10 Safest Cities: भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी NCRB ने इस महीने की शुरुआत में ही सबसे सुरक्षित भारतीय शहरों की लिस्ट जारी की थी। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता लगातार तीसरे साल भारत के सबसे सुरक्षित शहरों के रूप में उभरी है। NCRB द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, कोलकाता में 2022 में प्रति लाख लोगों पर अपराध के 78.2 मामले दर्ज किए गए हैं। जिसके बाद चेन्नई में 173.5 और कोयंबटूर में 211.2 मामले दर्ज किए गए। NCRB के अनुसार, कौन से शहर भारत के सबसे सुरक्षित शहर हैं आईए जानते हैं-
पहले और दूसरे स्थान पर-
सुरक्षित शहरों की बात की जाए, तो इसमें सबसे पहले स्थान पर कोलकाता है, कोलकाता 2022 में प्रति लाख पर 78.2 संज्ञेय अपराध के मामले दर्ज किए गए। जिसके साथ देश का कोलकाता सबसे सुरक्षित बना रहा। सुरक्षित शहरों में दूसरे स्थान की बात की जाए तो भारत में दूसरे सबसे सुरक्षित शहर के रूप में चेन्नई को रखा गया है, इसमें 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के 173.5 मामले दर्ज किए गए थे।
तीसरे और चौथे स्थान पर-
तीसरे स्थान पर तमिलनाडु का कोयंबटूर है, यहां पर 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञान अपराध के 211.2 मामले दर्ज किए गए, जिसके साथ यह लिस्ट में तीसरे स्थान पर है। चौथे शहर की बात की जाए तो इसमें अहमदाबाद से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सूरत में 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के लगभग 215.3 मामले दर्ज किए गए थे।
पांचवे और छठे स्थान पर-
वही पाचवे नंबर पर पुणे में मुंबई की तुलना में 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के 219.3 मामले दर्ज किए गए। वहीं छठे स्थान पर 2022 में प्रति लाख लोगों पर 266.7 संज्ञेय मामलों के साथ हैदराबाद छठे नंबर पर रहा।
सातवें और आठवे स्थान पर-
इसके अलावा देश की आईटी राजधानी में 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के 337.3 मामले दर्ज किए गए, जिसके साथ बेंगलुरु सातवें स्थान पर है। गुजरात के मध्य में मौजूद अहमदाबाद शहर में 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के लगभग 360.1 मामले दर्ज किए गए।
नौवे और दसवे स्थान पर-
वहीं सपनों के शहर मुंबई की बात की जाए, तो इसमें 2022 में प्रति लाख लोगों पर संज्ञान अपराध के 376 मामले दर्ज किए गए जिसके साथ यह नौवे स्थान पर रहा। वहीं लिस्ट में आखरी शहर की बात की जाए तो कोझीकोड प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय अपराध के 397.5 मामलों के साथ दसवें स्थान पर रहा।
क्या हैं संज्ञेय अपराध-
संज्ञेय अपराधों की बात की जाए तो यह अपराध, वह अपराध होते हैं जिनके लिए भारतीय दंड संहिता और एसएलएल की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं। 2021 में कोलकाता के प्रति लाख लोगों पर संज्ञेय आपराध के 103.4 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2020 में मामले 129.5 रहे।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो-
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ही यह तय करती है कि कहां रहना है या यात्रा करनी है, निवासीयों के समान रूप से स्थान की सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देते हैं। जिस पर वह विचार कर रहे हैं, जब अपने निवासियों के स्वास्थ्य और खुशी की सुरक्षा की बात आती है तो भारत के कई शहरों ने काफी प्रगति हासिल की है। प्रभावी कानून परिवर्तन और समुदाय की सक्रिय भागीदारी की वजह से इन शहरों ने देश में सबसे सुरक्षित शहरों में से एक होने की प्रतिष्ठा अर्जित की है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो हर साल एक डाटा जारी करती है, जो कि देश में सबसे सुरक्षित और सबसे असुरक्षित देश को दर्शाता है। भारत में अपराध 2022 के शीर्ष रिपोर्ट जारी किए गए। इसमें देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का डाटा दिखाया है।
सपनों का शहर मुंबई-
वहीं देश की आर्थिक राजधानी और महाराष्ट्र की राजधानी की तस्वीर बदल गई। मुंबई कई लोगों के लिए सपनों का शहर है, छोटे से गांव के लोग एक सपना लेकर शहर में आते हैं और अपने सपने के लिए बहुत प्रयास भी करते हैं। मुंबई को लड़कियों के लिए सबसे सुरक्षित शहर भी बताया गया। हालांकि सर्वेक्षण में मुंबई की रैंकिंग में गिरावट जारी है। सेफ सिटी इंडेक्स में सुरक्षा के मामले में मुंबई को 7 शहरों में से 5वां स्थान दिया है। वही मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद से सुरक्षित शहरों की रैंकिंग में मुंबई लगातार गिरता जा रहा है।
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कोलकाता-
इसके साथ ही कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराध प्रति लाख जनसंख्या पर 27.1 थी जो की कोयंबटूर और चेन्नई से ज्यादा थी। क्योंकि कोयंबटूर में महिलाओं के प्रति लाख जनसंख्या पर 12.9 और चेन्नई में 17.1 मामले थे। इस साल पूर्वी महानगर में भी हिंसा अपराधों की गिरावट देखी गई और सिर्फ हत्या के 34 मामले दर्ज किए गए, जो कि पिछले साल 45 से कम थे। रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता में 2022 में 11 बलात्कार दर्ज किए गए थे। इनकी संख्या कम 2021 में भी दर्ज हुई थी। NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अपराध 2022 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसी से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं।
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