Election 2024: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना स्लोगन अबकी बार 400 पार रखा है, अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से ही यह लगने लगा है था कि भाजपा यह लक्ष्य वैसे ही पा लेगी जैसे उसने 2022 में गुजरात के चुनाव में हासिल किया था। 2022 के चुनाव में गुजरात में हमेशा से बीजेपी के सामने डेढ़ सौ सीटें जीतने के टारगेट तय किए गए थे। यह विश्वास अमित शाह ने 1985 में कांग्रेस के 149 सीटों पर जीत के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए नेताओं को दिया था। बीजेपी गुजरात चुनाव में 156 सीटें जीतने में सफल भी रही। वहीं बीजेपी 2017 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कड़ी मेहनत के वजह से 99 सीट पर ही सिमट गई थी।
भारतीय जनता पार्टी का दावा-
लेकिन MOTN सर्वे के बाद 2024 में एनडीए के 400 सीटों से ज्यादा जीतने का भारतीय जनता पार्टी का दावा एक चुनावी सुगबुगाहट लग रहा है। यह इसलिए नहीं है क्योंकि सर्वे में बीजेपी को 335 सीटे जीते हुए पाया गया। बल्कि इसलिए है क्योंकि दक्षिण भारत में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र और बिहार में भी राज्यों में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को काफी सीटों का नुकसान हो रहा है। 2019 के आम चुनाव में नीतीश कुमार के साथ भाजपा ने बिहार में 40 में से 39 सीटें जीती थी।
लेकिन इस बार गठबंधन के हिस्से में 32 सीटें आने की उम्मीद है। मतलब साफ है की सीटों का सीधे-सीधे नुकसान हो रहा है। वैसे ही महाराष्ट्र में पिछली बार बीजेपी की अगुवाई में शिवसेना गठबंधन को 41 सीटें मिली थी। लेकिन अब आने वाले चुनाव में 22 सीटें मिलने का दावा किया जा रहा है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा गठबंधन को 19 सीटों का नुकसान होगा।
बिहार में बीजेपी को नीतीश कुमार के लौटने से भी नुकसान-
ऐसे भी समझ सकते हैं कि जैसे कि बिहार में बीजेपी को नीतीश कुमार के लौटने से भी नुकसान हो रहा है। जबकि महाराष्ट्र में उदय ठाकरे के दूर जाने से ऐसा लगता है शिवसेना और एनसीपी के टूटकर बिखर जाने के बाद भी ठाकरे और शरद पवार की राजनीति हैसियत बरकरार है। यानी कि महाराष्ट्र के लोग अभी भी उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और अपने पक्ष में मौजूद जनसंख्या बढ़ा लेने के बावजूद भी महाराष्ट्र के लोग बीजेपी के साथ ज्यादा सीटें शेयर करने के पक्ष में नहीं नजर आ रहे। अगर सर्वे की रिपोर्ट की माने तो उद्धव ठाकरे और शरद पवार के पास फिर से खड़े होने का पूरा मौका है और राजनीतिक रूप से भारी तहस-नहस मचाने के बावजूद भाजपा के हाथ में कुछ नहीं आ रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिसाल-
किसी भी नेता की ताकत जनता को माना जाता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिसाल हैं। यह बात हर किसी पर लागू होती है। जाहिर तौर पर ठाकरे और सदर पवार पर भी 2024 के लोकसभा चुनाव को MOTN सर्वे में उद्धव ठाकरे और शरद पवार की दी ताकत साफ नजर आ रही है। सर्वे में कांग्रेस के कुछ हिस्सों में 12 लोकसभा सीटें आ रही है। चुनाव को लेकर माउंट सर्वे के आधार पर उद्धव ठाकरे और शरद पवार की यह ताकत साफ नजर आ रही है। सर्वे में कांग्रेस के हिस्से में 12 लोकसभा सीटे आई। वहीं उद्धव ठाकरे और शरद पवार के हिस्से में 14 सीटें आने की उम्मीद है। 14 सीटें जोड़ दें तो यह संख्या 26 पहुंच रही है और भाजपा गठबंधन से चार सीट ज्यादा है।
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गठबंधन को 22 सीटें-
खुद बीजेपी 16 सीटों पर जीत रही है और बगावत कर साथ आए एकनाथ शिंदे और अजीत पवार मिलकर 6 सीटों पर सीमित जा रहे हैं। बीजेपी को गठबंधन को 22 सीटें मिल सकती हैं। जबकि 2019 में यह संख्या 41 थी। सर्वे रिजल्ट के आने के बाद उद्धव ठाकरे के एक बयान और पॉलिटिकल एक्ट की महाराष्ट्र की राजनीति में खासी चर्चा है। उद्धव ठाकरे के मुंह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ और वंदे भारत एक्सप्रेस से पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ यात्रा। जिसे उद्धव ठाकरे के प्रस्ताव के रूप में भी देखा जा सकता है। हाल ही में भाजपा नेता मिश्रा के एक इंटरव्यू के दौरान नीतीश कुमार और एनडीए छोड़ चुके नेताओं की वापसी को लेकर सवाल किया गया था तो उनका कहना था कि प्रस्ताव आया तो विचार करेंगे। उसके कुछ दिन बाद ही नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए में जा चुके थे।
प्रधानमंत्री के दुश्मन नहीं-
वही 4 फरवरी को उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के संबंधवादी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम पहले भी कभी प्रधानमंत्री के दुश्मन नहीं थे और आज भी उनके दुश्मन नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी वह व्यक्ति हैं जिन्होंने शिवसेना के साथ संबंध जोड़ने का फैसला किया था, हम आपके साथ हैं शिवसेना आपके साथ थी। लेकिन बाद में आपने हमें खुद से दूर कर दिया। उद्धव ठाकरे की बातों को भाजपा के नेतृत्व पूरी तरह से खारिज भी नहीं करता है। असल में महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर दोनों पक्ष जिद पर अड़े है और अलग हो गए। उद्धव ठाकरे का दावा था कि भाजपा के साथ ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री पद का करार हुआ था, जिसे बीजेपी झूठलाती रही और नए गठबंधन की सरकार बन गई।
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