Mauni Amavasya 2025: हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या को एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस साल यह पवित्र त्यौहार 29 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा, जो माघ माह की अमावस्या तिथि पर पड़ेगा। यह दिन न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शुद्धि का भी प्रतीक है। आज हम आपको मौनी अमावस्या के महत्व, पूजा विधि और इस दिन रखे जाने वाले व्रत के बारे में बताने वाले हैं। आईए इसके बारे में जानते-
मौनी अमावस्या का महत्व (Mauni Amavasya 2025)-

संस्कृत भाषा में "मौन" शब्द गहरा आध्यात्मिक अर्थ रखता है। मौनी अमावस्या पर लोग मौन व्रत धारण करते हैं, जिसका उद्देश्य आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक अनुशासन को बढ़ावा देना होता है। इस दिन लोग अपने विचारों को शांत करके, बाहरी शोर से दूर और अपने आंतरिक स्व से जुड़ने का प्रयास करते हैं। इसके साथ ही इस साल यानी 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित हो रहा है, जिससे इस बार मौनी अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है।
त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से न सिर्फ पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आत्मा की पवित्रता भी बढ़ती है। हिंदू परंपरा में गंगा स्नान को सबसे पवित्र कर्म माना जाता है, जो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
पूजा विधि-

मौनी अमावस्या पर कई धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां की जाती हैं, पहला, सुबह-सुबह पवित्र नदी में स्नान करना। यह स्नान न सिर्फ शारीरिक शुद्धि देता है, बल्कि आत्मिक परिशोधन भी करता है। दूसरा, कठोर उपवास। कई श्रद्धालु पूरे दिन उपवास रखते हैं, जिसमें कुट्टू, आलू, सामा खीर जैसे विशेष व्यंजन शामिल हैं। वहीं तीसरा, पितृ तर्पण, इसमें पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना एक महत्वपूर्ण रीति है।

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दान का महत्व-
इसके साथ ही मौनी अमावस्या पर दान-पुण्य का बहुत महत्व माना जाता है। इसमें जरूरतमंदों को भोजन कराना, धार्मिक संस्थाओं को दान देना पुण्य कर्म माना जाता है। यह दिन एक धार्मिक त्यौहार से कहीं ज़्यादा है। यह आत्म-अनुशासन, आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है। मौन के माध्यम से व्यक्ति अपने आंतरिक संघर्षों को समझ सकता है और आत्म-शुद्धि की ओर अग्रसर हो सकता है। वहीं मौनी अमावस्या एक ऐसा पवित्र दिन है, जो हमें खुद से आंतरिक रुप से जुड़ने, पापों से मुक्ति पाने और आध्यात्मिक विकास की राह पर चलने का मौका देता है।
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