Middle Class Tax Burden
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    Middle Class Tax Burden: सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ने तहलका मचा दिया है, जिसमें एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के टॉप परफॉर्मर इंजीनियर की नौकरी जाने की कहानी है। वेंकटेश अल्ला के इस वायरल पोस्ट ने भारत में नौकरी की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। मिस्टर सलीम नाम के इस इंजीनियर की कहानी सुनकर हर मध्यम वर्गीय परिवार को अपनी स्थिति नजर आ रही है।

    सलीम साहब एक प्रमुख टेक कंपनी में काम करते थे और उनकी सालाना तनख्वाह 43.5 लाख रुपए थी। वे अपने क्षेत्र में एक सफल पेशेवर थे, लेकिन अचानक कंपनी की छंटनी के कारण उनकी नौकरी चली गई। सबसे दुखद बात यह है कि कंपनी ने उन्हें सिर्फ तीन महीने की वेतन राशि दी, जबकि वे पिछले पांच सालों में 30 लाख रुपए से ज्यादा आयकर भर चुके थे।

    Middle Class Tax Burden टैक्स भरने वाले को मिला क्या?

    यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो व्यक्ति हर साल लाखों रुपए कर के रूप में सरकार को देता रहा, उसे संकट के समय क्या मिला? सलीम साहब ने सिर्फ पिछले साल ही 11.22 लाख रुपए कर भरा था, लेकिन जब उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो उन्हें कोई सहायता नहीं मिली।

    वेंकटेश अल्ला के पोस्ट के अनुसार, "अब बेरोजगार हैं, शुक्र है कि घर का कोई कर्ज नहीं है, वे अपनी बचत और कंपनी से मिली राशि का उपयोग करके अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च उठा रहे हैं, जो हर बच्चे के लिए साल में 1.95 लाख रुपए है। यही है उनका 'इनाम'। बदतर बात यह है कि वे अवसाद के शिकार हो गए।"

    Middle Class Tax Burden मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव-

    इस घटना का सबसे दुखद पहलू यह है, कि सलीम डिप्रेशन के शिकार हो गए। उन्होंने महसूस किया, कि अचानक से वे सड़क पर आ गए हैं और हर तरफ से अकेले हैं। जिस सरकार को उन्होंने लाखों में कर दिया, वही सरकार उनकी जरूरत के समय उनके साथ नहीं खड़ी हुई।

    यह स्थिति सिर्फ एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे मध्यम वर्ग के लिए एक चेतावनी है। हमारे देश में वेतनभोगी कर्मचारियों को अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा कर के रूप में देना पड़ता है, लेकिन जब वे मुसीबत में होते हैं, तो उन्हें कोई सुरक्षा कवच नहीं मिलता।

    सोशल मीडिया पर बंटे मत-

    इस पोस्ट के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर मिले-जुले प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने बेरोजगारी भत्ता, मानसिक स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम, और कर सुधार की मांग की है। उनका कहना है कि जो लोग ईमानदारी से कर भरते हैं, उन्हें संकट के समय सरकार की तरफ से कुछ सहायता मिलनी चाहिए। एक व्यक्ति ने टिप्पणी की, "आप चाहते हैं कि सरकार उसे नौकरी दे दे क्योंकि उसकी नौकरी चली गई? क्या यह कोई तर्क है?" वहीं दूसरे ने लिखा, "यह समस्या पूरी दुनिया में है। समस्या कराधान की नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक वित्तीय योजना की कमी की है।"

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    समाधान की तलाश-

    इस समस्या के समाधान के लिए कर आधार को बढ़ाना होगा और ज्यादा लोगों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाना होगा। तभी वेतनभोगी मध्यम वर्ग पर बोझ कम हो सकता है। कुछ का कहना है, कि भारत में यूरोपीय मॉडल के बेरोजगारी भत्ते टिकाऊ नहीं हैं। एक उपयोगकर्ता ने वास्तविक दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा, "छंटनी हमेशा दुखदायी होती है और युवा और प्रतिभाशाली दिमागों के लिए नौकरी से निकाले जाना कठिन है। मुझे उम्मीद है कि इस प्रतिभाशाली व्यक्ति को जल्दी नौकरी मिल जाएगी। लेकिन नौकरी से निकाले जाने और कर भरने के बीच क्या संबंध है? यह अमेरिका में भी होता रहता है।"

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