Amazing Fact About Earth: पिछले साल पृथ्वी लगातार 9 दिनों तक वाइब्रेट करती रही, मानव इतिहास का लाउडेस्ट साउंड और सबसे खतरनाक वोल्केनिक इरप्शन कहा जाने वाला वोल्केनिक इरप्शन भी जब 27 अगस्त 1883 के दिन इंडोनेशिया में हुआ था, तो उसके आफ्टर इफैक्ट्स में आने वाला भूकंप और सुनामी भी मैक्स 30 घंटे के अंदर शांत हो गई थी और वह इफेक्ट भी पूरी दुनिया भर में नहीं देखा गया था। इसी तरह कोई अगर कोई मैसिव एस्टेरॉइड ना भी गिरा हो तो, उसके कॉलेजन का इफेक्ट भी ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते तक भूकंप के रूप में नोटिस किया जाता है। लेकिन इन दोनों घटनाओं से भी बड़ा आखिर ऐसा क्या हुआ की 9 दिन तक पृथ्वी में एक्टिविटीज रिकॉर्ड की गई और लगातार, वह भी ग्लोबल स्केल पर। आज की इस वीडियो में हम इसी के ऊपर बात करने वाले हैं, तो चलिए शुरू करते हैं-
अर्थ की एक्टिविटीज को नोटिस-
यह बात है 16 सितंबर साल 2023 की दुनिया भर के जितने भी ऑबज़रवेशनल स्टेशंस थे, खासकर के वह स्टेशन्स, जो अर्थ की एक्टिविटीज को नोटिस किया करते थे, उनके यहां अचानक रीडिंग्स आनी शुरू हो गई। अभी इस वक्त आपकी स्क्रीन पर वोल्कानो डिस्कवरी वेबसाइट का 16 सितंबर का डाटा मौजूद है, जो दुनिया भर के सारे पब्लिकली रिपोर्टेड सीस्मिक एक्टिविटीज का डाटा रखते हैं और इस डाटा के हिसाब से सिर्फ 16 सितंबर के दिन दो से लेकर 5.2 के मेग्नीट्यूड के बीच 359 अर्थक्वेक्स रिपोर्ट करे गए। लेकिन यह सिर्फ उसी दिन की कहानी नहीं थी। 17 सितंबर 2023 के दिन भी टोटल 343 अर्थक्वेक्स रिपोर्ट किए गए थे। इनमें से कुछ इस बार भारत के पास भी थे। 18 सितंबर के दिन 410, 19 सितंबर में 421 और ऐसे ही रोज ही आंकड़ा बढ़ रहा था। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं है कि इतनी सारी माइनर एक्टिविटिज़ रिकोर्ड की जा रही थी। क्योंकि वह तो कहीं भी, कभी भी, किसी भी रेंडम डेट को भी उठा लेना फॉर एग्जांपल 18 जुलाई 2024 को भी देख लें, तो उसे दिन भी अराउंड 333 रिपोर्ट किए गए थे।
इनोमली को कुछ दिन तक रिपोर्ट किया गया-
मगर इन कुछ दिनों में जो चीज गौर करने वाली थी, वह थी इससे रिलेटेड दो बातें, पहली तो यह जब भी भूकंप आते हैं या सीस्मिक एक्टिविटीज रिकॉर्ड की जाती है, तो वह ब्रेक्स में रिकॉर्ड की जाती है और उनका अपना एक यूनिक पैटर्न होता है। जैसे भूकंप 2 मिनट के लिए आया और उससे ज्यादा समय के लिए कुछ मिनट या कुछ घंटे तक सब कुछ शांत हो गया और फिर भूकंप एक बार हिट करके धरती हिला देता है। अपने इफेक्ट्स दिखता है और फिर से कुछ देर के लिए सब कुछ शांत हो जाता है। हर भूकंप लगभग इसी तरह के रीडिंग शो करते हैं। मगर हमारे इस वाले केस में रीडिंग्स ज्यादा डिस्ट्रक्टिव भले ही नहीं थे।
इनका मेग्नीट्यूड 2 से 3 या ज्यादा से ज्यादा 2.5 के बीच में ही रहता था। लेकिन यह कांस्टेंटली रिक्टर स्केल पर रिकॉर्ड होते ही जा रहे थे, किसी अर्थ को एक से काफी लंबे ड्यूरेशन तक और यह सिर्फ एक ऑब्जरवेशन स्टेशन में नहीं हो रहा था। बल्कि कई जगह महसूस किया जा रहा था। जिसे बेसिकली एक्सप्लेन करने का कोई भी तरीका किसी को भी समझ में नहीं आ रहा है। सिवाय यह अज़्यूम करने के, की इक्यूपमेंट्स खराब हो गया। हालांकि इक्विपमेंट चेक करवाने पर भी जब खास कुछ कमी नहीं निकली और इस सीस्मिक एक्टिविटी के शुरू होने के करीब 9 दिन बाद जब सब कुछ वापस से नॉर्मल हो गया। तब इस इनोमली को कुछ दिन तक रिपोर्ट किया गया। मगर बाद में और ब्रेक थ्रू जाने पर इसे इग्नोर कर दिया गया। हालांकि अभी रिसेंटली इंटरनेशनल रिसर्च की एक टीम ने अपने-अपने अवेलेबल सोर्स से उस दौर के डेटा को कलेक्ट किया। कि उस वक्त दुनिया भर में और खास करके एपीसेंटरिक एरिया के पास कौन सी मेजर जियोलॉजिकल घटनाएं घटी थी और यहीं से चीज़ें इंटरेस्टिंग बनी।
अर्थक्वेक और वाइब्रेशन दोनों डिफरेंट-
अभी तक आप थोड़ा गौर से पढ़ रहे हो, तो आपने यह नोटिस जरूर किया होगा, कि हम जब भी रीडिंग के बिहेवियर की बात कर रहे हैं, तो पृथ्वी पर भूकंप आने का जिक्र नहीं कर रहे। बल्कि पृथ्वी के वाइब्रेट होने की बात कर रहे हैं और ऐसा इसीलिए क्योंकि अर्थक्वेक और वाइब्रेशन यह दोनों डिफरेंट चीज होती हैं और आगे बढ़ने से पहले इनका अंतर भी समझना जरूरी है। भूकंप बहुत छोटे होते हैं और काफी इंटेंस होते हैं और उनके पीछे का फैक्टकर भी कोई जियोलॉजिकल एक्टिविटि होती है, जैसे की ज्वालामुखी फटना, दो बड़ी टैकटोनिक प्लेट्स का आपस में टकराना या रगड़ना वगैरा। जबकि वहीं वाइब्रेशंस का पैटर्न होता है भूकंप से डिफ्रेंट होता है।
जबकि इनकी इंटेंसिटी इतनी ज्यादा नहीं होती, कि यह मैंस लेवल पर कोई डिस्ट्रक्शन कर सके और यह इतने ज्यादा पैसिव होते हैं, कि अगर यह कई घंटे या दिनों तक भी आएंगे, तो भी बिना इक्विपमेंट के आप उनकी प्रजेंट नोटिस नहीं कर पाएंगे। कूल मिलाकर खेल पूरा इंटेंसिटी का है। मगर इस डिफरेंट में इस गुथ्थी को सुलझाने का एक क्लू बी है और वह है जिओ फिजिकल एक्टिविटी। अगर हम किसी टेंपरेरि एक्टिविटि को सुलझाने के बारे सोच रहे, होते तो हमें किसी शॉर्ट टर्म मैसेज इंसिडेंट पर गौर करना पड़ता है। जो कि ऑनेस्टली किसी बड़ी से बड़ी बिल्डिंग के डिमोलेस्टेशन या किसी छोटे से छोटे में टेरॉइड्स से टकराने से कई फैक्टर्स में देखा जा सकता था, लेकिन क्योंकि यहां पर काफी लो फ्रीक्वेंसी वाइब्रेशन, लंबी पीरियोडिसिटी के लिए देखी जा रही थी।
रीमेनिंग इंसीडेंट की संख्या साइनिफिकेंटली कम-
इसलिए वैज्ञानिकों ने अपने डेटा का स्कोप थोड़ा छोटा किया और सिर्फ उन घटनाओं पर गौर करना शुरू किया जो उसे दौर में कई दिनों तक अपने रीजंस को अफेक्ट कर रही थी और जहां इतना बड़ा टाइम पीरियड इंवॉल्व हो जाता है। वहां रीमेनिंग इंसीडेंट की संख्या साइनिफिकेंटली कम हो जाती है, ऊपर से एक चीज़ यह भी है कि अगर यह उतना डिस्ट्रेक्टिव नहीं था, तो हो सकता है कि इसका रुट कोस दुनिया के हर एक सोर्स पर रिकॉर्ड ना हुआ हो और यही कारण रही कि दुनिया के 15 अलग-अलग देशों के करीब 68 वैज्ञानिकों ने एक दूसरे से कनेक्ट किया और उनके पहुंच में जितने भी डाटा सोर्सेस थे, इंक्लूडिंग सैटेलाइट, इमेज कंप्यूटर, सिमुलेशंस रिक्टर रीडिंग उन सब को कंपेयर किया और उन्हें पता चला की जैसा पैटर्न इन वाइब्रेशन में देखने को मिला था। वह एक्चुअली तब देखने को मिलता है, जब किसी मेजर नेचुरल फिनोफेना के बाद में सेसस आते हैं। क्यों नहीं समझ आया, वेल डॉन्ट वरी अगर यह तीन चार फेंसी वर्ड्स सुनकर कुछ आपके ऊपर से गया हो, तो क्योंकि अब हम अब आपको सब कुछ बिल्कुल बेसिक लेवल पर और इजी लैंग्वेज इसे बताने वाले हैं।
स्विमिंग पूल के अंदर स्ट्रांग स्टैंडिंग वेव्स-
एक शेश बेसिकली एक ऐसा फिनोमिना होता है जब एक क्लोज़ स्पेस में मौजूद लहरें चारों तरफ से उठ के एक दूसरे को कैंसिल आउट करने की कोशिश करती है। लेकिन उससे वह और ज्यादा स्ट्रांग हो जाती है। अब हम इसे कितना भी सिंपिलिफई कर दें, इसे बिना एग्जांपल के समझ पाना मुश्किल है और उसकी इंटेंसिटी समझने के लिए यह वीडियो एक परफेक्ट एग्जांपल है। 25 अप्रैल 2015 के दिन किसी स्विमिंग पूल में रिकॉर्ड किए गए, इस वीडियो में आप देख सकते हैं, कि स्विमिंग पूल के अंदर स्ट्रांग स्टैंडिंग वेव्स कई डायरेक्शन से उठ रही हैं। लेकिन क्योंकि इनमें से किसी को भी सेटल डाउन होने के लिए या अपनी एनर्जी रिलीज करने के लिए सफिशिएंट जगह नहीं मिल रही है।
इसलिए यह और स्ट्रांग वाइब्रेशंस क्रिएट करती जा रही हैं। अपेरेंटली यह वीडियो नेपाल के अर्थक्वेक के समय की है और शेश्स भी किसी सुनामी की तरह तभी क्रिएट होती हैं, जब पानी में इस हाइपर एनर्जी को एग्ज़र्स किया जाता है। लेकिन इसमें डिफरेंस यह है कि जिस तरह से सुनामी एक ही बार में अपनी सारी एक्सेसिव एनर्जी से पानी को लाकर पानी को पटक देती है, वैसे मौके इन सेसेस को नहीं मिल पाते। क्योंकि वह एक एंक्लोज्ड एरिया में अकर करती है, अब यहां तक आधी मिस्ट्री सोल्व हो गई थी, लेकिन आधी मिस्ट्री यह थी, कि आगे ऐसा कौन सा इवेंट था, जिसने सेसस को ट्रिगर किया और अब यहां काम आई डे टू डे इमेजरीज।
ग्रीनलैंड में मौजू़द डिक्सन ज़ोल्ड-
डे टु डे इमेज में देखा गया, कि ग्रीनलैंड में मौजू़द डिक्सन ज़ोल्ड जो मैप पर कुछ इस तरह की दिखती है, उसी को घेरे हुए एक चट्टान में 12 अगस्त 2020 के दिन चोटी के ऊपर जमीन का एक बहुत बड़ा हिस्सा था, जो 19 सितंबर 2023 की तस्वीरों में नहीं दिखा और यह टाइमलाइन बहुत क्लाजली मेल खा रहे थे, उन 9 दिनों के टाइम पीरियड से। वैज्ञानिकों ने देखा कि उस चट्टान के हटने के बाद इस जमीनी हिस्से के फिजिकल अपीरियंस में भी काफी चेंज नोटिस किया जा सकते थे। इसके बाद एनालिसिस की गई डेटा को कंप्यूटर में डाला गया।
चीज़ों को सिम्यूलेट किया गया एंड हैयर इज़ व्हाट हैपेंड, सितंबर 2023 में पूर्वी ग्रीनलैंड में एक पिघलते हुए ग्लेशियर की वजह से करीब 4000 फीट ऊंची पहाड़ी के नीचे अचानक लैंडस्लाइड शुरू हो गई। जिसमें इतना बड़ा जमीनी हिस्सा पानी में डाल दिया, कि उनसे ओलंपिक के साइज के 10000 स्विमिंग पूल्स भरे जा सकते थे। जब यह 1.2 किलोमीटर उंची माउंटेन पीक ढ़हने के बाद नीचे मौजूद डिक्शन ज़ोन में गिरी, तो पानी करीब 200 मीटर ऊपर उछल गया था और इससे क्रिएट होने वाली वेव्स करीब 110 मीटर ऊंची थी। हालांकि यह ज़ोट कोई स्ट्रिंग्स तो है नहीं, कि सीधा आगे बढ़कर निकल जाए। बल्कि इस ज़ोट के फिगर में आप देखेंगे, तो यह आगे जाकर टर्न लेती है।
ये भी पढ़ें- धरती पर मौजूद ऐसी जगह जिन्हें देख नहीं कर पाएंगे आंखों पर यकीन, बादलों में छुपे पहाड़..
इस वाइब्रेशन का सबसे बड़ा कारण क्या-
यही कारण है कि इस लैंडस्लाइड के बाद वाटर में जो एनर्जी स्टोर हुई थी, वह काफी धीरे-धीरे अगले कुछ दिनों में एस्केप कर रही थी और यह जो छोटा सा स्ट्रेट पाथ है ना इसी में हाई एनर्जी वेव्स हर 90 सेकंड में बैक एंड फोर्थ मूव कर रही थी, जो एक्जेक्टली अर्थ की वाइब्रेशन रीडिंग से भी मैच कर रहा था। पर इस मिस्ट्री का सॉल्व होना हमारे लिए खुशी की बात नहीं है, बल्कि यह दुख की बात है। ऐसा कभी नहीं होता, अगर धरती पर ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियर पिघलते नहीं। इस घटना में पहाड़ में मौजूद ग्लेशियर इतना पतला हो गया था, कि वह अपने ऊपर मौजूद जमीन को होल्ड ही नहीं कर पाया।
यह आगे जाकर लैंडस्लाइड का कारण बना और जैसे-जैसे हालात बिगड़ रहे हैं, यह अंदेशा है कि आगे जाकर स्थितियां और खराब होने वाली हैं और हो सकता है कि ऐसी वाइब्रेशन हमें आगे भी देखने को मिल सकती हैं और यह वीडियो एक बड़ा रिमाइंडर है कि हमें कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए कुछ ना कुछ बहुत जल्दी करना पड़ेगा, नहीं तो पूरा ग्लोब अर्थक्वेक साइकिल में भी फंस सकता है। जिसका अंत कब होगा कोई नहीं जान पाएगा। हालांकि एक सुनामी और साइश़ के बीच में मेजर डिफरेंसेस हमें नीचे कमेंट करके आप जरूर बताना। देखते हैं किसने यह वीडियो कितना ध्यान से देखा है।
ये भी पढ़ें- Real UFO: क्या अमेरिका के शहर में गिरा लोहे का टुकड़ा है असली यूएफओ का हिस्स?