Major Mohit Sharma: रणवीर सिंह की नई फिल्म ‘धुरंधर’ सिनेमाघरों में तो आ गई, लेकिन साथ ही एक बड़ा विवाद भी खड़ा हो गया है। अशोक चक्र से सम्मानित शहीद मेजर मोहित शर्मा का परिवार दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। उनका आरोप है, कि फिल्म की कहानी मेजर साहब की असली जिंदगी से मिलती-जुलती है, लेकिन इसके लिए न तो उनकी इजाजत ली गई और न ही परिवार को बताया गया। यह मामला सिर्फ एक फिल्म का नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय नायक की इज्जत और उनके बलिदान को सही तरीके से पेश करने का है।
कौन थे मेजर मोहित शर्मा?
मेजर मोहित शर्मा भारतीय सेना के उन चुनिंदा बहादुरों में से एक थे जिन्हें देश के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से नवाजा गया। वह 1 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) के एक कुशल कमांडो थे, जिन्होंने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ कई खतरनाक ऑपरेशन किए। 21 मार्च 2009 को कुपवाड़ा में एक एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर शर्मा को उनकी अदम्य साहस और नेतृत्व के लिए हमेशा याद किया जाता है। उनकी कहानी सिर्फ एक सैनिक की नहीं, बल्कि एक पूर्ण व्यक्तित्व की है जो संगीत प्रेमी भी थे और देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।
मेजर मोहित शर्मा एक असाधारण सैनिक की कहानी-
मेजर मोहित शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1978 को हरियाणा के रोहतक में राजेंद्र प्रसाद शर्मा और सुशीला शर्मा के घर हुआ था। घर में उन्हें प्यार से ‘चिंटू’ और दोस्त ‘माइक’ कहकर बुलाते थे। वह सिर्फ एक बहादुर सैनिक ही नहीं, बल्कि एक शानदार म्यूजिशियन भी थे। गिटार, सिंथेसाइजर और माउथ ऑर्गन बजाने में उनका कोई सानी नहीं था। दिल्ली पब्लिक स्कूल, गाजियाबाद से पढ़ाई पूरी करने के बाद 1995 में उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी ज्वाइन की। 1999 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से कमीशन मिलने के बाद उनका सफर शुरू हुआ, जो देश सेवा और वीरता की मिसाल बन गया।
अंडरकवर ऑपरेशन और सेना मेडल-
डिफेंस मिनिस्ट्री के रिकॉर्ड्स के अनुसार, मेजर शर्मा ने 2003 में 1 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) ज्वाइन किया। 2004 में उन्होंने एक खतरनाक अंडरकवर ऑपरेशन में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों अबू तोरारा और अबू सबजार को ढेर किया। इफ्तिखार भट्ट के नाम से उन्होंने आतंकियों का विश्वास जीता और फिर उन्हें मार गिराया। इस बेमिसाल ऑपरेशन के लिए उन्हें सेना मेडल से नवाजा गया। 21 मार्च 2009 को कुपवाड़ा, नॉर्थ कश्मीर में एक ऑपरेशन के दौरान भारी गोलीबारी में घायल होने के बावजूद उन्होंने चार आतंकियों को मार गिराया और अपने साथियों की जान बचाई। इस सुप्रीम सैक्रिफाइस के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
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फिल्म विवाद परिवार की चिंता क्या है?
मेजर शर्मा का परिवार मानता है, कि ‘धुरंधर’ में दिखाए गए किरदार, घटनाएं और अंडरकवर ऑपरेशन उनकी असली जिंदगी से हूबहू मिलते हैं। बिना परमिशन के किसी शहीद की कहानी को परदे पर उतारना न सिर्फ कानूनी सवाल खड़े करता है, बल्कि एक राष्ट्रीय नायक के सम्मान का भी मुद्दा है। अब देखना यह है कि दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।
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