Diesel Hydrogen Train: हाल ही में उत्तर रेलवे ने विश्व धरोहर रेल सेक्शन कालका-शिमला ट्रेन शताब्दी की तर्ज पर चलाई गई। स्वचालित डीजल हाइड्रोजन मल्टीपल यूनिट ट्रेन का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है। कालका से शिमला के सफर का समय अब 2 घंटे कम हो जाएगा। 96 किलोमीटर के सफर को पूरा करने में महज़ 4 घंटे का समय लगने वाला है या फिर 22 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से किए गए परीक्षण के दौरान ट्रेन में 4 घंटे में अपना सफर पूरा किया।
इसकी क्षमता 30 किलोमीटर प्रति घंटे है। लेकिन रेल सेक्शन पर कुछ घुमावदार मोड़ हैं, जिसकी वजह से गति पर ट्रेन का संचालन रेलवे के लिए चुनौतीयों भरा होने वाला है। हालांकि रेलवे इस योजना के लिए कालका से शिमला तक का सफर यात्रियों के लिए समय में काफी बचत करने वाला है। ज्यादा से ज्यादा यात्री क्षेत्र में सफर कर पाएंगे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे।
सड़क मार्ग पर दबाव-
रेलवे के अधिकारी का कहना है कि जिस प्रकार सड़क मार्ग पर दबाव बढ़ता जा रहा है और शिमला जाने वाले वाहन सड़क पर ही फंस जाते हैं। ऐसे में यह ट्रेन एक नया आयाम स्थापित करेगी, जिससे की यह यात्रियों की पहली पसंद बन जाएगा।स्वचालित डीजल हाइड्रोलिक मल्टीप्ल यूनिट का प्रशिक्षण अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन आरडीएसओ बेंगलुरु के अधिकारियों की निगरानी में किया जा रहा है। जहां पर पहले ही ट्रेन का परीक्षण खाली डिब्बों के साथ किया गया था। अब इसका परीक्षण यात्री क्षमता के आधार पर किया जाने वाला है। जानकारी के मुताबिक, ट्रेन में एक साथ 61 यात्रियों के बैठने की क्षमता के तीन डब्बे है। इसलिए यात्रियों की संख्या के आधार पर वजन का इस्तेमाल करते हुए परिक्षण किया जाएगा।
अवल स्तर पर सुविधाएं-
जिससे कि यह देखा जा सके की इंजन बिना किसी गड़बड़ी का चल पाता है या फिर नहीं। अगर यह सफल हुआ तो फिर से ट्रेन का संचालन यात्रियों के लिए शुरू किया जाएगा। मोटर कार के अलावा टॉय ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। इन ट्रेनों में सिर्फ नाम मात्र सुविधाएं हैं। लेकिन स्वचालित हाइड्रोलिक मल्टीप्ल यूनिट में अवल स्तर पर सुविधाएं दी जाएंगी। जिससे जो की शताब्दी एक्सप्रेस में मिलती है, तो ट्रेन की सीटें भी काफी आरामदायक होने वाली है। वहीं इसमें वाईफाई और एयर कंडीशनर के अलावा बोतल होल्डर, फायर अलार्म, लाइट समेत कई खूबियां शामिल है।
ऐतिहासिक कालका शिमला रेलवे मार्ग-
विश्व धरोहर में शामिल ऐतिहासिक कालका शिमला रेलवे मार्ग 120 साल का हो जाएगा। 9 नवंबर 1903 को कालका शिमला रेल मार्ग की शुरुआत की गई थी। अपने 118 वर्षों के सफर में यह रेल मार्ग अपने इतिहास को संजोय हुए हैं। यह रेल मार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला मंडल में आता है। देश-विदेश के सैलानी यहां पर इसी रेल मार्ग से ट्रेन में सफर का मज़ा उठाते हैं। 1896 में रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली अंबाला कंपनी को सौंपा गया था। तीसरी लाइन पर बनी 103 सुरंगे सफर को रोमांचक बनाने में मदद करती हैं। बड़ोदा रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोद सुरंग सबसे लंबी है, इसकी लंबाई 1143.61 मीटर है। सुरंग क्रॉस करने में टॉय ट्रेन ढाई घंटे का समय लेती है।
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869 छोटे बड़े पुल बनाए-
रेल मार्ग पर 869 छोटे बड़े पुल बनाए गए हैं, मेट्रो के मुद्दों पर 48 डिग्री पर घूमाव है। कालका शिमला रेल मार्ग नेहरू गेट लाइन है, इसमें पटरी की चौड़ाई 2 फीट 6 इंच होगी। इसके अलावा स्वचालित डीजल हाइड्रोलिक मल्टीप्ल यूनिट का परीक्षण 22 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से किया गया। ट्रेन में कालका से शिमला तक पहुंचने में 4:30 घंटे का समय लगा। जबकि पहले से संचालित ट्रेन 4:30 से 6 घंटे का समय लेती है। नई ट्रेन के संचालन से यात्रियों के समय की बचत होगी और उन्हें सफर के दौरान शताब्दी एक्सप्रेस जैसी अनुभूति होगी। कालका शिमला रेल लाइन के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने जुलाई 2008 में एक विश्व धरोहर में शामिल कर दिया था। कन्नूर रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक मार्च गैलरी पुल 1898 में बना था। यह पल 64.76 किलोमीटर पर मौजूद है।
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