Repo Rate
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    Repo Rate: शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती का ऐलान किया है। उम्मीद से काफी ज्यादा है यह कटौती और इससे सकारात्मक असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने नीतिगत दर को घटाकर 5.50 प्रतिशत कर दिया है।

    यह लगातार तीसरी बार है जब RBI ने ब्याज दरों में कमी की है। इस साल 2025 में अब तक RBI ने कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जिसका मकसद वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देना है। व्यापारिक युद्ध की चिंताओं और अन्य अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के कारण यह कदम उठाना जरूरी हो गया था।

    Repo Rate पहले भी मिली थी दरों में छूट-

    RBI ने पहली बार फरवरी 2025 में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, जो मई 2020 के बाद पहली कटौती थी। इसके बाद अप्रैल में भी इसी तरह की कटौती हुई थी। अब जून में 50 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती से साफ पता चलता है कि RBI अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए गंभीर है।

    इस फैसले के साथ ही स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर अब 5.25 प्रतिशत हो गई है, जबकि सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर और बैंक दर 5.75 प्रतिशत हो गई है। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि 100 बेसिस पॉइंट की तेजी से कटौती के बाद अब मौद्रिक नीति के पास विकास को सहारा देने की सीमित गुंजाइश बची है।

    Repo Rate महंगाई की चिंता कम, विकास दर बरकरार-

    RBI ने अपने रुख को 'समायोजनकारी' से बदलकर 'तटस्थ' कर दिया है। गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि अब MPC भविष्य की नीति तय करने के लिए आर्थिक आंकड़ों और बदलते हालात का सावधानीपूर्वक आंकलन करेगी। महंगाई के मोर्चे पर स्थिति संभलने से RBI को यह बड़ा कदम उठाने का मौका मिला है।

    महंगाई दर के अनुमान को RBI ने घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 4 प्रतिशत का अनुमान था। यह खुशी की बात है क्योंकि कम महंगाई का मतलब है कि आम लोगों की जेब पर कम दबाव पड़ेगा। विभिन्न तिमाहियों के लिए महंगाई के अनुमान में भी बदलाव किया गया है, जिससे साफ पता चलता है कि RBI की नजर हर पहलू पर है।

    वहीं दूसरी तरफ, RBI ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक GDP विकास दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। सभी तिमाहियों के लिए विकास दर के अनुमान भी वही रखे गए हैं जो पहले थे। भारतीय अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक जोखिमों के बावजूद मजबूत बनी हुई है।

    CRR में भी बड़ी कटौती की घोषणा-

    RBI ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 100 बेसिस पॉइंट की भारी कटौती का ऐलान किया है। अब CRR घटकर 3 प्रतिशत हो गया है। इसका मकसद नीतिगत बदलाव को तेजी से आगे बढ़ाना और उधार देने की प्रक्रिया को बढ़ावा देना है।

    सितंबर से नवंबर तक चार बराबर हिस्सों में यह कटौती की जाएगी। इससे 2.5 लाख करोड़ रुपए की तरलता बैंकिंग व्यवस्था में आएगी। गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि इससे न केवल स्थायी तरलता मिलेगी, बल्कि बैंकों की फंडिंग लागत भी कम होगी। इसका फायदा सीधे क्रेडिट मार्केट तक पहुंचेगा। CRR वह अनुपात है जो बैंकों को अपनी जमा राशि का एक हिस्सा नकद के रूप में अलग रखना पड़ता है। इसमें कमी से बैंकों के पास उधार देने के लिए ज्यादा पैसा उपलब्ध होगा।

    असुरक्षित लोन की समस्या में सुधार-

    गवर्नर ने बताया कि असुरक्षित लोन और क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में पहले जो तनाव था, वह अब कम हो गया है। हालांकि माइक्रो फाइनेंस सेगमेंट में अभी भी चिंताएं बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में काम करने वाले बैंक और NBFC पहले से ही अपने बिजनेस मॉडल को दुरुस्त कर रहे हैं।

    क्रेडिट अंडरराइटिंग की प्रक्रिया को मजबूत बनाया जा रहा है और वसूली की कोशिशें भी तेज की जा रही हैं। इसका मकसद भविष्य में किसी भी तरह के अत्यधिक जोखिम से बचना है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि वित्तीय व्यवस्था की सेहत सुधर रही है।

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    आम लोगों के लिए क्या मतलब-

    इस बड़ी दर कटौती का मतलब है कि होम लोन, कार लोन और अन्य तरह के लोन अब सस्ते हो जाएंगे। व्यापारियों को भी कम ब्याज दर पर पैसा मिलेगा, जिससे उनका बिजनेस बढ़ सकता है। सेविंग अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट की दरें भले ही कम हो जाएं, लेकिन कुल मिलाकर यह फैसला अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है। RBI का यह कदम दिखाता है, कि केंद्रीय बैंक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक अनिश्चितता के बीच यह एक साहसिक निर्णय है जो आने वाले महीनों में इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे।

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