Kirti Mandir
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    Kirti Mandir: ब्रज की पवित्र भूमि पर स्थित कीर्ति मंदिर एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जो भक्ति, कला और मानवता की सेवा का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। बरसाना धाम के रंगीली महल में स्थित यह मंदिर दुनिया का पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां श्री राधा रानी के दिव्य बाल स्वरूप के दर्शन होते हैं। यहां राधा रानी अपनी माता कीर्ति मैया की गोद में प्रेम से विराजमान हैं। यह दृश्य न केवल मन को मोह लेता है बल्कि भक्तों के दिलों में वात्सल्य भाव की गंगा बहा देता है।

    बसंत पंचमी के शुभ दिन इस मंदिर का उद्घाटन हुआ था। इस मंदिर की कल्पना जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने की थी और उनकी पुत्रियों तथा जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं – विशाखा त्रिपाठी, श्यामा त्रिपाठी और कृष्णा त्रिपाठी के अथक प्रयासों से यह सपना साकार हुआ। इन तीनों बहनों ने अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की और आज यह मंदिर ब्रज की शान बन गया है।

    Kirti Mandir वास्तुकला का अदभुत नमूना-

    कीर्ति मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना भी है। बारह साल की कड़ी मेहनत से तैयार हुए इस ८०,००० वर्ग फुट के मंदिर में नागर और द्रविड़ दोनों स्थापत्य शैलियों का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। सबसे खास बात यह है कि इस पूरे मंदिर के निर्माण में सीमेंट या स्टील का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया गया है। यह पारंपरिक भारतीय निर्माण तकनीक का एक जीवंत उदाहरण है।

    मंदिर की बाहरी दीवारें गुलाबी बलुआ पत्थर से बनी हैं, जिन पर कुशल कारीगरों ने अपनी कलाकारी का बेहतरीन नमूना पेश किया है। हर एक नक्काशी में एक कहानी छुपी है, हर एक डिजाइन में भक्ति की सुगंध है। अंदरूनी हिस्सा इतालवी कैरारा संगमरमर से सजाया गया है, जिसमें कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों की जड़ाई की गई है। यह सब देखकर लगता है जैसे स्वर्ग का कोई हिस्सा धरती पर उतर आया हो।

    Kirti Mandir पवित्र ग्रंथों का जीवंत रूप-

    इस मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यहां जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की रचनाओं ‘राधा गोविंद गीत’ और ‘श्यामा श्याम गीत’ के ३८ भक्ति दोहे संगमरमर में जड़े गए हैं। यह एक अनूठा प्रयोग है जहां पवित्र ग्रंथ स्वयं मंदिर की संरचना का हिस्सा बन गए हैं। भक्त जब इन दोहों को पढ़ते हैं तो उनके दिल में भक्ति की लहर उठती है और आंखों में आंसू आ जाते हैं।

    गर्भगृह में मुख्य मूर्ति माता कीर्ति की गोद में बैठी बाल राधा की है, जो दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलती। इसके साथ ही यहां श्री सीता राम और श्री राधा कृष्ण की मूर्तियां भी स्थापित हैं। राधा रानी की आठ प्रमुख सखियों, अष्टमहासखियों की मूर्तियां भी पास में ही विराजमान हैं। पूरा माहौल इतना दिव्य है कि लगता है जैसे वृंदावन की लीलाएं यहीं हो रही हों।

    वात्सल्य भाव का अनुपम केंद्र-

    इस मंदिर का डिजाइन और आध्यात्मिक महत्व माता कीर्ति के वात्सल्य भाव को दर्शाता है। शास्त्रों के अनुसार, माता कीर्ति और वृषभानु जी ने राधा रानी के माता-पिता बनने का दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए ४३ लाख वर्षों तक तपस्या की थी। यह समर्पण और भक्ति का अनुपम उदाहरण है जो आज भी भक्तों को प्रेरणा देता है।

    मंदिर की दीवारों पर राधा रानी की सखियों के साथ लीलाओं के जीवंत चित्र बने हैं। श्री कृष्ण की प्रेम भरी दृष्टि के चित्र भी यहां देखे जा सकते हैं। कहा जाता है कि मंदिर के शिखर से राधा नाम की ध्वनि पूरे ब्रह्मांड में गूंजती रहती है, जो दुनिया भर के साधकों के लिए एक प्रकाशस्तंभ का काम करती है।

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    सेवा की अनूठी परंपरा-

    कीर्ति मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान नहीं है, बल्कि यह मानवता की सेवा का भी केंद्र है। मंदिर के पास ही जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय स्थित है, जो गरीब और जरूरतमंद लोगों को १००% मुफ्त चिकित्सा सेवा प्रदान करता है। यह सेवा बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए उपलब्ध है।

    मंदिर के उद्घाटन के समय ५०,००० से अधिक ग्रामीणों को आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया गया था। यह सेवा की परंपरा आज भी जारी है। नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं और विभिन्न सहायता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। यह दिखाता है कि सच्ची भक्ति में मानवता की सेवा भी शामिल है।

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