Nohkalikai Falls: भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय में स्थित नोहकालिकाई जलप्रपात सिर्फ एक प्राकृतिक चमत्कार नहीं, बल्कि एक दिल दहला देने वाली कहानी का गवाह भी है। चेरापूंजी के पास स्थित यह झरना अपनी ऊंचाई, हरियाली और रहस्यमयी वातावरण के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। 1115 फीट की ऊंचाई से गिरता यह झरना भारत का सबसे ऊंचा एकल जलप्रपात माना जाता है।
Nohkalikai Falls प्रकृति की गोद में बसा अद्भुत दृश्य-
नोहकालिकाई जलप्रपात एक ऐसा स्थान है, जहां प्रकृति अपनी सबसे सुंदर छवि में नजर आती है। चारों ओर घने जंगल, नीला आसमान और झरने से गिरता सफेद पानी, यह दृश्य मन को शांति और आत्मा को सुकून देता है। बारिश के मौसम में झरने का बहाव और उसका गर्जन देखने लायक होता है। कोहरे में ढका हुआ यह स्थान किसी स्वप्नलोक जैसा प्रतीत होता है।
Nohkalikai Falls एक मां की पीड़ा और आत्मबलिदान की कथा-
लेकिन इस जलप्रपात के पीछे एक बेहद दर्दनाक कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है, कि कालीकाई नामक एक महिला अपने पति की मृत्यु के बाद अपनी बेटी के साथ अकेले जीवन बिता रही थी। कुछ समय बाद उसने एक व्यक्ति से पुनः विवाह किया, लेकिन उसका नया पति कालीकाई की बेटी से ईर्ष्या करने लगा। एक दिन जब कालीकाई घर पर नहीं थी, तब उसके पति ने उसकी मासूम बेटी की हत्या कर दी और उसका मांस पका कर भोजन में मिला दिया।
जब कालीकाई ने यह भोजन किया और बाद में सच्चाई का पता चला, तो वह शोक और अपराधबोध से पागल हो गई। उसने बिना कुछ कहे, उसी ऊंचे झरने से छलांग लगा दी। तभी से इस जलप्रपात को “नोह-का-लिकाई” कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है, "कालीकाई की छलांग"।
Nohkalikai Falls आज भी लोगों को खींच लाता है यह स्थान-
इस झरने के आसपास का क्षेत्र पूरी तरह प्राकृतिक है, जहां कोई कृत्रिम सजावट नहीं की गई है। यहां पहुंचने वाले पर्यटक न केवल इसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध होते हैं, बल्कि उस महिला की पीड़ा को महसूस कर सन्न रह जाते हैं। नोहकालिकाई जलप्रपात का नाम आज भी लोगों को उस सच्चाई से जोड़ता है, जो दर्द में लिपटी हुई है, लेकिन अमर बन चुकी है।
चेरापूंजी कैसे पहुंचे?
नोहकालिकाई जलप्रपात मेघालय के चेरापूंजी कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित है। चेरापूंजी तक पहुंचने के लिए सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा शिलांग है, जो देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। शिलांग से चेरापूंजी सड़क मार्ग द्वारा लगभग दो घंटे की दूरी पर है। मानसून के मौसम में यहां का दृश्य अत्यंत लुभावना होता है, इसलिए जुलाई से अक्टूबर के बीच यात्रा करना सबसे अच्छा माना जाता है।
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नोहकालिकाई जलप्रपात एक ऐसा स्थान है, जहां प्रकृति की भव्यता और मानवीय पीड़ा एक साथ बहती हैं। यह झरना न सिर्फ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह एक मां की ममता, उसका दर्द और आत्मत्याग की कहानी को भी जीवंत करता है। इस स्थान की सुंदरता और इसकी पौराणिकता इसे मेघालय का एक अनमोल रत्न बनाते हैं, जिसे हर प्रकृति प्रेमी को जीवन में एक बार जरूर देखना चाहिए।
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