Indian Temple: भारत में बहुत से देवी-देवतीओं के मंदिर हैं, जो अलग-अलग कारणों से प्रसिद्ध हैं। जहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। सभी मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यता हैं और अपनी कहानियाम है। हर मंदिर की स्थापना के पीछे एक कहानी है, जो काफी प्रचलित होती हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, लेकिन हम आज जिस मंदिर की बात कर रहे हैं उसकी एक खासियत है और वह यह है कि यह दुनिया का एकलौता ऐसा मंदिर है जहां ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों ही मौजूद है और इसकी एक दिलचस्प कहानी भी है आईए विस्तार से जानते हैं-
बाबा बैद्यनाथ धाम Indian Temple-
यह मंदिर बाबा बैद्यनाथ धाम नाम से प्रसिद्ध है, यह मंदिर बिहार से सटे झारखंड में मौजूद है। यहां पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों ही मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर माता सती का हृदय गिरा था। तभी यहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। इसके साथ ही यहां ज्योतिर्लिंग के पीछे एक दिलचस्प कहानी है।
शिवलिंग की स्थापना की कहानी-
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को अपने साथ अपने महल में हमेशा के लिए ले जाने के लिए रावण ने भगवान शिव को अपने दशों सिरों को काट कर अर्पित कर दिया था, जैसा की हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव भोले हैं और उन्हें प्रसन्न करना आसान है। इसी तरह भगवान शिव प्रसन्न हुए और उनके दसों सिर को ठीक कर दिया है, साथ ही उन्हें वर मांगने के लिए कहा तभी रावण ने सोचा कि यह तो बहुत बड़े वैद हैं, जिन्होंने कटे हुए सिरों को ठीक कर दिया।
क्यों ना में इन्हें ही अपने साथ ले जाऊं, जिसके बाद रावण ने भगवान शिव से वर मांगा कि वह हमेशा के लिए उसके साथ उसके महल में रहें। इसके बाद भगवान शिव ने वरदान दिया और कहा कि इस शिवलिंग को अपने साथ ले जाओ, लेकिन शर्त यह है कि इसे तुम्हें कही ज़मीन पर नहीं रखना है। शिवलिंग को जहां रख दिया जाएगा, वह वहीं स्थापित हो जाएगा।
लेकिन सभी देवताओं ने सोचा कि अगर ऐसा हुआ तो दुनिया का क्या होगा, इसके बाद सभी देवताओं ने ठाना कि कुछ भी करके रावण को ऐसा करने से रोकना है। ऐसा कहा जाता है कि रावण को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने एक ग्वाले का रुप धारण किया और गुरुण देव जाकर रावण के पेट में समा गए। जिसके कारण रावण को लघुशंका जाना पड़ा, तभी राव ग्वाले को शिवलिंग पकड़ाकर चला गया और कहा कि इसे नीचे ना रखें।
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समापन-
लेकिन रावण को आने में बहुत ज्यादा समय लगा, जिसके चलते ग्वाले ने थककर उस शिवलिंग को धरती पर रख दिया। शिवलिंग को धरती पर रखने के काफी समय बाद रावण आया, जिसके चलते शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के पास आज भी मौजूद तालाब रावण की लघु शंका है। जब रावण वापस आया तो उसने देखा की शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया है। तभी गुस्से में आकर रावण ने अपने पैर के अंगूठे से उस शिवलिंग को खंडित कर दिया। रावण के वहां से जाने के बाद सभी देवताओं ने विधि-विधान के साथ शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया।
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