Reel Shooting Controversy
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    Reel Shooting Controversy: नवी मुंबई पुलिस ने एक चौंकाने वाला मामला सुलझाया है जिसमें एक 17 वर्षीय लड़के ने कथित तौर पर रील शूटिंग के दौरान हुए विवाद के बाद 12 वर्षीय बच्ची की हत्या कर दी। शिरवाणे एमआईडीसी के जंगल क्षेत्र में गंभीर सिर की चोटों के साथ लड़की मिली थी, जिसे तुरंत डी वाई पाटिल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

    Reel Shooting Controversy हत्या का खुलासा-

    पुलिस की जांच के अनुसार, लड़की की मौत पत्थर से सिर पर की गई चोटों के कारण हुई। इस अपराध के सिलसिले में एक 17 वर्षीय लड़के को गिरफ्तार किया गया है। मामले में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब आरोपी ने लड़की का मोबाइल फोन उसके परिवार को लौटाने का प्रयास किया, जिससे जांचकर्ताओं के मन में संदेह पैदा हुआ।

    "लड़की गुरुवार दोपहर से लापता थी," टर्बे एमआईडीसी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक अबासाहेब पाटिल ने बताया। "उसके परिवार द्वारा दर्ज कराई गई गुमशुदगी की शिकायत के बाद, एक खोज अभियान शुरू किया गया, जिसके बाद उसे जंगल क्षेत्र में पाया गया। चूंकि वह नाबालिग थी और एक अलग-थलग पहाड़ी क्षेत्र में मिली थी, यह जांच में एक महत्वपूर्ण बिंदु बन गया।"

    पाटिल ने कहा कि आरोपी का मोबाइल फोन लौटाने का कार्य संदेह जगाने वाला था। "एक तकनीकी जांच की गई, जिसमें आरोपी के लोकेशन डेटा और उसके बयानों के बीच विसंगतियां सामने आईं," उन्होंने कहा, यह भी जोड़ते हुए कि आगे की पूछताछ पर, आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने लड़की पर पत्थर से हमला किया था, जिससे उसकी मौत हो गई।

    टर्बे पुलिस ने लड़के को हत्या के आरोप में हिरासत में ले लिया है और उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश किया है।

    Reel Shooting Controversy एक ही मोहल्ले के थे दोनों बच्चे-

    जांच से पता चला है कि मृतक और आरोपी परिचित थे, जो शिरवाणे एमआईडीसी के एक ही मोहल्ले में रहते थे। वे दोनों अक्सर रील शूट करते थे और उस दिन भी वही कर रहे थे जब यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।

    पुलिस के अनुसार, रील शूटिंग के दौरान दोनों के बीच कुछ मतभेद हो गया, जिससे बहस शुरू हो गई। आरोपी कथित तौर पर क्रोधित हो गया और लड़की के सिर पर पत्थर से दो बार वार किया। उसके बाद वह लड़की का मोबाइल फोन लेकर मौके से फरार हो गया।

    सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव-

    इस दुखद घटना ने एक बार फिर सोशल मीडिया के युवाओं पर बढ़ते प्रभाव और उसके संभावित नकारात्मक परिणामों पर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इंटरनेट पर वायरल होने की चाह में कई बार बच्चे खतरनाक कदम उठा लेते हैं।

    मनोविशेषज्ञ डॉ. अनिता शर्मा के अनुसार, "आजकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल होने की चाह में बच्चे अपनी सुरक्षा और भलाई को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे न केवल उनकी शारीरिक सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।"

    माता-पिता से अपील-

    इस घटना के बाद, नवी मुंबई पुलिस ने माता-पिता से अपील की है कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रखें, खासकर जब वे सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हों। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी संजय कुमार ने कहा, "यह मामला हमें याद दिलाता है कि माता-पिता को अपने बच्चों के डिजिटल जीवन में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि उनके बच्चे किस प्रकार का कंटेंट बना रहे हैं और किसके साथ समय बिता रहे हैं।"

    उन्होंने आगे कहा, "हम माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि वे अपने बच्चों के साथ खुली बातचीत रखें और उन्हें बताएं कि सोशल मीडिया के उपयोग में क्या सही है और क्या गलत। साथ ही, बच्चों को यह समझाना भी जरूरी है कि गुस्से और विवादों को कैसे सुलझाया जाए।"

    समुदाय में शोक की लहर-

    घटना ने पूरे शिरवाणे एमआईडीसी समुदाय में शोक की लहर दौड़ा दी है। स्थानीय निवासियों ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है और न्याय की मांग की है।

    स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रीति गुप्ता ने कहा, "हमें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सामूहिक रूप से काम करना होगा। स्कूलों और समुदायों को मिलकर बच्चों को शिक्षित करना होगा कि वे अपने गुस्से को कैसे काबू में रखें और विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से कैसे सुलझाएं।"

    पुलिस अब आरोपी किशोर के विरुद्ध मजबूत मामला बनाने के लिए अतिरिक्त साक्ष्य एकत्र कर रही है और घटनास्थल पर फॉरेंसिक जांच भी कराई जा रही है।

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    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी-

    विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी इस मामले में अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। साइबर विशेषज्ञ राकेश त्रिवेदी के अनुसार, "प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके ऐप्स पर बच्चों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय हों। उम्र की सीमा को सख्ती से लागू करना और हानिकारक कंटेंट को फिल्टर करना जरूरी है।"

    इस बीच, सरकार ने भी इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों पर जोर देने की आवश्यकता पर बल दिया है।

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