Operation Sindoor
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    Operation Sindoor: भारत ने बुधवार तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी कैंपों पर सटीक और निर्णायक कार्रवाई की। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम से की गई इस अभूतपूर्व कार्रवाई में लगभग 70 आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक हमले का जवाब था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों ने अपनी जान गंवाई थी।

    Operation Sindoor सुनियोजित सटीक हमले 25 मिनट में 9 आतंकी ठिकानों का सफाया-

    एनडीटीवी के मुताबिक, सुरक्षा विशेषज्ञों के विश्लेषण के अनुसार, भारतीय सेना द्वारा रात 1:04 बजे शुरू की गई यह कार्रवाई अत्याधुनिक तकनीक और अभूतपूर्व सटीकता का प्रदर्शन थी। 1:30 बजे तक चले इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन के नौ प्रमुख प्रशिक्षण केंद्रों को चिन्हित कर नष्ट किया गया।

    "यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि आतंकी नेटवर्क के मूल ढांचे पर सटीक सर्जिकल स्ट्राइक थी," एक वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक ने बताया। भारतीय सेना द्वारा जारी हाई-रेज़ोल्यूशन वीडियो फुटेज में स्पष्ट दिखाई देता है कि कैसे PoK के कोटली में स्थित मरकज अब्बास आतंकी कैंप को निशाना बनाया गया - जो लश्कर-ए-तैयबा के "आत्मघाती हमलावरों का प्रशिक्षण केंद्र" था, जहां 50 से अधिक आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया जा रहा था।

    Operation Sindoor पिछले हमलों के मास्टरमाइंड्स के ठिकानों का विनाश-

    विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर, भारतीय सेना ने कोटली में गुलपुर कैंप को भी निशाना बनाया, जो नियंत्रण रेखा (LoC) से मात्र 30 किलोमीटर दूर स्थित था। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अप्रैल 2023 के पुंछ हमले के दोषी, जिसमें पांच वीर जवान शहीद हुए थे, और जून 2024 में तीर्थयात्री बस पर हुए जघन्य हमले (जिसमें नौ नागरिकों की मौत हुई थी) के अपराधियों को इसी कैंप में प्रशिक्षित किया गया था।

    "आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ कमांडरों ने इन केंद्रों का उपयोग न केवल प्रशिक्षण के लिए, बल्कि भविष्य के हमलों की योजना बनाने के लिए भी किया," सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ डॉ. राजेश शर्मा ने एक विशेष विश्लेषण में बताया।

    Operation Sindoor पाकिस्तान के गहरे इलाकों में घुसकर की गई कार्रवाई-

    इस ऑपरेशन की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में स्थित प्रमुख आतंकी ठिकानों पर भी सटीक हमले किए। सियालकोट में स्थित सरजल कैंप, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से केवल 6 किलोमीटर दूर है, को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, मार्च 2024 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के चार जांबाज कर्मियों की शहादत के पीछे इसी कैंप में प्रशिक्षित आतंकवादी थे।

    अत्यंत महत्वपूर्ण कार्रवाई में, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख ठिकानों पर भी हमला किया। बहावलपुर, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर अंदर है, वहां उच्च स्तरीय आतंकी कमांडरों का नियमित आवागमन होता था।

    विशेष रूप से चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मुरीदके वह प्रशिक्षण कैंप था जहां 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल अजमल कसाब और इन हमलों के मास्टरमाइंड डेविड हेडली ने अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी - एक ऐसा हमला जिसने पूरे विश्व को दहला दिया था और जिसमें 166 निर्दोष लोगों की जानें गई थीं।

    आतंकी नेटवर्क के संचालन केंद्रों का सफाया-

    गहन खुफिया विश्लेषण के आधार पर, सियालकोट में स्थित महमूना जया कैंप, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 12 से 18 किलोमीटर के भीतर है, को भी निशाना बनाया गया। यह हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था और सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, कठुआ-जम्मू क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों का "मास्टर कंट्रोल सेंटर" था।

    "इन केंद्रों का विनाश आतंकी संगठनों के संचार और कमांड नेटवर्क को गहरा झटका है," पूर्व सेना अधिकारी और रक्षा विश्लेषक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार ने एक विशेष विश्लेषण में बताया।

    मुजफ्फराबाद में स्थित स्वाई नाला कैंप, जो तंगधार सेक्टर में LoC से 30 किलोमीटर की दूरी पर था और लश्कर-ए-तैयबा की एक प्रमुख प्रशिक्षण सुविधा थी, पर भी सटीक हमला किया गया। इसी तरह, मुजफ्फराबाद में स्थित सैयदना बिलाल कैंप, जहां आतंकवादियों को उन्नत हथियार प्रशिक्षण, विस्फोटक निर्माण और जंगल युद्ध कौशल सिखाए जाते थे, को भी पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया।

    भारतीय सेना के विशेष बलों ने भीमबेर में बरनाला कैंप, जो LoC से मात्र 9 किलोमीटर दूर स्थित था, को भी अपने निशाने पर लिया। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह कैंप आतंकवादियों को उन्नत हथियार प्रशिक्षण, IED निर्माण और छिपकर हमला करने जैसी तकनीकों में महारत हासिल करवाता था।

    "सोची-समझी, सीमित और न्यायोचित कार्रवाई"-

    'ऑपरेशन सिंदूर' पर आयोजित विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की उपस्थिति में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई "अत्यंत आवश्यक" थी ताकि पहलगाम हमले के अपराधियों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके।

    "हमारी कार्रवाई सोची-समझी, गैर-उत्तेजक, न्यायोचित और जिम्मेदारीपूर्ण रही है। इसका लक्ष्य मुख्य रूप से आतंकवादी इंफ्रास्ट्रक्चर को निष्क्रिय करना और उन आतंकवादियों को रोकना था जिन्हें भारत में भेजे जाने की तैयारी थी," मिस्री ने स्पष्ट किया।

    उन्होंने आगे चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हमलों के बाद पूरे पखवाड़े बीत जाने के बावजूद, पाकिस्तान की ओर से अपने क्षेत्र या अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में आतंकवादी संरचनाओं के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके विपरीत, वह लगातार इनकार और निराधार आरोपों में ही व्यस्त रहा है।"

    उन्होंने खुफिया जानकारी का हवाला देते हुए कहा, "पाकिस्तान आधारित आतंकवादी नेटवर्क की हमारी विस्तृत निगरानी से स्पष्ट संकेत मिल रहे थे कि भारत के खिलाफ अतिरिक्त हमलों की योजना बनाई जा रही थी। इसलिए हमें इन्हें रोकने और पहले ही निष्प्रभावी करने की अनिवार्यता थी।"

    भारत का नया दृष्टिकोण-

    रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद के खिलाफ भारत की बदली हुई रणनीति का प्रतीक है। यह सिर्फ पहलगाम हमले का जवाब नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई करने को तैयार है।

    अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर अनिल गुप्ता के अनुसार, "यह ऑपरेशन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ दर्शाता है। यह प्रतिक्रियात्मक से अधिक सक्रिय दृष्टिकोण की ओर बदलाव है।"

    विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन में महिला अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी वरिष्ठ महिला अधिकारियों ने न केवल ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल होकर भारतीय सेना में महिलाओं के बढ़ते योगदान और क्षमता का प्रदर्शन किया।

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    अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया और आगे की राह-

    विश्व के कई देशों ने इस कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जहां कई देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है, वहीं कुछ ने संयम बरतने की अपील की है। हालांकि, अधिकांश देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ एकजुटता दिखाई है।

    सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई आतंकवादी संगठनों को गहरा झटका देगी और उनकी भविष्य की योजनाओं को बाधित करेगी। साथ ही, यह पाकिस्तान पर भी दबाव बनाएगी कि वह अपनी धरती पर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करे।

    निष्कर्ष में, 'ऑपरेशन सिंदूर' भारत की आतंकवाद-विरोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह संदेश देता है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाने को तैयार है, और आतंकवाद के खिलाफ अब वह सीधी और प्रभावी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।

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