Sphinx of Giza
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    Sphinx of Giza: 1400 BC का दौर था, इस समय पूरे इजिप्ट पर फैरो तुथमोसिस थर्ड का शासन था, जिनका बेटा राजकुमार तुथमोसिस वोर्थ एक दिन सो रहा था, तब उसे एक सपना आया की एक बड़ा सा शेर जिसका सिर इंसांन का था, वह शिकार पर जा रहा है कि तभी वह शेर अचानक रेत के ढेर में धसने लगता है और मानों उसमें समा जाता है, लेकिन उससे पहले वह राजकुमार से कहता है कि वह उसे रेत से बाहर निकाले और ऐसा करने पर वह उसे पूरे इजिप्ट का राजा बना देगा। अब इसके कुछ समय बाद जब राजकुमार इजिप्ट का फैरो बना तब उसने अपने सपने वाली जगह पर खुदाई करवाई। जहां उसे अपने सपने वाली इंसान के शक्ल वाले शेर की मुर्ति मिली। जिसे आज हम स्फिंक्स के नाम से जानते है, एक बड़ा सा स्टेच्यू जो गीजा के इन पिरामिड से भी कई हज़ार साल पूराना था। राजा ने इस स्फिंक्स का रेनोवेशन कराया उसको पूजा और साथ ही साथ रेतीली हवाओं के इरोज़न एंड डैमेज से बचाने के लिए इसके चारों ओर एक उंची दीवार बनवाई। लेकिन राजा के साथ-साथ उस समय के इजिप्शियंस के मन में भी ये सवाल था, कि पुराने से इस बड़े स्टेच्यू को बनाया किसने? और आखिर इन स्फिंक्स का पर्पस क्या था।

    ओल्ड किंगडम (Sphinx of Giza)-

    कई सेंचुरिज़ तक यह स्फिंक्स वहीं खड़ा रहा। इवन कई इजिप्शियन किंग्स ने इन्हें अपने गॉड की तरह भी पूजा पर आखिर तुथमोसिस वोर्थ के यह गॉड अचानक से इस रेगिस्तान में आए कहां से, आर्कियोलॉजिस्ट् के मुताबिक, इसके तार हमें 2700 बीसी से इजिप्ट के वन ऑफ द् मोस्ट पावरफुल एंपायर ओल्ड किंगडम तक लेकर जाते हैं। जिस एंपायर ने 500 सालों तक पूरे इजिप्ट पर शासन किया था। अनटिल 2200 बीसी जब अचानक एंपायर में हुई सिविल वॉर और महामारी के चलते ऑल्ड किंगडम एम्पायर पूरी तरह से टूट गया।

    जिसके बाद तो स्फिंक्स को मानों इजिप्शियन भूल ही गए और समय के साथ-साथ ये धीरे-धीरे रेत के नीचे दबता चला गया और कई सेंचुरी बाद, तो यह पूरी तरीके से रेत में समा चुका था। जब तक की 1420 में राजकुमार तुथमोसिस वोर्थ स्फिंक्स का सपना देखकर उसे रेत से बाहर नहीं निकाला। पर राजकुमार तुथमोसिस वोर्थ के एम्पायर के बाद भी स्फिंक्स पिरामिड्स की ग्रैंडनेस के सामने मानो कहीं खो सा गया था, न्यू किंग्स ने पिरामिड्स के रेस्टोरेशन पर तो ध्यान दिया। लेकिन स्फिंक्स पर ज़रा भी नहीं और एक बार फिर हज़ारों सालों के इग्नोरेंस के बाद स्फिंक्स के सिर्फ सिर को छोड़कर इसका ऑलमोस्ट पूरा हिस्सा गीज़ा के रेगिस्तान में डूब चुका था। जिसके बाद सन् 1817 में हमें स्फिंक्स के रेस्टोरेशन का सबसे पहला प्रयास देखने को मिला।

    स्फिंक्स के चारों ओर से रेत को हटाने की कोशिश (Sphinx of Giza)-

    जब जियोवानी बटिस्टा कविगला ने 160 वर्कर्स के साथ मिलकर स्फिंक्स के चारों ओर से रेत को हटाने की कोशिश की। पर अच्छे इक्विपमेंट ना होने के चलते, वह जितनी तेजी से रेत को हटा रहे थे, रेत उससे कहीं ज्यादा तेजी से वापस खोदे गए गड्ढे में गिर रही थी। जिसके चलते स्फिंक्स को रेत से बाहर निकलने का यह प्रयास नाकामयाब रहा। इसके बाद 1930 में इजिप्शियन आर्कियोलॉजिस्ट सलीम हसान में एक बड़ी टीम के साथ स्फिंक्स को रेत से बाहर निकालने की कोशिश की। जिनकी यह कोशिश कामयाब रही और फाइनली पहली बार यह पूरा स्ट्रक्चर रेत से बाहर आया और मॉडर्न टाइम में पहली बार लोगों ने इस पूरे स्ट्रक्चर को देखा। लेकिन स्फिंक्स से जुड़े अभी भी कुछ ऐसे राज़ थे, जो मेजोरिटी लोगों को पता ही नहीं था।

    साल 1863 में फ्रैंच आर्कियोलॉजिस्ट AUGUSTE MARIETTE ने स्फिंक्स के पास मिले वोल्कानिक रॉक पर 2500 बीसी में इजिप्ट पर राज करने वाले फैरो खाफी की एक बड़ी सी कार्वड पेंटिंग को देखा। साथ ही साथ इस फाइंडिंग ने स्फिंक्स के अराउंड कई पिलर्स भी देखने को मिले, जिनकी टोटल काउंटिंग 24 है। जिनके पास कई स्मॉल रूम टाइप स्ट्रक्चर भी बने थे। अलसो एक दूसरी फाइंडिंग में हमें स्फिंक्स के चारों ओर 132 मीटर यानी की 433 सीट में फैली ईटों की एक दीवार भी मिली। जो हजारों सालों से रेत के नीचे दबी थी। लेकिन स्फिंक्स के पास मिली इन सभी चीजों का मतलब क्या है।

    स्फिंक्स के पास मिले रेमंट्स पर रिसर्च (Sphinx of Giza)-

    तो स्विस आर्कियोलॉजिस्ट हार्वर्ड रिक के द्वारा साल 1960s में स्फिंक्स के पास मिले रेमंट्स पर रिसर्च में यह पाया गया, कि स्फिंक्स के चारों ओर मिले, यह स्ट्रक्चर किसी मंदिर के हैं। जिस मंदिर में स्फिंक्स उनके भगवान की मूर्ति की तरह था। यह टेंपल सन यानी कि सूर्य देव को समर्पित था। क्योंकि जो 24 पिलर्स हमें स्पेस के पास मिले, उनमें हर एक पिलर 24 आर के 1 आर को दर्शाता है। जिसके अलावा मार्च और सितंबर के दौरान हमें स्फिंक्स के पास एक ड्रैमेटिक एस्ट्रॉनोमिकल इवेंट भी देखने को मिलता है। जब सूरज डूबते वक्त सीधा स्फिंक्स के शोल्डर से होता हुआ डूबता है। पर और भी चौकाने वाली डिस्कवरी तो इसके एक दशक बात सामने आई।

    तो साल 1970 में कुछ अमेरिकन टूरिस्ट इजिप्ट में स्फिंक्स के पास से गुजर रहे थे। तब उससे करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर एक फीमेल अमेरिकन टूरिस्ट अपने घोड़े से नीचे गिर गई। क्योंकि उसका घोड़ा रेत में मौजूद किसी सॉलि़ड ऑब्जेक्ट से टकराया था। जिसके बाद जब वहां लोगों ने ध्यान से देखा, तो उन्हें वहां कई छोटी-छोटी ईटों की दीवार रेत में दबी हुई देखने को मिली और जब आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने यहां पर एक बड़ी इन्वेस्टिगेशन शुरू की, तब उन्हें यह पता चला कि ओल्ड किंगडम अंपायर के दौर का एक बहुत बड़ा कब्रिस्तान था। जिसमें करीब 600 लोगों के शरीर को दबाया गया था, जिनकी कब्र के पास उनके नाम भी लिखे हुए थे और इस डिस्कवरी के केवल 9 साल बाद ही आर्कियोलॉजिस्ट लेनर ने इस जगह के आसपास खुदाई में कई घरों जैसे स्ट्रक्चर को भी डिस्कवर किया और जब इस पूरे एरिया को अच्छे से मैप किया गया, तो उन्हें यह समझ आया, कि यहां केवल एक कब्रिस्तान ही नहीं, बल्कि एक एसिएंट सिटी भी मौजूद थी।

    द ग्रेट स्फिंक्स कितना पुराना है?

    जिसके मैपिंग से यह पता चलता है, कि यह शहर ऑलमोस्ट 10 फुटबॉल फील्ड जितना बड़ा था। जहां पर कई छोटे घर और सड़कें मौजूद थी। अब रिसचर्स के मुताबिक, यह ओल्ड किंगडम के दौरान बनाया गया था। जिसमें 1600 से 2000 लोग रहते थे, अब आखिर द ग्रेट स्फिंक्स कितना पुराना है। यह सवाल काफी डिबेटेबल है, क्योंकि अभी भी आर्कियोलॉजिस्ट किसी फिक्स डेट पर नहीं पहुंचे हैं। लेकिन ज़्यादातर आर्कियोलॉजिस्ट्स की मानें, तो स्फिंक्स को साल 2540 बीसी के दौरान ओल्ड किंगडम के फोर्थ डायनेस्टी के फौरो खाफी को दर्शाता है और उनका चेहरा हमें स्फिंक्स पर देखने को भी मिलता है।

    जबकि स्फिंक्स पर ही मिले दूसरे एविडेंसिस के बेसिस पर कई आर्कियोलॉजिस्ट ने कुछ थिओरीज बनाई है, जिनके अकॉर्डिंग इसकी एज 10000 साल पुरानी है। यानी गीज़ा के इन पिरामिड से ऑलमोस्ट दोगुनी से भी ज्यादा है। एग्जाम्पल के लिए स्फिंक्स के एग्ज़ामिनेशंस से यह पता चलता है, कि इसमें प्रयोग किए गए लाइमस्टोन में एक पीरियड और टाइम में एक साथ काफी ज्यादा मॉइश्चर को अब्जॉर्ब किया था। अलसो इनके किनारो पर वॉटर एरोजंस के भी निशान हैं, जो की काफी चौंकाने वाली बात है। क्योंकि स्फिंक्स सहारा के जिस रेगिस्तान में मौजूद है वहीं बारिश ना के बराबर होती है ऐसे में इस सूखे हुए बंजर रेगिस्तान में इतना ज्यादा मॉइश्चर का आाना सवाल खड़े करता है।

    स्फिंक्स की एज को पिरामिड से कहीं ज्यादा पुरानी-

    जिसका जवाब देते हुए कई बार आर्कियोलॉजिस्ट्स स्फिंक्स की एज को पिरामिड से कहीं ज्यादा पुराना बताते हैं। क्योंकि आर्कियोलॉजिस्ट के मुताबिक, आज जिस सहारा रेगिस्तान में स्फिंक्स मौजूद है वह आज भले ही पूरी तरह रेगिस्तान और बंजर क्यों ना हो, लेकिन आज से करीब 8500 बीसी के दौरान ये इलाका काफी हरा भरा था। जहां पर एक रेन साइकिल चलती थी और शायद इस दौर में ही स्फिंक्स को बनाया गया होगा और इसी दौर में इसके लाइमस्टोन ब्लॉक तक बारिश के पानी से ही यह इरोज़न और मोइश्चर पहुंचा होगा। पर सहारा के वातावरण में 3500 बीसी से 1500 बीसी के बीच अचानक ड्रेस्टिक बदलाव आए और यह हरा भरा रीज़न एक बंजर रेगिस्तान में बदल गया।

    इसके अलावा दोस्तों सेकंड थ्योरी साल 1989 में रॉबर्ट बवेल द्वारा दी गई थी, जिन्होंने अपने पेपर में पब्लिश किया, कि नील रिवर के रिलेटिव बने, यह गीज़ा के पिरामिड एक 3D होलोग्राम की तरह है, जिनसे ऑरायन कांस्टिलेशन के तीन ब्राइटेस्ट स्टार्स का ऐक्यूरेट रिफ्लेक्शन बनता है, जो स्टार्स आज से ऑलमोस्ट 10000 साल पहले इन पिरामिड से एलाइनड थे। इन शॉर्ट इन दोनों थ्योरिज़ के अकॉर्डिंग स्फिंक्स पिरामिड से कहीं हजार साल पहले और आज से ऑलमोस्ट 10000 साल पहले बनाया गया था। लेकिन स्फिंक्स की मिस्ट्री सिर्फ इसकी एज तक ही नहीं रुकती।

    सबसे मिस्टीरियस पैसेजिस-

    क्योंकि पूरे स्ट्रक्चर में कई मिस्टीरियस पैसेज भी मौजूद है। सबसे मिस्टीरियस पैसेजिस में से एक इसके फेस के बिल्कुल पीछे मौजूद था, तो देखो 15 सेंचुरी के टूरिस्ट जॉन हेल्फ्रीक ने अपनी स्टोरी शेयर करते हुए, दुनिया को इस टनल के बारे में बताया। उनके मुताबिक, जब वह साल 1565 से 1566 के बीच इजिप्ट में स्फिंक्स को देखने गए थे, तभी एक प्राइस्ट ने उन्हें स्फिंक्स के कानों के पीछे छुपे सीक्रेट पैसेज को दिखाया था। जहां से वह प्राइस्ट उस स्फिंक्स के सिर के अंदर जा सकता था और जहां से वह प्राइस्ट जब कुछ बोल रहा था, तो ऐसा लग रहा था, मानों स्फिंक्स खुद बोल रहा हो।

    लेकिन कई रिपोट्स की मानें, तो इस सीक्रेट पैसेज को साल 1926 में बंद कर दिया गया था, पर इसी दौरान यहां काम कर रहे हैं आर्कियोलॉजिस्ट को स्फिंक्स में एक और मिस्टीरियस पैसेज देखने को मिला, तो साल 1926 में जब स्फिंक्स के चारों ओर रेत को हटाने का काम चल रहा था। तब उसके नॉर्थ साइड में जमीन से सटी हुई बड़ी सी टनल देखने को मिली, वैसे उस समय इस पर ध्यान नहीं दिया गया और उसे वापस से भर दिया गया था। लेकिन इसके 50 साल बाद एक बूढ़ा आदमी, जिसने इस पैसेज को बंद करते वक्त यहां काम किया था। उसने साल 1926 में यहां काम कर रहे हैं, इंजीनियर को उस सीक्रेट पैसेज के बारे में बताया। इसके बाद साल 1980 के दौरान इस पैसेज को दोबारा से डिस्कवर किया गया।

    पैसेज दो एरिया में डिवाइडेड-

    जिससे रंप पैसेज नाम दिया गया और इस बार आर्कियोलॉजिस्ट ने इसे अच्छे से मैप किया। जिसमें उन्हें कई चौंकाने वाली बातें देखने को मिली, जैसे कि यह पैसेज अपर एंड लोअर दो एरिया में डिवाइडेड का जो एक दूसरे के ऑलमोस्ट 90 डिग्री पर थे। जिसका ऊपरी हिस्सा ग्राउंड लेवल से नॉर्थ वेस्ट डायरेक्शन की ओर 4 मीटर की हाइट पर था। जिसकी चौड़ाई 1 मीटर और ऊंचाई 1.8 मीटर थी। जबकि लोअर पैसेज नॉर्थ वेस्ट की ओर जाता था, जिसकी एंट्रेंस 1.3 मीटर वाइड था और यह स्फिंक्स में करीब 5 मीटर की डेप्थ तक जाता था। अब इसके अलावा साल 1978 में भी रूटिन रेस्टोरेशन के दौरान आर्कियोलॉजिस्ट को स्फिंक्स के पीछे एक और सॉफ्ट टाइप टनल मिली थी। जिसे की होल शाफ्ट नाम दिया गया था। अब यह स्फिंक्स में किस लिए बनाई गई थी, यह तो अभी भी एक मिस्ट्री है, पर मेजरमेंट के मुताबिक, की हॉल शाफ्ट की चौड़ाई 1.4 मीटर, ऊंचाई 1 मीटर और लंबाई 2 मीटर की है।

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    लाइफ एंड डेथ के बीच एक कॉस्मिक इंजन-

    फेमस आर्कियोलॉजिस्ट मार्क लेनर की मानें, तो स्फिंक्स इजिप्शियन के लाइफ एंड डेथ के बीच एक कॉस्मिक इंजन की तरह काम करता था। क्योंकि मार्क लेनर के मुताबिक, स्फिंक्स जितना दिखता है उससे कहीं ज्यादा कंपलेक्स स्ट्रक्चर है। क्योंकि अगरइसके अराउंड टेंपल्स एंड पिरामिड से इसके कनेक्शन को देखा जाए, तो यह किसी कॉस्मिक इंजन की तरह है। जो सूरज की ऊर्जा और इजिप्ट के दूसरे गॉड्स की ऊर्जा को मिलाकर, किसी इंजेक्शन किंग को दोबारा से जीवन देने के मकसद से बनाया गया था, जो उस राजा को एक एटरनल लाइफ ही नहीं देता, बल्कि उस यूनिवर्स के नेचुरल ऑर्डर को भी सस्टेन रखने का काम करता था। वैसे तो यह बस एक थ्योरी ही है, लेकिन हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते, कि अभी भी स्फिंक्स एंड इजिप्ट के इन पिरामिड के ऐसे कई राज हैं, जिनके बारे में या तो हम इंसान अभी तक नहीं जानते या फिर उन राज़ को हमसे छुपाया जा रहा है।

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