Jharkhand Internet Service
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    Jharkhand Internet Service: हाल ही में झारखंड की सरकार ने परीक्षा के दौरान होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए शनिवार और रविवार को 5 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का आदेश सुनाया था। जिसके बाद से अब झारखंड की विपक्षी भाजपा ने इस पर निशाना साधना साझा है। बीजेपी का कहना है कि 5 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का फैसला राज्य सरकार की अफसलता को छुपाने के लिए सुनाया गया है। मोबाइल इंटरनेट चलाना का निलंबन सुबह 8:00 बजे शुरू हुआ और दोपहर करीब 1:30 बजे तक रहा। हालांकि यह निलंबन रविवार को होने वाली परिक्षा में भी जारी रहेगा।

    गड़बड़ी को रोकने के लिए-

    एक ऑफिशियल बयान के मुताबिक, झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त परीक्षा यानी JGGLCCE के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए रविवार तक बैन जारी रहेगा। बीजेपी प्रवक्ता का कहना है, कि जब झारखंड सरकार परीक्षा में गड़बड़ी को रोकने के लिए पुख्ता व्यवस्था नहीं कर सकी, तो उसने पूरे राज्य में 3.5 करोड़ लोगों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि यह सरकार की असफल प्रणाली को छुपाने के लिए एक और मनमाना फरमान है।

    इंटरनेट सेवा निलंबित-

    केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने भी मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के कदम के आलोचना की और कहा कि इससे लोगों को काफी सुविधा होगी। भाजपा नेता का कहना है कि यह फैसला झारखंड सरकार की पेपर के अनुचित साधनों पर रोक लगाने में असफलता को दिखाती है। इसके साथ ही सेठ ने दावा किया, कि राज्य में मोबाइल इंटरनेट के साथ-साथ ब्रॉडबैंड्स सेवा भी निलंबित कर दी गई है।

    823 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित-

    वहीं एक अधिकारी का कहना है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग 823 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित कर रहा है। और लगभग 6.39 लाख अभ्यर्थी इसमें शामिल हो रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कहा, कि उन्होंने परीक्षा की तैयारी को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की है। उनका कहना है, कि किसी भी परिस्थिति में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सोरेन का कहना है कि अगर परीक्षा में कोई भी गलती या कुछ भी गलत करने की कोशिश करता है, तो हम उसके साथ सख्ति से निपटेंगे।

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    पेपर लीक के मामले-

    यह फैसला तब लिया गया है जब देश में बहुत सी परिक्षाओं के दौरान पेपर लीक के मामले सामने आए हैं। पेपर लीक के कारण बहुत से युवाओं का भविष्य खतरे में जाता है। जिससे उनका समय भी काफी बर्बाद हो जाता है। वहीं पेपर लीक जैसे मामलों में जो हकदार है और कड़ी मेहनत से आगे बढ़ना चाहता है उसके साथ नाइंसाफी होती है। इस सब को ध्यान में रखते हुए ही शायद ये फैसला लिया गया है। हालांकि यह फैसला कितना सही है कितना गलत, इस पर आपकी राय क्या है कमेंट में बताएं और आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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