VIT Bhopal Student Protest
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    VIT Bhopal Student Protest: मंगलवार देर रात VIT यूनिवर्सिटी भोपाल के कैंपस में जो कुछ हुआ, वह किसी भी शैक्षणिक संस्थान के लिए शर्मनाक है। करीब 4,000 छात्र सड़कों पर उतर आए और उनका गुस्सा इतना बढ़ गया, कि पूरा कैंपस हिंसा की चपेट में आ गया। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में इंदौर-भोपाल हाईवे पर स्थित इस यूनिवर्सिटी में छात्रों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी और यूनिवर्सिटी की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसमें चांसलर का बंगला भी शामिल है।

    लेकिन सवाल यह है, कि आखिर छात्रों को इतना गुस्सा क्यों आया? क्या कारण था, कि पढ़ाई करने आए युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाना पड़ा? जवाब है, कैंपस में तेजी से फैल रहा पीलिया और प्रशासन की पूरी तरह से लापरवाह रवैया।

    गंदे पानी और खराब साफ-सफाई से फैला पीलिया-

    छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में खराब साफ-सफाई और दूषित पानी की वजह से पीलिया तेजी से फैल रहा है। कई छात्र बीमार पड़ चुके हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। एक छात्र ने बताया, “यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन इसलिए बढ़ गया क्योंकि मैनेजमेंट लगातार छात्रों की शिकायतों को दबा रहा था और कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहा था। छात्रों ने बार-बार यूनिवर्सिटी अधिकारियों से पीलिया के प्रकोप और खाने-पानी की गुणवत्ता के बारे में चर्चा करने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस आश्वासन या कार्रवाई नहीं की गई।”

    यह सिर्फ बीमारी का मामला नहीं था, यह छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का मामला था। जब आप अपने बच्चों को किसी संस्थान में पढ़ने भेजते हैं, तो आप उम्मीद करते हैं कि वहां उनकी देखभाल की जाएगी, उन्हें साफ पानी मिलेगा, अच्छा खाना मिलेगा और एक सुरक्षित माहौल मिलेगा। लेकिन VIT भोपाल में छात्रों को यह सब नहीं मिल रहा था।

    शिकायत करने पर मिली धमकियां और मारपीट-

    चौंकाने वाली बात यह है, कि जब छात्रों ने इन समस्याओं को उठाने की कोशिश की, तो उन्हें चुप कराने की कोशिश की गई। हॉस्टल में रहने वाले छात्रों ने दावा किया, कि जब भी उन्होंने ये मुद्दे उठाए, स्टाफ और गार्ड्स ने उनके साथ बुरा व्यवहार किया। उन्हें धमकियां दी गईं और यहां तक कि शारीरिक रूप से हमला भी किया गया ताकि वे चुप रह सकें।

    एक छात्र ने कहा, “यह उपेक्षा, उदासीनता और वैध चिंताओं पर आक्रामक प्रतिक्रिया ने छात्रों के बीच गुस्से को भड़का दिया।” सोचिए, जब आप किसी से मदद मांगते हैं और बदले में आपको मारपीट और धमकियां मिलती हैं, तो आपको कैसा लगेगा? ये छात्र अपने माता-पिता से दूर, एक अनजान शहर में पढ़ाई कर रहे हैं और उन्हें ऐसा बर्ताव झेलना पड़ रहा था।

    रात होते-होते कैंपस में मच गई अफरातफरी-

    शाम ढलते-ढलते पूरा कैंपस अफरातफरी में था। छात्र हॉस्टल और मुख्य प्रवेश द्वार पर इकट्ठा होने लगे। वे मैनेजमेंट के खिलाफ नारे लगा रहे थे और प्रशासन की विफलता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी मांग सीधी थी, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दों को तुरंत संबोधित किया जाए।

    लेकिन जब महीनों से दबाया हुआ गुस्सा फूटता है, तो वह कभी-कभी हिंसक रूप ले लेता है। छात्रों ने कई गाड़ियों में आग लगा दी। यूनिवर्सिटी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। चांसलर का बंगला भी इस हिंसा की चपेट में आया। यह देखना दुखद था, कि एक शैक्षणिक संस्थान में ऐसा माहौल बन गया।

    क्या हिंसा सही थी?

    हिंसा कभी भी समाधान नहीं होती और यह बात बिल्कुल सही है, कि छात्रों को संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए था। लेकिन सवाल यह भी है, कि क्या यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभाई? क्या उन्होंने छात्रों की बात सुनी? क्या उन्होंने समय रहते कदम उठाए?

    जब आप लोगों की शिकायतों को लगातार नजरअंदाज करते हैं, जब आप उन्हें धमकाते हैं और चुप कराने की कोशिश करते हैं, तो गुस्सा बढ़ता ही जाता है। और एक दिन वह फट पड़ता है। VIT भोपाल में यही हुआ। छात्रों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन जब उन्हें कोई सुनने वाला नहीं मिला, तो उनका गुस्सा हिंसा में बदल गया।

    शिक्षण संस्थानों को सीखना होगा सबक-

    यह घटना सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी है। छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से बढ़कर कुछ नहीं है। अगर कैंपस में कोई बीमारी फैल रही है, तो तुरंत एक्शन लेना जरूरी है। साफ पानी, अच्छा खाना और स्वच्छ वातावरण हर छात्र का मूल अधिकार है।

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    सबसे महत्वपूर्ण बात, छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से लेना जरूरी है। उन्हें धमकाना या चुप कराने की कोशिश करना कभी भी समाधान नहीं हो सकता। संवाद का रास्ता हमेशा खुला रखना चाहिए। जब छात्र महसूस करते हैं, कि उनकी बात सुनी जा रही है और उनकी समस्याओं का समाधान हो रहा है, तो वे कभी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाते।

    VIT भोपाल में जो हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अब देखना यह है, कि यूनिवर्सिटी प्रशासन क्या कदम उठाता है। क्या वे छात्रों की समस्याओं का समाधान करेंगे? क्या वे यह सुनिश्चित करेंगे, कि ऐसी घटना दोबारा न हो? यही वक्त बताएगा।

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