E-waste Recycling Scheme: बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने देश के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार ने 1500 करोड़ रुपये की एक स्पेशल स्कीम को अप्रूव किया है, जो ई-वेस्ट और बैटरी वेस्ट के रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देगी। इस स्कीम का मकसद भारत में क्रिटिकल मिनरल्स निकालना है. जो आज के जमाने में सोने से भी कीमती हैं। यह योजना नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन का हिस्सा है और इसका मतलब है, कि अब हमारे पुराने फोन, लैपटॉप और बैटरियों में छुपे कीमती खनिजों को वापस इस्तेमाल किया जा सकेगा।
क्यों जरूरी है यह स्कीम-
इंडिया टूडे के मुताबिक, सरकार ने समझाया है, कि नई मिनिंग साइट्स को शुरू करने में काफी वक्त लगता है और यह बहुत महंगा भी होता है। लेकिन ई-वेस्ट, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप और पुराने वाहनों के कैटेलिटिक कन्वर्टर जैसे सेकेंडरी सोर्स से रीसाइक्लिंग करना एक क्विक और इफेक्टिव तरीका है। आजकल हमारे घरों में पुराने मोबाइल फोन, लैपटॉप, टेबलेट और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामान का ढेर लगा रहता है। इन सबमें रेयर अर्थ मेटल्स, लिथियम, कोबाल्ट जैसे महंगे एलिमेंट्स छुपे होते हैं, जो क्लीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर के लिए बेहद जरूरी हैं।
छह साल तक चलेगी यह योजना-
यह स्कीम 2031 यानी छह साल तक चलेगी। इसमें नई यूनिट्स के साथ-साथ मौजूदा यूनिट्स के एक्सपेंशन या मॉडर्नाइजेशन भी कवर होंगे। सबसे अच्छी बात यह है, कि कुल बजट का एक तिहाई हिस्सा स्टार्ट-अप्स और छोटे रीसाइक्लर्स के लिए रिजर्व किया गया है।
कितनी मिलेगी सब्सिडी-
इस स्कीम के तहत कंपनियों को अच्छे-खासे इंसेंटिव्स मिलेंगे। अगर कोई कंपनी तय समय में प्रोडक्शन शुरू कर देती है, तो उसे प्लांट और मशीनरी पर 20 फीसदी कैपिटल सब्सिडी मिलेगी। इसके अलावा सेल्स ग्रोथ से जुड़ी ऑपरेशनल सब्सिडी भी दी जाएगी। हालांकि, बड़ी कंपनियों को अधिकतम 50 करोड़ रुपये और छोटी कंपनियों को 25 करोड़ रुपये तक का इंसेंटिव मिल सकेगा।
कितना फायदा होगा देश को-
सरकार की एक्सपेक्टेशन के अनुसार, इस स्कीम से कम से कम 2.7 लाख टन सालाना रीसाइक्लिंग कैपेसिटी डेवलप होगी। इससे हर साल करीब 40 हजार टन क्रिटिकल मिनरल्स मिलेंगे। यह मात्रा भले ही कम लगे, लेकिन इंटरनेशनल मार्केट में इन मिनरल्स की कीमत बहुत ज्यादा है। प्रोजेक्शन के अनुसार, यह स्कीम लगभग 8000 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट अट्रैक्ट करेगी।
रोजगार के नए अवसर-
सबसे बड़ी बात यह है, कि इस स्कीम से करीब 70 हजार डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब्स क्रिएट होंगी। यह उन युवाओं के लिए बेहतरीन खबर है, जो टेक्निकल फील्ड में काम करना चाहते हैं। रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री में इंजीनियर, टेक्नीशियन, ऑपरेटर, सेल्स पर्सन और दूसरे कई तरह के प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है।
इंडस्ट्री की राय भी ली गई-
ऑफिशियल्स ने बताया, कि स्कीम को फाइनल करने से पहले इंडस्ट्री प्लेयर्स और स्टेकहोल्डर्स के साथ बहुत सारी कंसल्टेशन्स हुई हैं। यह एप्रोच दिखाती है, कि सरकार ने ग्राउंड रियलिटी को समझते हुए इस पॉलिसी को बनाया है। कंपनियों की फीडबैक और सुझावों को ध्यान में रखकर ही यह स्कीम तैयार की गई है।
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पर्यावरण को भी होगा फायदा-
इस स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ई-वेस्ट की समस्या कम होगी और एनवायरनमेंट को भी फायदा होगा। अब तक हमारे घरों और ऑफिसेस में जमा होने वाले पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामान को सही तरीके से डिस्पोज करने की व्यवस्था बनेगी। साथ ही देश की डिपेंडेंसी इंपोर्ट्स पर कम होगी और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
यह स्कीम भारत को सर्कुलर इकॉनमी की तरफ ले जाने में मदद करेगी, जहां कुछ भी वेस्ट नहीं होता, बल्कि हर चीज को रीयूज किया जाता है। यह फ्यूचर की जरूरत है और सरकार ने सही वक्त पर सही कदम उठाया है।
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