Only Cash, No UPI: भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरु में एक अजीब सा नजारा दिखाई दे रहा है, जो शहर कभी डिजिटल भारत की मिसाल था, वहीं अब छोटे दुकानदार और विक्रेता “Only Cash, No UPI” के बोर्ड लगा रहे हैं। यह रुझान सुनने में जितना अजीब लग रहा है, उसकी वजह उससे भी ज्यादा चिंताजनक है।
जीएसटी नोटिसेस ने मचाई हड़कंप-
टाइम्स नाउ के मुताबिक, बेंगलुरु के हजारों छोटे व्यापारियों को हाल ही में जीएसटी नोटिसेस मिले हैं। रेहड़ी-पटरी वाले से लेकर पान-सिगरेट की दुकानों तक, सभी को लाखों रुपए का टैक्स नोटिस आया है। बेंगलुरु स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव विनय के श्रीनिवासा के अनुसार, इन अचानक आए नोटिस से विक्रेताओं में डर फैल गया है।
उन्हें लगता है, कि यूपीआई लेनदेन की वजह से वे कर अधिकारियों की नजर में आ गए हैं। यह स्थिति इतनी गंभीर है, कि छोटे व्यापारी अब नगर निगम से बेदखली के डर में रहते हैं। उनका मानना है, कि डिजिटल पेमेंट से बचकर वे अपने आप को टैक्स परेशानी से बचा सकते हैं। लेकिन क्या यह सही समाधान है?
क्या है जीएसटी का कानून?
जीएसटी नियमों के अनुसार, अगर किसी व्यवसाय का वार्षिक टर्नओवर 40 लाख रुपए से ज्यादा है, सामान के लिए या 20 लाख रुपए से ज्यादा है सेवाओं के लिए, तो उसे जीएसटी पंजीकरण करवाना जरूरी है। व्यावसायिक कर विभाग का कहना है, कि नोटिस सिर्फ उन विक्रेताओं को भेजे गए हैं, जिनके यूपीआई लेनदेन के आंकड़े से लगता है, कि उनका टर्नओवर इन सीमाओं से ज्यादा है।
अधिकारियों का कहना है, कि ऐसे व्यवसायों को कानूनी रूप से पंजीकरण करना चाहिए और अपनी करयोग्य आय की रिपोर्ट करनी चाहिए। लेकिन यहां समस्या यह है, कि क्या सिर्फ यूपीआई लेनदेन के आधार पर टर्नओवर का अनुमान लगाना सही है?
Only Cash No UPI खामियां-
कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त एचडी अरुण कुमार का कहना है, कि कर अधिकारी सिर्फ डिजिटल लेनदेन के आधार पर टर्नओवर मान नहीं सकते। उनके शब्दों में, “जीएसटी अधिकारी बस यूं ही कोई भी आंकड़ा टर्नओवर के रूप में नहीं बता सकते।” यह एक महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि जीएसटी कानूनों के तहत सबूत का बोझ अधिकारियों पर होता है। एक पूर्व जीएसटी क्षेत्रीय अधिकारी ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है।
उनका कहना है, कि “सभी यूपीआई क्रेडिट व्यावसायिक आय नहीं दर्शाते।” कई बार ये अनौपचारिक कर्ज या परिवार और दोस्तों से मिली राशि हो सकती है। इस तरह से हर यूपीआई क्रेडिट को व्यावसायिक आय मानना गलत है। दरअसल, कर्नाटक के कर अधिकारियों पर 2025-26 के लिए 1.20 लाख करोड़ रुपए का राजस्व संग्रह का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक तरफ 52,000 करोड़ रुपए की कल्याणकारी गारंटियों को वित्तपोषित करने के दबाव में हैं, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक राज्य भर में बुनियादी ढांचे की फंडिंग की मांग बढ़ा रहे हैं।
ये भी पढ़ें- Amazon Sale में Samsung S24 Ultra पर ₹60,000 की जबरदस्त छूट, कैशबैक और एक्सचेंज ऑफर भी साथ
डिजिटल भारत का भविष्य खतरे में?
यह स्थिति सिर्फ बेंगलुरु की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी का संकेत है। जब छोटे व्यापारी डिजिटल पेमेंट से डरने लगें, तो डिजिटल इंडिया मिशन पर सवाल खड़े होते हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए, कि कर अनुपालन और डिजिटल अपनाने के बीच उचित संतुलन हो। विक्रेताओं और छोटे व्यापारियों को यह समझना चाहिए, कि सिर्फ नकद लेनदेन से बचकर वे अपनी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते। बल्कि उन्हें उचित कर सलाहकारों से सलाह लेकर अपनी वास्तविक स्थिति समझनी चाहिए।
ये भी पढ़ें- साल की सबसे बड़ी सेल! iPhone से लेकर Samsung तक मिल रहा धांसू डिस्काउंट