Drink Water
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    Drink Water: पानी हमारे शरीर के लिए काफी जरूरी माना जाता है, क्योंकि यह हमारे महत्वपूर्ण अंगों को सुचारू रूप से कामकाज करने में मदद करता है। यह न सिर्फ वजन घटाने और प्रबंधन जैसे आवश्यक शारीरिक कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बल्कि आपको निर्जलीकरण से भी बचाता है। निर्जलीकरण की वजह से पेट में काफी समस्याएं पैदा हो जाती है। जैसे कब्ज और थकान आदि और कुछ में तो एक घटक कम भी हो सकते हैं। आपके अंगों को हाइड्रेट करने के अलावा पानी इलेक्ट्रोलाइट संतुलन भी बनाए रखता है और रक्तचाप जोड़ों को चिनाई देता है। शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है और कोशिश के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। हालांकि पर्याप्त पानी न पीने से इसके दुष्प्रभाव होते हैं। लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि हम इस बात का ध्यान रखें कि हम इसका सेवन कैसे कर सकते हैं।

    पानी पीने का तरीका-

    आयुर्वेद के मुताबिक, आप पानी पीने का जो भी तरीका चुनते हैं, वह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आयुर्वेद में पानी पीने के सुझावों के संबंध में बहुत सारे सिद्धांत हैं। जिनका सदियों से पालन किया जाता है। आयुर्वेद कहता है कि खड़े होकर पानी पीने से पाचन तंत्र पर असर होता है। जब आप इसे पीते हैं तो पानी बहुत ताकत और तेजी से शरीर में प्रवेश करता है और सीधे पेट में चला जाता है। इससे तरल पदार्थ का संतुलन बिगड़ जाता है और अपच हो जाता है।

    शरीर में तरल पदार्थ का संतुलन-

    आयुर्वेद का यह भी दावा है कि खड़े होकर पानी पीने से जोड़ों में पानी जमा हो जाता है। जिससे आपको गठिया रोग भी हो जा सकता है। खड़े होकर पानी पीने से शरीर में तरल पदार्थ का संतुलन बिगड़ जाता है और विषाक्त पदार्थ का संचय बढ़ जाता है। जिससे आपकी हड्डियों, जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है। आयुर्वेद के कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जिनका आपको पानी पीने के सही तरीके के लिए पालन करना होगा।

    भोजन को पचाने में मदद-

    बैठकर पानी पीने से मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र को शांत करने और भोजन को पचाने में मदद मिलती है। आयुर्वेद के मुताबिक इससे किडनी पर भी दबाव नहीं पड़ता और किडनी आसानी से अपनी फिल्ट्रेशन प्रक्रिया कर सकती है। एक ही साथ में ज्यादा मात्रा में पानी पीने से बचना चाहिए। यह दुर्घटना का कारण बन सकता है। क्योंकि पानी श्वसन नली में चला जाता है। जिससे ना सिर्फ असुविधा होती है। बल्कि यह आपके अंगों को भी झटका देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पानी पीते समय आपके छोटे-छोटे घूट पीना चाहिए और सांस लेनी चाहिए। इससे वजन घटाने और प्रबंधन में मदद मिलती है।

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    रक्त की आपूर्ति पर असर-

    गर्मियों के दौरान भी ठंडे बर्फ के पानी से बचना चाहिए। क्योंकि यह पाचन प्रक्रिया को बाधित कर देता है और शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त की आपूर्ति पर असर डालता है। प्राचीन समय में लोग चांदी और तांबे के गिलास में पानी पीते थे। क्योंकि इन धातुओं में रखा गया पानी शरीर के लिए जरूरी खनिजों को संतुलित करने में मदद करता है। पानी आपको सकारात्मक रूप से चार्ज करते हैं और एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल गुण जोड़ते हैं, जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आपका शरीर हमेशा संकेत भेजता है कि आपको कब पानी पीने की जरूरत है। हालांकि आपके केवल तभी पीना चाहिए जब आपको प्यास लगे।

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