Air India Flight
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    Air India Flight: चेन्नई एयरपोर्ट पर बुधवार की सुबह एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब सिंगापुर से आ रही एयर इंडिया की एक फ्लाइट को लैंडिंग के ठीक पहले अबॉर्ट करना पड़ा। फ्लाइट में लगभग 180 यात्री सवार थे और सबकी सांसें उस वक्त थम सी गईं, जब प्लेन ज़मीन से महज 200 फीट ऊपर था और पायलट्स ने अचानक "गो-अराउंड" का फैसला लिया।

    Air India Flight क्या हुआ उस सुबह?

    अंग्रेज़ी समाचार वेबसाइट द् टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह घटना सुबह करीब 10:15 बजे की है जब Airbus विमान चेन्नई एयरपोर्ट पर लैंड करने की तैयारी कर रहा था। मौसम साफ था, लेकिन जैसे ही प्लेन रनवे के करीब पहुंचा, अचानक हवा की दिशा बदल गई और फ्लाइट की डिसेंट रेट काफी तेज हो गई। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने इसे "अनस्टेबल अप्रोच" बताया, जिसका मतलब है कि प्लेन सुरक्षित लैंडिंग के लिए जरूरी पैरामीटर्स को फॉलो नहीं कर पा रहा था।

    एक सीनियर अधिकारी ने बताया, “प्लेन का डिसेंट बहुत तेजी से हो रहा था और आखिरी वक्त में हवा की दिशा भी बदल गई, जिससे पायलट्स को लैंडिंग रोकनी पड़ी। ऐसे में गो-अराउंड करना सबसे सेफ ऑप्शन था।”

    Air India Flight 30 मिनट बाद सकुशल लैंडिंग-

    गो-अराउंड के बाद फ्लाइट ने एयरस्पेस में एक चक्कर लगाया और लगभग 30 मिनट बाद सुरक्षित रूप से लैंड कर गई। किसी भी यात्री को चोट नहीं आई और सबने राहत की सांस ली। यात्री बिना किसी दिक्कत के प्लेन से उतरे। कई पैसेंजर्स ने बाद में सोशल मीडिया पर अपनी घबराहट और फिर राहत के भाव शेयर किए। एक पैसेंजर ने लिखा, “वो पल बहुत डरावना था, जब प्लेन अचानक ऊपर उठ गया। लेकिन पायलट्स की प्रोफेशनलिज़्म की वजह से हम सब सुरक्षित हैं।”

    लगातार सामने आ रही हैं ऐसी घटनाएं-

    चेन्नई एयरपोर्ट पर यह पहली घटना नहीं है। मार्च में एक फ्लाइट को लैंडिंग के दौरान टेल स्ट्राइक हुआ था और अक्टूबर में जयपुर से आई इंडिगो फ्लाइट को भी "टच-एंड-गो" करना पड़ा था। इन घटनाओं ने एयर सेफ्टी को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब एयरपोर्ट अथॉरिटीज़ इस ताज़ा घटना की जांच करेंगी। मौसम से जुड़े डेटा और फ्लाइट के लॉग्स को चेक किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि क्या कोई टेक्निकल चूक हुई या हवा के पैटर्न में कोई असामान्य बदलाव था।

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    पायलट्स की सूझबूझ ने बचाई कई जानें-

    ऐसे हादसे जब भी होते हैं, वो हमें याद दिलाते हैं कि हर लैंडिंग एक जटिल प्रक्रिया होती है जिसमें मौसम, टेक्नोलॉजी, और पायलट्स की स्किल का बहुत बड़ा रोल होता है। इस मामले में भी अगर पायलट्स ने सेकंड्स के अंदर सही फैसला नहीं लिया होता, तो एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। "गो-अराउंड" कोई खराब चीज़ नहीं होती, बल्कि यह पायलट्स द्वारा ली गई एक प्रोएक्टिव सेफ्टी मेज़र है, जिससे यह साबित होता है कि सिस्टम काम कर रहा है।

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    यात्रियों के मन में फिर जागा डर-

    इस तरह की घटनाएं भले ही टेक्निकली हैंडल हो जाती हैं, लेकिन आम यात्रियों के मन में डर बैठ जाता है। लोग यह सोचने लगते हैं कि क्या हवाई सफर सुरक्षित है? हालांकि, डेटा और एक्सपर्ट्स का कहना है कि एयर ट्रैवल अभी भी सबसे सेफ मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट है।