Fastest Object: क्या इंसानों द्वारा बनाई गई कोई ऐसी वस्तु है, जो प्रकाश से भी तेज है, यह तो आप जानते ही हो दुनिया की सबसे तेज गति प्रकाश की है। लेकिन कभी आपने यह तो सोचा होगा कि आखिर इंसान द्वारा बनाई गई. ब्रह्मांड की सबसे तेज गति से चलने वाली कौन सी चीज है। शायद आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे कि यह तो मैं जानता हूं। लेकिन आप शॉक्ड हो जाओगे। जब उस चीज का नाम जानोगे, साथ ही वैज्ञानिकों के द्वारा स्पीड से चलने वाली ऐसी ऐसी चीज़ें बनी है, जिसे देखना तो दूर आप उसका नाम तक नहीं जानते होंगे। लेकिन फिलहाल इसे समझने के लिए हमें दुनिया की सबसे स्लो और तेज वास्तु के बीच से होकर गुजरना पड़ेगा। तो चलिए शुरुआत करते हैं।
दुनिया की सबसे धीमी चीज़-
दोस्तों दुनिया की सबसे धीमी चीज़ के बारे में बात करें, तो वह एक जीव है। जिसका नाम स्लोथ है, हालांकि इस जीव से कई गुना छोटे जीव इस धरती पर सरवाइव कर रहे हैं। लेकिन इन सबको यह अपनी धीमी चाल के द्वारा पीछे कर देता है। एक एवरेज आंकड़े के मुताबिक, 1 मिनट में सिर्फ डेढ़ से ढाई मीटर ही चल पाता है। जबकि इससे लाखों गुना छोटी चीटियां 1 मिनट में 40 से 50 मीटर की दूरी तय कर लेती है। इसके बाद आता है. इंसान का पैदल चलना, जो की 1 मिनट में 60 से 80 मीटर की दूरी तय कर लेता है और 1 घंटे में 5 से 6 किलोमीटर की दूरी कर लेता है। इंसान के चलने के बाद वही इंसान अगर दौड़ने लगे, तो उसकी स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाती है। इंसान के दौड़ने के बाद इससे तेज वस्तु की बात की करें तो वह साइकिल है, जो 1 घंटे में 35 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकता है। हालांकि यह आंकड़ा नॉरमल साइकिल का है। जबकि एक राइडर साइकिल 1 घंटे में 40 से 60 किलोमीटर की दूरी को तय कर सकती है।
एक स्पोर्ट्स कार-
इसके बाद आता है, घोड़ा क्योंकि 1 घंटे में 60 से 70 किलोमीटर की दूरी को तय कर सकता है। घोड़े के बाद अगर कोई इससे तेज भाग सकता है, तो वह चीता है, जो की 1 घंटे में 100 किलोमीटर से लेकर 112 किलोमीटर की दूरी को तय कर सकता है। इसके बाद सबसे तेज स्पीड की बात करें, तो वह एक सुपर बाइक है, जो की 1 घंटे में 120 किलोमीटर से लेकर 160 किलोमीटर की दूरी को तय कर लेती है। उसके बाद है एक एसयूवी कार जो की 1 घंटे में 200 किलोमीटर की दूरी को कर लेती है। जबकि इससे कहीं ज्यादा एक स्पोर्ट्स कार 1 घंटे में 300 किलोमीटर तक की दूरी को तय कर सकती है। इसके बाद आता है एक हेलीकॉप्टर, जो 1 घंटे में 400 किलोमीटर की दूरी को कर सकता है। अगले तेज़ ऑब्जेक्ट की बात करें, तो वह है जापान द्वारा बनाई गई एक ट्रेन है, जिसका नाम लो सीरीज़ मेगलेव है। जिसकी टॉप स्पीड 603 किलोमीटर प्रति घंटा है।
फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट-
इससे भी तेज ऑब्जेक्ट की बात करें, तो वह बोइंग 757 है, जोकि एक यात्री प्लेन है यह 1 घंटे में 982 किलोमीटर की दूरी को बड़ी आसानी के साथ तय कर लेता है। अगले फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट की बात करें, तो वह ब्रिटिश द्वारा निर्मित थ्रस्ट एसएससी है, जो की एक जेट कार है, जिसकी टेस्टिंग 1997 में जमीन पर की गई थी और यह 1 घंटे में 1228 किलोमीटर की दूरी को तय कर लेता है। इसके बाद इससे भी तेज ऑब्जेक्ट की बात करें, तो वह स्पीड ऑफ साउंड है, जो की 1280 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से सरवाइव करती है।
अमेरिका का सुपर फास्ट एयरक्राफ्ट-
ध्वनि के बाद दूसरे फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट में नाम आता है एसआर 71 ब्लैकबर्ड का यह अमेरिका के एक एयरोस्पेस एजेंसी द्वारा विकसित किया गया, एक जेट एयरक्राफ्ट है। जो तेज स्पीड के साथ हथियार ले जाने में सक्षम था। लेकिन इसे अब रिटायर कर दिया गया है। इसकी स्पीड 3540 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। इसके बाद आता है नॉर्थ अमेरिकन x50 यह एक अमेरिका का सुपर फास्ट एयरक्राफ्ट है। जिसकी स्पीड 7274 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। इस एयरक्राफ्ट को चांद पर जाने वाले नील आर्मस्ट्रांग ने भी उड़ाया था। इसके बाद के फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट में नाम आता है, हाइपरसोनिक रॉकेट स्लेट का, जो की एक रॉकेट मिसाइल है। हालांकि यह आसमान में नहीं बल्कि एक ट्रेन की तरह दौड़ती है, इसकी स्पीड 10325 किलोमीटर प्रति घंटा है। अलगा ऑब्जेक्ट है, नासा x43 यह एक फास्टेस्ट एयरक्राफ्ट है, जिसे कि नासा ने तैयार किया है।
दुनिया का सबसे फास्टेस्ट लड़ाकू एयरक्राफ्ट-
यह एयरक्राफ्ट दुनिया का सबसे फास्टेस्ट लड़ाकू एयरक्राफ्ट है, जोकि 1 घंटे में 11854 किलोमीटर तक की दूरी तय करता है। इसके बाद दूसरे ऑब्जेक्ट की बात करें, तो वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन है, जो 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से धरती का चक्कर लगा रहा है। लेकिन इससे भी तेज स्पेस शटल की स्पीड होती है, जिसमें एस्ट्रोनॉट बैठकर स्पेस का सफर करते हैं। इसके बाद अगर और तेज वाले स्पीड ऑब्जेक्ट की बात करें, तो इसका नाम अपोलो 10 है, जिसने 39937 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से सफर किया था। नेक्स्ट ऑब्जेक्ट है यूलिसेस स्पेसक्राफ्ट, यह स्पेसक्राफ्ट सूर्य की गतिविधि को पता लगाने के लिए बनाया गया था। जिसकी स्पीड 4680 किलोमीटर प्रति घंटे की थी और यह अब नष्ट हो चुका है। नेक्स्ट ऑब्जेक्ट है स्टारडस्ट। यह आर्टिफिशियल सैटेलाइट है, जिसकी स्पीड 46440 किलोमीटर प्रति घंटे की है। नासा द्वारा विकसित यह सैटेलाइट धूम केतू और धूल के कणों की टेस्टिंग करने के लिए बनाया गया था।
वॉयज़र टू स्पेस प्रोब-
इसके बाद आता है वॉयज़र टू स्पेस प्रोब। वॉयज़र टू के बारे में तो आप सभी जानते होंगे। यह प्रोब आज भी हम इंसानों से 55232 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से हमारी धरती से 19.5 बिलियन किलोमीटर दूर जा चुका है। यह इतनी दूरी है कि इतने में हम धरती से सूर्य का 15 चक्कर लगा सकते हैं। अगले फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट में न्यू होराइजन का नाम आता है, यह एक प्रोब है, जो नासा ने 2016 में लॉन्च किया था। इसका मकसद प्लूटो और क्वीपर बेल्ट का अध्ययन करने का था और यह अपने मिशन में कामयाब हुआ। नेक्स्ट ऑब्जेक्ट वाइजर वन दोस्तों वॉइसज़र टू की तरह ही यह स्पेस प्रो अपनी 6100 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति के साथ धरती से 24.5 बिलियन किलोमीटर दूर जा चुका है। यानी धरती और सूर्य की दूरी से 18 गुना ज्यादा की दूरी तय कर चुका है। अगर आपको वॉइसज़र वन और वॉइसज़र टू के बारे में डिटेल से जानना हो तो आप हमारे चैनल पर जाकर इसकी डिटेल्ड वीडियो Voyager One reaches second solar system देख सकते हैं।
इंटरस्टेलर स्पेस में दाखिल-
अगले फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट की बात करें तो, यह पायोनियर 10 ऑर्बिटर है, जो नासा द्वारा 1973 में लॉन्च किया गया था। इसका काम था जुपिटर के साथ-साथ सोलर सिस्टम के बाहर का पता लगाना। यह अपने मिशन में कामयाब भी हुआ और सोलर सिस्टम को छोड़कर इंटरस्टेलर स्पेस में दाखिल भी हुआ। लेकिन इसने 30 साल बाद यानी 2003 को सिग्नल भेजना बंद कर दिया हमेशा के लिए अंतरिक्ष की गहराइयों में खो गया। इसकी स्पीड 1,25000 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। नेक्स्ट ऑब्जेक्ट पायोनियर 11 है, जिसकी स्पीड 172800 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। इसे 1973 में लॉन्च किया गया था और 1974 में बृहस्पति ग्रह को पार करके 1989 में शनि ग्रह को पार कर गया और इसके बाद यह इंटरस्टेलर स्पेस में दाखिल होता है। इसके बाद 1995 में यह धरती पर सिग्नल भेजना बंद कर देता है। अगले तेज़ वस्तु की बात की जाए, तो वह गैलीलियो आर्बिटर है।
बृहस्पति के चंद्रमा पर पानी और जीवन-
इसे बृहस्पति के साथ उसके चंद्रमाओं के बारे में जानकारी के लिए साल 1989 में भेजा गया था और 6 साल बाद यह पहुंचा था। इस यान ने बखूबी अपना काम पूरा किया। हालांकि इस ज्ञान को मिशन पूरा होने के बाद वैज्ञानिकों ने खुद ही नष्ट कर दिया। बृहस्पति के चंद्रमा पर पानी और जीवन के कुछ सबूत मिलने के कारण वैज्ञानिकों ने सुरक्षा के कारणों की वजह से इसे नष्ट करने के लिए इसे बृहस्पति ग्रह पर उतार दिया। ताकि चंद्रमा पर जो जीवन के सबूत मिले हैं, उसे इस यान के टकराने के कारण नुकसान ना हो। इसकी स्पीड 1732800 किलोमीटर थी। नेक्स्ट फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट की बात करें, तो हीलियम स्पेसक्राफ्ट है, जो की 238000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से सूर्य के कोरोना वाले भाग का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था। यह सूर्य से 48 बिलियन किलोमीटर की दूरी पर अध्ययन कर रहा था। इसे 1974 में भेजा गया था और 12 साल तक यह काम करता रहा।
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सूर्य के सबसे नजदीक-
इसके बाद हैलियस 2 का नाम आता है, जो सूर्य के सबसे नजदीक गया था। इसकी स्पीड 252800 किलोमीटर प्रति घंटा थी। नेक्स्ट ऑब्जेक्ट का नाम है ज्यूनों ऑर्बिटर, इसे बृहस्पति ग्रह के अध्ययन के लिए भेजा गया था। जिससे पता चला की सबसे पहले बृहस्पति ग्रह का निर्माण हुआ था। इसकी स्पीड 2,65,500 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। आगली तेज स्पीड से चलने वाली चीज़ का नाम पारकर सेलर प्रोब है। जिसकी स्पीड 6 लाख 92 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की है। इसे साल 2018 को नासा ने लांच किया था। यह सूर्य के बेहद ही करीब लगभग 65 लाख किलोमीटर की दूरी से सूर्य का पूरा अध्ययन करेगा। पूरे इतिहास में इससे ज्यादा एडवांस स्पेस प्रोब आज तक नहीं बना और यह आज भी अपना काम कर रहा है। नेक्स्ट फास्टेस्ट ऑब्जेक्ट की बात करें, तो वह रेडियो तरंगे हैं। जो भी मिशन अंतरिक्ष भेजे जाते हैं, तो उनका डाटा इसी रेडियो तरंगों के द्वारा ही आता है।
स्पेस में अपना टावर-
क्योंकि टेलीकॉम कंपनी स्पेस में अपना टावर लगा नहीं सकती कहा जाता है, कि रेडियो तरंगों की स्पीड 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड होती है और प्रकाश की गतिविधि इतनी ही तेज होती है। यानी आप कह सकते हैं कि इंसान प्रकाश की गति के साथ खेल रहा है और आने वाले भविष्य में वह और ज्यादा दूरी के साथ खेलेगा। अब बात कर लेते हैं की क्या रेडियो तरंगे और प्रकाश की गति ही यूनिवर्स की सबसे तेज चलने वाली वस्तु है। इसका उत्तर है नहीं। क्योंकि इस यूनिवर्स की सबसे तेज हम इंसानों के सोचने की क्षमता है। जिसके आगे प्रकाश की गति एक स्लोथ जैसे जीव की तरह हो जाती है।
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