Coimbatore: तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के एक निजी स्कूल में दलित समुदाय की एक छात्रा के साथ कथित भेदभाव का मामला सामने आया है। स्कूल प्रबंधन ने आठवीं कक्षा की छात्रा को उसके पहले मासिक धर्म (पीरियड्स) के कारण कक्षा के बाहर बैठकर परीक्षा देने के लिए मजबूर किया। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैल गया है और अधिकारियों द्वारा जांच शुरू कर दी गई है।
Coimbatore क्या है पूरा मामला?
अरुंथतियार समुदाय से संबंधित आठवीं कक्षा की छात्रा को 5 अप्रैल को पहली बार मासिक धर्म आया था। इसके महज दो दिन बाद, 7 अप्रैल को, स्कूल ने उसे विज्ञान की परीक्षा के दौरान कक्षा के बाहर बैठने के लिए कहा। एक दलित कार्यकर्ता के अनुसार, "लड़की ने 7 अप्रैल की शाम को इस घटना के बारे में अपनी मां को बताया। मां बुधवार को स्कूल गईं और देखा कि उनकी बेटी को परीक्षा देने के लिए कक्षा के बाहर बिठाया गया था। उन्होंने अपने मोबाइल कैमरे से इस घटना को रिकॉर्ड किया। बुधवार रात यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।"
➡️A class 8th student of a private school in Coimbatore district, Tamil Nadu was made to sit outside the classroom on steps and take the examinations. As per school management/teachers, this was done as she was having her menstruation (periods).
➡️Menstruation is a normal… pic.twitter.com/CH5EZfysPc— Dr Sudhir Kumar MD DM (@hyderabaddoctor) April 10, 2025
इसी तरह की स्थिति बुधवार को उसके सामाजिक विज्ञान के पेपर के दौरान भी दोहराई गई, जब छात्रा को फिर से कक्षा के बाहर परीक्षा देने के लिए कहा गया। यह दोहरी घटना स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण व्यवहार का संकेत देती है जिसने स्थानीय समुदाय में गुस्सा पैदा कर दिया है।
Coimbatore समुदाय का आक्रोश और कार्रवाई की मांग-
वीडियो के वायरल होने के बाद, गांव के लोगों ने पोल्लाची उप-जिलाधिकारी के साथ बैठक करने की योजना बनाई है। वे स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सिर्फ भेदभाव का मामला ही नहीं है, बल्कि एक युवा लड़की के मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है।
एक स्थानीय महिला अधिकार कार्यकर्ता ने कहा, "मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसे लेकर अभी भी हमारे समाज में शर्म और अंधविश्वास का माहौल है। स्कूलों को इस तरह के रूढ़िवादी विचारों को बढ़ावा देने के बजाय उन्हें खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। छात्रा के साथ जो व्यवहार किया गया, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।"
Coimbatore प्रशासन का प्रतिक्रिया-
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, कोयंबटूर के जिला कलेक्टर पवनकुमार जी. गिरियप्पनवार ने पुष्टि की है कि कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि मैट्रिकुलेशन स्कूलों के इंस्पेक्टर को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। कलेक्टर ने कहा, "हमने मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों और सभी स्कूलों को मासिक धर्म संबंधी जागरूकता के बारे में निर्देश जारी किए जाएंगे।"
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। ऐसे मामलों में शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी। स्कूलों को समावेशी वातावरण बनाने और सभी छात्रों के साथ समान व्यवहार करने की जिम्मेदारी है।"
सामाजिक परिप्रेक्ष्य-
भारत में मासिक धर्म को लेकर अभी भी कई सामाजिक टैबू हैं, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में। इस घटना ने फिर से इस मुद्दे पर चर्चा छेड़ दी है कि कैसे पीरियड्स से जुड़े अंधविश्वास और भेदभाव युवा लड़कियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। सामाजिक विशेषज्ञ डॉ. सुनीता राव के अनुसार, "दलित समुदाय की लड़कियां अक्सर दोहरे भेदभाव का सामना करती हैं - एक तो जाति के आधार पर और दूसरा लिंग के आधार पर। स्कूलों में मासिक धर्म शिक्षा और जागरूकता पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। शिक्षकों और प्रशासकों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।"
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आगे क्या?
इस घटना के बाद, जिला प्रशासन ने सभी स्कूलों के लिए एक दिशानिर्देश जारी करने का फैसला किया है जिसमें मासिक धर्म से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए उचित प्रोटोकॉल शामिल होंगे। साथ ही, स्कूलों में जेंडर सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है। अब सवाल यह है, कि क्या इस तरह के प्रयास वास्तव में सदियों पुरानी मान्यताओं और प्रथाओं को बदलने में मदद करेंगे? क्या स्कूल वास्तव में सभी छात्रों के लिए समावेशी और सुरक्षित स्थान बन पाएंगे? इन सवालों के जवाब समय ही बताएगा, लेकिन यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती है कि हमारे समाज में कितना कुछ बदलने की जरूरत है।
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