Delhi Mahila Samriddhi Yojana
    Photo Source - Google

    Rekha Gupta: "काम ही पहचान" के मंत्र के साथ राजनीति में अपनी पहचान बनाने वाली रेखा गुप्ता को बुधवार को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना गया। 41 वर्षीय गुप्ता भले ही पहली बार विधायक बनी हैं, लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव तीन दशकों से भी ज्यादा का है। शालीमार बाग से करीब 30,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल करने वाली गुप्ता ने अपनी राजनीतिक यात्रा दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से शुरू की थी।

    Rekha Gupta छात्र नेता से मुख्यमंत्री तक-

    दौलत राम कॉलेज से स्नातक रेखा गुप्ता ने 1996-97 में डीयूएसयू की अध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 2007 में वे पहली बार नॉर्थ पीतमपुरा से पार्षद चुनी गईं। तीन बार पार्षद रहीं और साउथ दिल्ली नगर निगम की मेयर भी रहीं। 2022 में एमसीडी के मेयर चुनाव में आप की शैली ओबेरॉय के खिलाफ भाजपा की उम्मीदवार थीं। वर्तमान में वे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और दिल्ली भाजपा की महासचिव भी रह चुकी हैं।

    Rekha Gupta महिला नेतृत्व की परंपरा-

    रेखा गुप्ता की नियुक्ति के साथ दिल्ली में महिला मुख्यमंत्रियों की परंपरा को एक नया आयाम मिला है। इससे पहले शीला दीक्षित ने 15 साल तक, सुषमा स्वराज ने 1998 में कुछ महीनों तक, और आतिशी ने पिछले पांच महीनों तक दिल्ली का नेतृत्व किया। अरविंद केजरीवाल के सितंबर 2024 में इस्तीफा देने के बाद आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

    भाजपा की महिला-केंद्रित रणनीति-

    70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए भाजपा ने नौ महिला उम्मीदवार उतारी थीं, जिनमें से चार जीतीं। 2025 के विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही - महिलाओं का मतदान प्रतिशत 60.92% रहा, जबकि पुरुषों का 60.21%। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में महिला-केंद्रित योजनाओं पर विशेष जोर दिया, जिसमें महिला समृद्धि योजना के तहत 2,500 रुपये की मासिक सहायता और गर्भवती महिलाओं के लिए 21,000 रुपये के साथ छह पोषण किट देने का वादा शामिल है।

    ये भी पढ़ें- महाकुंभ मेले में भारी भीड़ के बीच एक नई पहल, जानें कैसे स्टूडेंट्स रोज़ाना कमा रहे…

    एक नई शुरुआत-

    रेखा गुप्ता को विवादों से दूर एक ताजा चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा और पार्टी में नीचे से ऊपर तक का सफर तय किया है। भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर न केवल एक गैर-विवादास्पद नेता को चुना है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का संदेश भी दिया है।

    ये भी पढ़ें- KIIT सुसाइड केस में चौंकाने वाला ऑडियो आया सामने, मौत से पहले का..