Mumbai Auto Driver Ashok
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    Mumbai Auto Driver Ashok: इन दिनों सोशल मीडिया पर मुंबई शहर में एक ऑटो रिक्शा चालक की अनोखी सफलता की कहानी खूब वायरल हो रही है। अशोक नाम का यह ऑटो ड्राइवर बिना अपनी गाड़ी चलाए हर महीने 5 से 8 लाख रुपए की कमाई कर रहा है। उसकी इस अनूठी व्यापारिक सोच को देखकर लोग हैरान रह गए हैं।

    Mumbai Auto Driver Ashok जुगाड़ से शुरू हुआ लाखों का बिज़नेस-

    उद्योगपति हर्ष गोयनका ने इस कहानी को अपने एक्स अकाउंट पर शेयर किया है। पहले यह कहानी बेंगलुरु के वेन्यूमंक कंपनी के सह-संस्थापक राहुल रूपानी ने अपने लिंक्डइन पर पोस्ट की थी। गोयनका इसे शुद्ध भारतीय जुगाड़ का नाम देते हैं। अशोक का यह आइडिया वाकई में बेहद शानदार है।

    Mumbai Auto Driver Ashok अमेरिकी दूतावास के बाहर खड़ा है सुनहरा मौका-

    अशोक अपना ऑटो रिक्शा अमेरिकी दूतावास यानी अमेरिकन एंबेसी के बाहर खड़ा रखता है। वहां वीज़ा के लिए आने वाले लोगों को बैग स्टोरेज की सुविधा देता है। एंबेसी में बैग ले जाने की मनाही होने के कारण लोगों को अपना सामान बाहर छोड़ना पड़ता है। बस यहीं से अशोक का बिज़नेस शुरू होता है।

    हजार रुपए में बैग रखने की सेवा-

    राहुल रूपानी के अनुसार, उन्हें अशोक को अपना बैग रखने के लिए 1000 रुपए देने पड़े। दूतावास की नो-बैग पॉलिसी के कारण उन्हें मजबूरन अपना बैग बाहर छोड़ना पड़ा था। अशोक इसी तरह रोज़ाना दर्जनों लोगों से उनका सामान संभालने के पैसे लेता है।

    पुलिस वाले से मिलकर बनाया बड़ा नेटवर्क-

    अशोक की सफलता का राज़ यह है, कि उसने स्थानीय पुलिस अधिकारी के साथ मिलकर काम करने का तरीका निकाला है। पुलिस वाला पास में ही लॉकर की सुविधा चलाता है। जब अशोक के ऑटो में जगह कम पड़ जाती है, तो वह उस लॉकर का इस्तेमाल करता है। इस तरह दोनों मिलकर बेहतरीन बिज़नेस चला रहे हैं।

    लंबी लाइनों से मिली प्रेरणा-

    रूपानी ने बताया, कि अशोक को यह आइडिया दूतावास के बाहर लगी लंबी लाइनों को देखकर आया। वीज़ा के लिए आने वाले लोगों की परेशानी को उसने अपने बिज़नेस का मौका बना लिया। यह सच में एक शानदार सोच है, जो दिखाती है कि अवसर हर जगह मौजूद हैं।

    सोशल मीडिया पर मचा तहलका-

    हर्ष गोयनका ने अपनी पोस्ट में लिखा है, कि मुंबई के इस रिक्शा ड्राइवर को अमेरिकी दूतावास के बाहर लंबी लाइनें और नो-फोन, नो-बैग पॉलिसी देखकर शानदार आइडिया आया। आज अशोक सिर्फ बैग होल्डिंग सर्विस देकर महीने के 8 लाख रुपए कमा रहा है। न कोई ऐप, न एमबीए की डिग्री, बस शुद्ध भारतीय जुगाड़। यह पोस्ट तेज़ी से वायरल हो गई।

    लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं-

    एक यूज़र ने कमेंट किया, कि रेलवे स्टेशन पर चलने वाले टेक-इनेबल्ड सेल्फ यूज़ लॉकर्स बड़े साइज़ के लिए 6 घंटे के लिए औसतन 100 रुपए चार्ज करते हैं। दूसरे व्यक्ति ने लिखा, कि भारत की ज्यादातर आबादी अपने समय से कमाती है, दिमाग से नहीं। अशोक की तरह बनो और अपने दिमाग से कमाओ। एक और व्यक्ति ने कहा, कि यह कितना नवाचार भरा विचार है, ऐसे आइडियाज़ के साथ कुछ भी असंभव नहीं है।

    सफलता की असली वजह-

    अशोक की कहानी बताती है, कि सफलता के लिए बड़ी डिग्री या भारी-भरकम इन्वेस्टमेंट की जरूरत नहीं होती। जरूरत होती है, तो बस सही मौके को पहचानने और उसका फायदा उठाने की। उसने लोगों की समस्या को अपना व्यापारिक अवसर बनाया और आज लाखों की कमाई कर रहा है।

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    युवाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल-

    यह कहानी खासकर युवाओं के लिए बहुत प्रेरणादायक है। यह दिखाती है, कि नौकरी का इंतज़ार करने के बजाय अपने आसपास के अवसरों को देखना चाहिए। छोटी शुरुआत से भी बड़ा बिज़नेस बनाया जा सकता है। अशोक की तरह थोड़ा सा दिमाग लगाकर कोई भी व्यक्ति अपनी किस्मत बदल सकता है।

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