Triveni Sangam
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    Triveni Sangam: महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान के बीच त्रिवेणी संगम का जल स्नान के लिए अनुपयुक्त पाया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, जल में जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक है। जल की गुणवत्ता मापने का यह महत्वपूर्ण मापदंड बताता है कि वर्तमान में संगम का जल स्नान के मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है।

    Triveni Sangam BOD स्तर में उतार-चढ़ाव-

    सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 16 जनवरी को सुबह 5 बजे संगम में BOD का स्तर 5.09 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो 18 जनवरी शाम 5 बजे 4.6 मिलीग्राम प्रति लीटर और 19 जनवरी सुबह 8 बजे 5.29 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। जबकि स्नान के लिए उपयुक्त जल में BOD का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को BOD 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो मकर संक्रांति पर सुधरकर 2.28 और 15 जनवरी को 1 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गया था।

    Triveni Sangam प्रशासन के प्रयास-

    उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए गंगा में 10,000 से 11,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। महाकुंभ नगर, जो दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है, किसी भी समय 50 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालुओं को समायोजित कर सकता है। इन तीर्थयात्रियों से प्रतिदिन लगभग 16 मिलियन लीटर मल अपशिष्ट और 240 मिलियन लीटर ग्रे वाटर उत्पन्न होता है।

    स्वच्छता की नई पहल-

    उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 2019 के अर्धकुंभ की तुलना में इस बार स्वच्छता व्यवस्था में काफी सुधार किया गया है। पहली बार 1.5 लाख व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है और दो मल कीचड़ उपचार संयंत्र स्थापित किए गए हैं। अपशिष्ट जल के प्रबंधन के लिए 200 किलोमीटर लंबी अस्थायी जल निकासी नेटवर्क भी स्थापित की गई है।

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    महाकुंभ का महत्व-

    13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। अब तक 54 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं। हालांकि जल गुणवत्ता की चुनौतियां चिंता का विषय बनी हुई हैं, प्रशासन लगातार स्थिति में सुधार के लिए प्रयासरत है।

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