America No Kings Movment
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    America No Kings Movement: अमेरिका के इतिहास में शायद ही कभी ऐसा दिन आया हो, जब इतनी बड़ी संख्या में लोग एक साथ सड़कों पर उतरे हों। No Kings यानी कोई राजा नहीं, यह नारा अब अमेरिकी लोकतंत्र का प्रतीक बन चुका है। इस आंदोलन का उद्देश्य है, सत्ता के केंद्रीकरण और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशासनिक नीतियों के खिलाफ जनता की आवाज़ को बुलंद करना। ब्रिटिश अख़बार The Guardian की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के सभी 50 राज्यों में करीब 2,500 से अधिक जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। वॉशिंगटन डी.सी. से लेकर न्यूयॉर्क, बोस्टन और छोटे-छोटे कस्बों तक, लोग एक ही बात कह रहे हैं, “लोकतंत्र किसी राजा की जागीर नहीं।”

    ‘No Kings’ आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई-

    इस आंदोलन की जड़ें जून में हुए एक विशाल प्रदर्शन में हैं, जब लाखों लोग ट्रंप प्रशासन द्वारा अमेरिकी शहरों में संघीय बलों की तैनाती के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। उस दिन से “No Kings Coalition” नामक समूह ने देशभर में लोगों को संगठित किया और अब यह आंदोलन एक राष्ट्रीय जन-आवाज़ बन गया है। आयोजकों का कहना है, कि यह आंदोलन “Pro-Democracy और Pro-Worker” है यानी लोकतंत्र और श्रमिक अधिकारों के समर्थन में है। यह सिर्फ किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं बल्कि सत्ता के अतिरेक और संविधान की सीमाओं के उल्लंघन के खिलाफ एक जनआंदोलन है।

    हर राज्य में एक ही रंग-

    इस आंदोलन का प्रतीक रंग है पीला (Yellow), जो विश्वभर में लोकतंत्र की लड़ाई का रंग माना जाता है। यूक्रेन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी यही रंग स्वतंत्रता की पहचान रहा है। आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों से कहा है कि वे पीले रंग के कपड़े पहनें ताकि यह संदेश साफ हो, “हम सब एक हैं, किसी राजा के गुलाम नहीं।” The Guardian की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून के प्रदर्शन में 20 से 50 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था। आयोजक उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार यह संख्या इससे भी ज्यादा होगी और यह 2017 के Women’s March से भी बड़ा साबित हो सकता है।

    3.5% रूल और जनता की ताकत-

    “No Kings” आंदोलन की रणनीति एक सामाजिक विज्ञान सिद्धांत “3.5% रूल” से प्रेरित है। हार्वर्ड की राजनीतिक वैज्ञानिक एरिका चेनोंवेथ और मारिया स्टीफन के अनुसार, अगर किसी देश की 3.5% आबादी शांतिपूर्ण विरोध में शामिल हो जाए, तो सरकार या तो अपना रुख बदल देती है या फिर सत्ता से बाहर हो जाती है। हालांकि अमेरिका में यह संख्या करीब 11 मिलियन लोगों के बराबर है, आयोजकों का मानना है, कि यह आंकड़ा प्रतीकात्मक है। उद्देश्य है, लगातार और सक्रिय नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना।

    सरकार की प्रतिक्रिया और सियासी बयानबाजी-

    ट्रंप प्रशासन ने इस प्रदर्शन पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है, लेकिन रिपब्लिकन नेताओं ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया है। कुछ मंत्रियों ने बिना सबूत यह दावा किया है, कि प्रदर्शनकारी “पैसे लेकर विरोध कर रहे हैं।” दूसरी ओर, आंदोलन के आयोजकों ने इसे “शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध” करार देते हुए कहा है, कि यह सत्ता के अधिनायकवादी रुझान के खिलाफ जनता का वैध प्रतिरोध है।

    शांति और सुरक्षा पर विशेष ध्यान-

    देशभर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। टेक्सास सहित कई राज्यों में नेशनल गार्ड तैनात किए गए हैं, वहीं संघीय अधिकारी सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे। “No Kings Coalition” ने प्रतिभागियों को “Know Your Rights” नामक बुकलेट वितरित की है और हजारों लोगों को ऑनलाइन सेफ्टी ट्रेनिंग भी दी गई है। आयोजक स्पष्ट कर चुके हैं, कि यह आंदोलन पूरी तरह अहिंसक रहेगा।

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    लोकतंत्र की परीक्षा का दिन-

    “No Kings” आंदोलन सिर्फ नीतियों या फैसलों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी लोकतंत्र की आत्मा की परीक्षा है। यह उस विचार का प्रतीक है, जिस पर अमेरिका की नींव रखी गई थी, कि कोई भी व्यक्ति राजा नहीं हो सकता और सत्ता हमेशा जनता की होनी चाहिए। चाहे इस आंदोलन से तत्काल राजनीतिक बदलाव आए या नहीं, यह निश्चित रूप से अमेरिकी इतिहास में दर्ज होगा, एक ऐसा दिन जब जनता ने यह साबित किया, कि लोकतंत्र में राजा नहीं, नागरिक सर्वोपरि होते हैं।

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