Delhi Assembly elections
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    Delhi Assembly elections: रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। उन्होंने इस साल नवंबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ-साथ दिल्ली में भी जल्द विधानसभा चुनाव कराने की भी मांग की है। केजरीवाल कि इस मांग पर चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, कि तय समय से पहले चुनाव करना संभव नहीं है। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है, कि इतने कम समय में विधानसभा चुनाव करवाना संभव नहीं है। केजरीवाल पहली बार पार्टी कर्ताओं को जेल से बाहर आने के बाद संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने कहा कि, मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। इसके अलावा उन्होंने कहा, कि जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुनाएगी, मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।

    अग्नि परीक्षा-

    उनका कहना है कि मैं मुख्यमंत्री और सिसोदिया उपमुख्यमंत्री तभी बनेंगे, जब लोग कहेंगे कि हम ईमानदार हैं। जब देश की जनता हमें चुनाव में जिताकर दोबारा यह पद देगी, तभी मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा। इसके अलावा पार्टी का समर्थन करते हुए राघव चड्ढा ने कहा, कि केजरीवाल अपनी ईमानदारी को प्रमाणित करने के लिए अग्नि परीक्षा से गुजर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद का कहना है, कि सीए अग्निपथ से गुजरने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब यह दिल्ली की जनता के हाथ में है, कि वह ईमानदार है या नहीं।

    काम के नाम पर वोट-

    उन्होंने आगे कहा कि, अरविंद केजरीवाल ने साल 2020 में काम के नाम पर वोट मांगे थे और कहा था कि अगर मैंने काम किया है, तो मुझे वोट दीजिए, अगर मैंने काम नहीं किया है, तो आप मुझे वोट ना दें। जनता आम आदमी पार्टी को वोट देकर और आने वाले 2025 के विधानसभा चुनाव में अपने मुख्यमंत्री को ईमानदार घोषित करेगी। हालांकि विपक्षी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का कहना है, कि पद छोड़ने की घोषणा ऐसे समय पर की गई है। जब उच्चतम न्यायालय ने अपने जमानत आदेश में कहा है, कि वह किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते और ना ही मुख्यमंत्री कार्यालय जा सकते हैं।

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    फैसला सोच समझ कर लिया-

    विशेषज्ञों की मानें तो, अरविंद केजरीवाल ने यह फैसला सोच समझ कर लिया है। क्योंकि तिहाड़ जेल से बेल मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल को ना तो किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने की अनुमति है और ना ही सीएम ऑफिस जाने की। इस सब को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पद को छोड़ने का फैसला किया है। जिससे कोई काम ना रुके। इसके साथ ही उन्होंने इस सवाल का जवाब भी दिया, कि उन्होंने तिहाड़ जेल से इस्तीफा क्यों नहीं दिया। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने, जेल से इस्तीफा इसलिए नहीं दिया, क्योंकि वह भारतीय जनता पार्टी को जीतने नहीं देना चाहते थे।

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