Mamta Kulkarni
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    Mamta Kulkarni: किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने महामंडलेश्वर लक्ष्मीनरायन त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी को अखाड़े से बहिष्कृत करने का फैसला किया है। ऋषि अजय दास की यह घोषणा, अखाड़े के प्रतिष्ठान और परंपराओं को खतरे में डाल रही है, जिसने लंबे समय से कुम्भ मेला और अन्य बड़े धार्मिक उत्सवों में भाग लिया है।

    किन्नर अखाड़ा एक प्रमुख धार्मिक संस्था है, जो भारतीय समाज में अपनी विशेषता के लिए जानी जाती है। यह अखाड़ा ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। ऋषि अजय दास ने अपने बयान में कहा है, कि लक्ष्मीनरायन त्रिपाठी ने अपने कार्यों से अखाड़े की प्रतिष्ठा को कमजोर किया है और उन्हें उनके पद से हटाया जा रहा है।

    लक्ष्मीनरायन त्रिपाठी का निष्कासन (Mamta Kulkarni)-

    ऋषि अजय दास का यह बयान, त्रिपाठी के निष्कासन से जुड़े विवाद की शुरुआत है। त्रिपाठी को किन्नर अखाड़ा में एक महत्वपूर्ण पद मिला था, लेकिन उनके कार्यों से अखाड़े के अन्य सदस्यों ने उन्हें अलग करने की बात कही। ऋषि अजय दास ने अपने बयान में कहा है, कि त्रिपाठी ने अखाड़े की परंपराओं का पालन नहीं किया और उन्होंने जुना अखाड़ा के साथ एक विवादित समझौता किया।

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    Mamta Kulkarni महामंडलेश्वर-

    कुछ समय पहले ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनने की घोषणा की गई थी। लेकिन ममता की फैमली बैग्राउंड और उनके पिछले मुकदमों के कारण, उनके इस पद पर आने पर सवाल उठाए गए। ऋषि अजय दास ने कहा है, कि महामंडलेश्वर का पद अखाड़े के नियमों के अनुसार दिया जाना चाहिए, लेकिन ममता के मामले में यह नियमों को तोड़ा गया है।

    संस्था के माध्यम से समाज में प्रभाव-

    किन्नर अखाड़ा एक प्रमुख धार्मिक संस्था है, जो अपने करिश्माई कार्यों के लिए जानी जाती है। यह अखाड़ा किन्नर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो उनके अधिकारों की रक्षा कर सकता है और उन्हें समाज में एक स्थान दिला सकता है। ऋषि अजय दास के इस निष्कासन ने अखाड़े की प्रतिष्ठा को कमजोर करने के साथ-साथ समाज में एक बड़ा विवाद भी खड़ा कर दिया है।

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    विवाद और आलोचना-

    ऋषि अजय दास के इस बयान के बाद, किन्नर अखाड़ा के कई अन्य सदस्यों ने उन्हें अपने निर्णयों के लिए निंदा की। उन्होंने कहा है, कि त्रिपाठी और ममता के निष्कासन से अखाड़े की प्रतिष्ठा कमजोर होगी और समाज में एक बड़ा विभाजन हो सकता है। लेकिन ऋषि अजय दास ने कहा है, कि उन्होंने यह निर्णय लिया है, जिससे अखाड़े की प्रतिष्ठा और परंपराओं को बनाए रखा जा सके।

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