Mahua Moitra: कैश फॉर क्वेरी केस मामले में लोकसभा में कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित कर दिया गया। जिसके बाद उनकी संसद की सदस्यता चली गई। उनका कहना है कि उनके खिलाफ सबूत नहीं है, अडानी का मुद्दा उठाया था और आगे भी उठाती रहूंगी। किसी भी उपहार की नकदी का कोई सबूत नहीं है। महुआ मोइत्रा का कहना है कि निष्कासन की सिफारिश पूरी तरह से इस आधार पर है कि मैंने अपना पोर्टल लोगिन साझा किया है। इसे कंट्रोल करने के लिए कोई भी नियम नहीं है। निष्कासित करने का कोई अधिकार एथिक्स कमेटी के पास नहीं है।
विपक्षी सांसद परिषद से वर्कआउट-
यह आपके अंत की शुरुआत है, उनका कहना है कि अगर मोदी सरकार ने सोचा है कि मुझे चुप करा कर अडानी के मुद्दे को खत्म कर देंगे, तो मैं आपको बता दूं कि आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। वह दर्शाता है कि आपके लिए अदानी कितना जरूरी है। आप एक महिला संसद को हद तक परेशान कर सकते हैं। महुआ मोइत्रा की सांसद सदस्यता जाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्षी सांसद परिषद से वर्कआउट कर गए।
टीएमसी सांसद सुदीप बौद्ध उपाध्याय-
रिपोर्ट को लेकर लोकसभा में चर्चा हुई, टीएमसी सांसद सुदीप बौद्ध उपाध्याय ने अनुरोध किया कि महुआ मोइत्रा को सदन के सामने अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जाए। सदस्यता को लेकर स्पीकर ओम बिरला का कहना है कि यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि संसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनिए था। इसीलिए उनका सांसद बना रहना ठीक नहीं है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का कहना है जैसा कि अभिरंजन ने कहा यदि हमने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेने के लिए तीन से चार दिन का समय लिया होता और फिर संसद के सामने अपनी राय रखी होती तो आसमान नहीं गिर जाता।
न्याय प्रणाली का आयोजन सिद्धांत-
क्योंकि सदन एक बेहद संवेदनशील मामले पर फैसला लेने जा रहा है। क्या आचार समिति की प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांत को समाप्त कर सकती है, जो दुनिया की हर न्याय प्रणाली का आयोजन सिद्धांत है। उनका कहना है कि हमने अखबार में जो पढ़ा जिसे अभियुक्त बनाया गया है। उन्हें अपनी बात रखने का अवसर तक नहीं दिया गया। यह कैसी प्रक्रिया है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने टीएनसी सांसद महुआ पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अधिवक्ता जैन अनंत का पत्र दिखाया था, जिसमें दावा किया गया है कि घूस का लेनदेन महुआ तथा हीरानंदानी के बीच हुआ।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे-
आरोप लगने के बाद महुआ ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और जय अनंत को कानूनी नोटिस भेज दिया, महुआ ने आरोप को बेबुनियादी बताया था। दरअसल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए संसद में अपनी लॉगिन आईडी उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी को दे दी थी महुआ मात्र से सवाल पूछने के लिए पैसे लेने के आप से इनकार किया हालांकि उन्होंने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी को अपना संसदीय लॉगिन आईडी पासवर्ड देने की बात स्वीकार कर दी।
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बीएसपी सांसद दानिश अली-
इस सब के बीच बीएसपी सांसद दानिश अली का कहना है कि अगर रिपोर्ट पेश की जाती है, तो वह पूर्ण चर्चा पर जोर देंगे। क्योंकि मसौदा ढाई मिनट में अपनाया गया। इसे पहले समिति के अच्छे सदस्य ने रिपोर्ट के पक्ष में अपना वोट दिया था। विपक्ष के चार सदस्यों ने इस पर सहमति जताते हुए विरोध में वोट दिया। उन्होंने उसे फिक्स्ड मैच कहा।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा-
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के लोकसभा सदस्य के रूप में निष्कासन पर बीएसपी सांसद दानिश अली ने कहा कि मैं यह पोस्ट इसलिए लगाया है, जिसे समिति ने अपनी सिफारिश में मेरा भी उल्लेख किया है। क्योंकि मैं उन्हें न्याय दिलाना चाहता हूं, वहीं निष्कासन पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि यह आधारहीन तत्वों के आधार पर और बदले की भावना से किया गया है। शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जिन्होंने आरोप लगाया है वह तो दुबई में बैठे हैं।
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