Ganga Dussehra 2025: हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक गंगा दशहरा इस साल 5 जून 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व मां गंगा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और इसे गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार इसी दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पावन पर्व मनाया जाता है।
मां गंगा को जीवित देवी माना जाता है जो आज भी हमारे बीच एक पवित्र नदी के रूप में विराजमान हैं। भारत भर में लाखों श्रद्धालु इस दिन गंगा घाटों पर पहुंचकर मां गंगा का आशीर्वाद लेने के लिए पवित्र स्नान करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
Ganga Dussehra 2025 का शुभ मुहूर्त-
इस साल गंगा दशहरा के लिए दशमी तिथि 4 जून की रात 11 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 6 जून की सुबह 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। व्यतिपात योग 5 जून की सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 6 जून की सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। हस्त नक्षत्र का समय 5 जून की सुबह 3 बजकर 35 मिनट से 6 जून की सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह समय अत्यंत शुभ माना जा रहा है।
Ganga Dussehra 2025 का धार्मिक महत्व-
हिंदू पुराणों के अनुसार राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के कारण मां गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरी थीं। कहा जाता है कि गंगा के वेग को सहने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को धारण किया था। तब जाकर गंगा धरती पर प्रवाहित हुईं और राजा भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार हुआ।
मां गंगा को मोक्षदायिनी माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार गंगा में स्नान करने से न केवल शारीरिक शुद्धता मिलती है बल्कि मन और आत्मा भी पवित्र हो जाती है। यह माना जाता है कि गंगा स्नान से सभी नकारात्मक भावनाओं का नाश हो जाता है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
कैसे करें गंगा दशहरा की पूजा-
गंगा दशहरा के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर हरिद्वार, प्रयागराज, ऋषिकेश और काशी जैसे पवित्र स्थानों पर जाकर गंगा में स्नान करते हैं। स्नान से पहले सूर्य भगवान की पूजा करने की परंपरा है। इसके बाद गंग मैया को फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करते हैं। गंगा स्नान के समय मंत्र जाप का विशेष महत्व है। “ॐ गं गंगायै नमः” मंत्र का जाप करते हुए स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद गंगा जी से अपने और अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करनी चाहिए।
शाम की गंगा आरती का विशेष महत्व-
गंगा दशहरा के दिन शाम के समय गंगा घाटों पर दीप दान की परंपरा है। भक्त देसी घी से दीया जलाकर गंगा में प्रवाहित करते हैं। यह माना जाता है कि दीप दान से मां गंगा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। शाम के समय गंगा आरती का आयोजन होता है जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेते हैं। इस समय पूरे गंगा घाट दीयों की रोशनी से जगमगा उठते हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश में होने वाली गंगा आरती देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होती है।
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घर पर भी कर सकते हैं गंगा पूजा-
जो लोग गंगा घाट तक नहीं जा सकते, वे घर पर भी गंगा दशहरा का पर्व मना सकते हैं। घर में गंगाजल रखकर उसकी पूजा करें। कलश में गंगाजल रखकर उस पर फूल चढ़ाएं और दीप जलाकर आरती करें। गंगा चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। गरीबों को भोजन कराना, कपड़े दान करना और ब्राह्मणों को दक्षिणा देना शुभ फलदायी होता है। मां गंगा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
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