Zirakpur Bypass: दिल्ली और उत्तर प्रदेश से हिमाचल प्रदेश जाना-आना अब और भी आसान होने वाला है। केंद्र सरकार ने जीरकपुर बाईपास के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जिससे इस क्षेत्र में यात्रा करने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना न केवल दिल्ली और यूपी के यात्रियों को फायदा पहुंचाएगी, बल्कि चंडीगढ़, पंचकूला, मोहाली और आसपास के क्षेत्रों के निवासियों के लिए भी वरदान साबित होगी।
Zirakpur Bypass एक नज़र में-
हाल ही में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित इस महत्वपूर्ण परियोजना की लंबाई 19.2 किलोमीटर होगी और इसका निर्माण लगभग 1878 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। यह बाईपास जीरकपुर से पंचकूला तक फैला होगा, जिसमें से 6 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड होगा। सरकार का लक्ष्य इस परियोजना को अगले दो साल में पूरा करना है, जिससे 2027 तक इस क्षेत्र के लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात मिल सकेगी।
➤ #Cabinet approves Construction of 6 lane access controlled Zirakpur Bypass with Length of 19.2 Km worth Rs.1878.31 crore in Punjab and Haryana on Hybrid Annuity Mode
— PIB India (@PIB_India) April 9, 2025
➤ The primary purpose of the project is to ease up congestion in Zirakpur, Panchkula and surrounding areas by… pic.twitter.com/kidLYOodG4
क्यों है यह Zirakpur Bypass जरूरी?
वर्तमान समय में, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से हिमाचल प्रदेश जाने वाले वाहन चालकों को जीरकपुर से होकर गुजरना पड़ता है। इसी तरह, चंडीगढ़ और पंचकूला के निवासियों को भी अपनी दैनिक यात्राओं में जीरकपुर के मार्ग से गुजरना होता है। एनएच-5 और एनएच-7 दोनों ही चार-चार लेन के होने के बावजूद, इस क्षेत्र में रोजाना लगभग 45,000 वाहनों का आवागमन होता है, जिससे भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है।
जीरकपुर बाईपास के निर्माण के बाद, इन वाहन चालकों को शहर के अंदर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। दिल्ली, यूपी और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों से आने वाले वाहन चालक एनएच-5 और एनएच-7 के माध्यम से बाईपास तक पहुंचेंगे और फिर बाईपास के रास्ते सीधे पंचकूला जा सकेंगे। वहां से वे आसानी से हिमाचल प्रदेश की ओर अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं।
Zirakpur Bypass परियोजना की विशेषताएं और लाभ-
इस नए बाईपास का निर्माण हाइब्रिड मोड में किया जाएगा, जिसका मतलब है कि यह आधुनिक तकनीकों और सुविधाओं से लैस होगा। खास बात यह है कि निर्माण के बाद 15 साल तक इसका रखरखाव निर्माण कंपनी द्वारा ही किया जाएगा, जिससे सड़क की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। इस परियोजना से न केवल यात्रा समय में कमी आएगी, बल्कि ईंधन की खपत भी कम होगी, जिससे यात्रियों के पैसों की बचत होगी। साथ ही, वाहनों के प्रदूषण में भी कमी आएगी, क्योंकि वाहनों को जाम में फंसकर अतिरिक्त ईंधन जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
चंडीगढ़, जीरकपुर और पंचकूला के निवासियों के लिए यह बाईपास विशेष रूप से फायदेमंद होगा, क्योंकि उन्हें अपनी दैनिक यात्राओं में लगने वाले समय में काफी कमी आएगी। साथ ही, पर्यटकों के लिए हिमाचल प्रदेश की यात्रा और भी सुगम हो जाएगी, जिससे राज्य के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
परियोजना का प्रभाव-
इस बाईपास का निर्माण न केवल यातायात प्रवाह को सुचारू करेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा। निर्माण कार्य के दौरान बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे, और परियोजना के पूरा होने के बाद इस क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, आपातकालीन सेवाओं जैसे एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड के लिए भी यह बाईपास वरदान साबित होगा, क्योंकि वे बिना किसी देरी के अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।
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जीरकपुर बाईपास परियोजना-
जीरकपुर बाईपास परियोजना एक महत्वाकांक्षी कदम है जो दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के बीच संपर्क को मजबूत करेगा। इससे न केवल यात्रा समय और लागत में कमी आएगी, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान मिलेगा। सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक इस परियोजना को पूरा करके जनता को इसका लाभ दिया जा सके। यह परियोजना आधुनिक भारत के बुनियादी ढांचे के विकास का एक उदाहरण है, जो देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने और नागरिकों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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