कई लोगों ने इसे विश्वविद्यालय के वातावरण में अस्वीकार्य ठहराया।

    Viral Video के पीछे की कहानी-

    कई उपयोगकर्ताओं ने सवाल उठाए, कि क्या एक शैक्षणिक संस्थान में ऐसी परंपराएं निभाना उचित है? इस घटना की गूंज इतनी बढ़ गई, कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने तीन सदस्यीय जांच पैनल का गठन किया है, जो इस घटना की तहकीकात करेगी। वीडियो के बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोफेसर को जांच पूरी होने तक अनधिकृत अवकाश पर जाने के लिए कहा है। छात्र को भी कक्षाओं से दूर रहने की सलाह दी गई है। यह कदम बहुत ज़रुरी था, क्योंकि इस प्रकार की गतिविधियों से विश्वविद्यालय की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

    https://twitter.com/i/status/1884530256586961234

    Viral Video प्रोफेसर ने दी सफाई-

    प्रोफेसर ने अपनी सफाई में कहा, कि यह सब एक मनो-सामाजिक नाटक (psycho-drama) का हिस्सा था, जो उनकी कक्षा के लिए था। उन्होंने यह जोर देकर कहा, कि इस क्रिया का कोई गलत उद्देश्य नहीं था। प्रोफेसर के मुताबिक, ये वीडियो केवल आंतरिक दस्तावेज़ीकरण के लिए थे, लेकिन किसी ने इसे लीक कर दिया, जिससे उनके मनोविज्ञान विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा।

    छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रियाएं-

    इस घटना के बाद, विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है। कुछ छात्रों ने प्रोफेसर का समर्थन किया है, जबकि अन्य ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। एक छात्र ने कहा, "यह हमारे शिक्षकों का काम नहीं है। हमें यहां पढ़ाई करने के लिए भेजा गया है, न कि एंटरटेनमेंट के लिए।" वहीं, एक अन्य छात्र ने कहा, "अगर प्रोफेसर ने इसे एक प्रोजेक्ट के तौर पर किया है, तो हमें उसे समझना चाहिए।"

    MAKAUT के कार्यकारी-

    MAKAUT के कार्यकारी उप-कुलपति, तपस चक्रवर्ती ने प्रोफेसर के स्पष्टीकरण को ध्यान में रखते हुए कहा, कि विश्वविद्यालय को लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर कार्रवाई करनी पड़ी। "उन्होंने स्पष्ट किया, कि यह एक शैक्षणिक प्रोजेक्ट था, जो बाहरी प्रसार के लिए नहीं था। लेकिन चूंकि वीडियो वायरल हो चुका है और विवाद उत्पन्न कर रहा है, हमने उन्हें अवकाश पर जाने के लिए कहा है।

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    जांच पैनल की भूमिका-

    जांच समिति में विभिन्न विभागों से तीन महिला संकाय सदस्य शामिल हैं। उनका कार्य यह निर्धारित करना होगा कि प्रोफेसर के कार्य पूरी तरह से शैक्षणिक थे या फिर इसमें कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की आवश्यकता होगी। यह जांच न केवल प्रोफेसर की प्रतिष्ठा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि विश्वविद्यालय की संपूर्णता के लिए भी।

    इस मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं, जैसे क्या शैक्षणिक संस्थानों को इस प्रकार के प्रयोगों की अनुमति होनी चाहिए? क्या शिक्षा और मनोरंजन के बीच की रेखाएं धुंधली होती जा रही हैं? यह केवल इस एक घटना की बात नहीं है, बल्कि यह विषय हमारे समकालीन शिक्षा प्रणाली पर भी गहरा असर डालता है।

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