Train
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    Train: आप लोगों ने बहुत बार ऐसा देखा होगा कि स्टेशन पर आपकी ट्रेन पहले पहुंचती है और आपके सामने वाले प्लेटफार्म पर आप के विपरीत दिशा से बाद में आई ट्रेन को वहां से पहले ही रवाना कर दिया जाता है। आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि ऐसा क्यों किया जाता है। जबकि हॉल्ट टाइमिंग तो आपकी ट्रेन की भी दो ही मिनट थी, फिर इसे ज्यादा देर क्यों खड़ा कर रखा है। इसका जवाब रेलवे के कर्मचारी भी कम ही दे पाते हैं, इसके बारे में जानकारी या तो स्टेशन मास्टर को होती है या फिर सिग्नल में काम करने वाले कर्मचारियों को।

    एक ही समय पर एक जगह-

    रेलवे के सिग्नल विभाग के एक रिटायर कर्मचारी का कहना है कि इसके पीछे लाइन क्लियर ना होने की वजह होती है। वह कहते हैं कि ऐसा सिग्नल लाइन वाले सेक्शन में ही देखने को मिलता है। ऐसे सेक्शन में लगभग एक ही समय पर एक जगह पार करने वाली Train को स्टेशन पर रोक कर एक दूसरे से पार कराया जाता है, जिसे क्रॉसिंग कहते हैं।

    उदाहरण-

    उदाहरण के लिए मान लीजिए ट्रेन A से B की ओर आ रही है वहीं दूसरी ट्रेन C से B की ओर जा रही है। यह तीनों स्टेशन एक सीध में है पूर्व की ओर स्टेशन A है तो वहीं पश्चिम में C और इन दोनों के बीच में B है अब A से आने वाली ट्रेन पहले पहुंच गई। इस ट्रेन को लूप लाइन पर लेकर प्लेटफार्म पर लगा दिया जाएगा, इसके कुछ देर बाद दूसरी दिशा यानी किसी की ओर से आने वाली Train को दूसरे लोग लाइन पर लेकर खड़ा कर दिया जाएगा। उसे वहां से निकाल दिया जाएगा, जबकि इससे पहले पहुंची ट्रेन को कुछ मिनट बाद वहां से रवाना किया जाएगा, सवाल यही है कि ऐसा क्यों होता है।

    2 से 3 मिनट का समय-

    उनका कहना है कि इसकी जानकारी आमतौर पर हर रेलवे कर्मचारी को नहीं मिली होती। यह काम सिग्नल विभाग या फिर स्टेशन मास्टर को ही पता होती है। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा है कि A से चली ट्रेन जैसे ही B स्टेशन पर पहुंची C से आ रही ट्रेन के लिए रास्ता क्लियर कर जा लिया जाता है। अब C से आई Train टोकन लेकर 2 मिनट बाद स्टेशन से चलेगी और A स्टेशन की ओर जाएगी। दूसरी तरफ ट्रेन के लिए मेटल उसके वहां पहुंचने के बाद लिया जाता है। मैटल टोकन को लेने में करीबन 2 से 3 मिनट का समय लगता है। इसी वजह से पहले पहुंचने पर भी स्टेशन A से आई Train बाद में निकलती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो स्टेशन A आ रही ट्रेन के B स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही उसके लिए क्लियर टोकन ले लिया गया था। वही A से ट्रेन भले ही पहले आ गई हो, लेकिन उसके लिए टोकन तभी लिया गया, जब C वाली ट्रेन सेक्शन पर आकर खड़ी हुई।

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    स्टेशन मास्टर से लाइन क्लियर-

    गार्ड या ट्रेन चालक का अपने साथ एक गोला या टोकन लेकर चलते हैं। हर रुकने वाले स्टेशन पर उसे वहां मौजूद स्टेशन मास्टर को देते हैं और वहां से दूसरा टोकन लेकर आगे बढ़ जाते हैं। यह बताता है कि आगे लाइन खाली है, A-B-C के उदाहरण में से समझें तो C से आई Train ने स्टेशन मास्टर कोर्ट टोकन दे दिया, तब उसने A से आई ट्रेन के लिए अगले स्टेशन यानी कि C के स्टेशन मास्टर से लाइन क्लियर मांगी। यह लाइन क्लियर टोकन की मदद से ही दी जाती है। टोकन मिलने के बाद उसे ट्रेन के ड्राइवर को दिया जाता है फिर ट्रेन आगे बढ़ जाती है।

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