Viral Video
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    Viral Video: दिल्ली में एक उबर कैब ड्राइवर और तीन महिला यात्रियों के बीच किराए को लेकर हुए विवाद का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह घटना 1 मई, 2025 को घटी, जब पटपड़गंज से मारुति विहार के लिए बुक की गई राइड के दौरान यात्रियों ने बीच रास्ते में कैब रोकने की मांग की और फिर सफर के लिए भुगतान करने से इनकार कर दिया।

    वीडियो में साफ दिख रहा है कि महिलाएं अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले कैब रोकने को कहती हैं। जब ड्राइवर ने तय किए गए रास्ते के लिए भुगतान की मांग की, तो दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। वीडियो में एक महिला को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "कैंसल कर और निकल," जबकि ड्राइवर भुगतान पर जोर देता रहा।

    Viral Video "मैं आपको जहां चाहें वहां छोड़ने को तैयार हूं"-

    वीडियो रिकॉर्ड कर रहे ड्राइवर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह उन्हें जहां चाहें वहां छोड़ने को तैयार है। हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब महिलाओं ने ड्राइवर पर अनादरपूर्ण तरीके से बात करने का आरोप लगाया, यह दावा करते हुए कि उसने उन्हें "तू" कहकर संबोधित किया - जिसे अक्सर अनौपचारिक माना जाता है। ड्राइवर ने इस आरोप से इनकार किया।

    "मैंने आपको कभी तू नहीं कहा, मैं हमेशा आप कहकर ही बात करता हूं," ड्राइवर को अपना पक्ष रखते हुए सुना जा सकता है। बातचीत और भी तीखी हो गई जब महिलाओं ने जोर देकर कहा कि वे किराया सीधे ड्राइवर को नहीं, बल्कि केवल एप के माध्यम से ही देंगी। जवाब में, ड्राइवर को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "मुझे CNG ऐप भरके देगा क्या?" - अगर राइड कैंसल होती है तो संभावित नुकसान पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए।

    Viral Video सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं-

    वीडियो के वायरल होने के बाद से, X पर इस घटना पर व्यापक चर्चा छिड़ गई है, जिसमें उपयोगकर्ता इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं। कई लोगों ने यात्रियों के व्यवहार की आलोचना की है, विशेष रूप से प्रदान की गई सेवाओं के लिए भुगतान करने से इनकार करने के संबंध में। एक यूजर ने लिखा, "ये कस्टमर नहीं फ्रीलोडर हैं।"

    एक अन्य ने कहा, "गरीब मेहनतकश लोगों का शोषण हो रहा है।" एक तीसरे व्यक्ति ने टिप्पणी की, "जल्द ही आप देखेंगे कि उबर और ओला से कैश पेमेंट का विकल्प हट जाएगा। यह केवल भारत में है और देखिए इसका कैसे दुरुपयोग किया जाता है।"

    Viral Video कैब ड्राइवरों की आर्थिक चुनौतियां-

    इस तरह की घटनाएं कैब ड्राइवरों के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों को उजागर करती हैं। दिल्ली जैसे महानगरों में, जहां ईंधन की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, ड्राइवरों के लिए हर सवारी महत्वपूर्ण होती है। जब यात्री बीच में राइड कैंसल करते हैं या भुगतान से इनकार करते हैं, तो इससे ड्राइवरों की दैनिक आय पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

    "हम रोज़ाना 12-14 घंटे काम करते हैं और फिर भी मुश्किल से गुज़ारा होता है। अगर हर दिन एक-दो राइड ऐसे ही कैंसल हो जाएं तो हमारा क्या होगा?" दिल्ली के एक अन्य कैब ड्राइवर रमेश ने कहा, जो इसी तरह की समस्याओं का सामना करते हैं।

    प्लेटफॉर्म पॉलिसी और यात्री जिम्मेदारी-

    ऐप-आधारित राइड-हेलिंग सेवाओं ने यात्रा के तरीके को आसान बनाया है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी आई हैं। उबर जैसे प्लेटफॉर्म की नीतियों के अनुसार, अगर कोई यात्री बीच में यात्रा रद्द करता है, तो भी उसे तय की गई दूरी के लिए भुगतान करना होता है।

    "हमारी नीति स्पष्ट है कि यात्रियों को उस दूरी का भुगतान करना चाहिए जो उन्होंने तय की है, भले ही वे अपने अंतिम गंतव्य तक न पहुंचे हों," एक राइड-शेयरिंग एक्सपर्ट ने बताया। "यह ड्राइवरों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है, जो अक्सर कम मार्जिन पर काम करते हैं।"

    मामले ने उठाए कई सवाल-

    जबकि इस घटना में शामिल लोगों की पहचान अभी तक अज्ञात है, वीडियो व्यापक रूप से प्रसारित होना जारी है। उबर की ओर से अभी तक इस यात्रा से जुड़ा कोई बयान नहीं आया है। इस घटना ने एक बार फिर भारत के शहरी केंद्रों में राइड-हेलिंग ड्राइवरों और यात्रियों के बीच जटिल संबंधों पर ध्यान आकर्षित किया है।

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    क्या राइड-शेयरिंग कंपनियों को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए? क्या ड्राइवरों और यात्रियों के बीच के विवादों को सुलझाने के लिए बेहतर तंत्र की आवश्यकता है? ये ऐसे सवाल हैं जिन पर सभी हितधारकों को विचार करना चाहिए।

    यह घटना इस बात का प्रमाण है कि हमारे डिजिटल युग में भी, मानवीय संवाद और सम्मान की आवश्यकता बनी हुई है। चाहे वह ड्राइवर हो या यात्री, सभी को एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए और नियमों का पालन करना चाहिए।

    जैसे-जैसे शेयरिंग इकोनॉमी बढ़ती जा रही है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इसमें शामिल सभी पक्षों के हितों की रक्षा हो। तभी हम एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बना पाएंगे जो सभी के लिए न्यायसंगत और टिकाऊ हो।

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