Ravi River: शाहपुर कंडी बैराज के पूरा होने के साथ ही रावी नदी से पाकिस्तान की ओर पानी का प्रभाव पूरी तरह से रोक दिया गया है। शाहपुर कंडी बैराज पंजाब और जम्मू कश्मीर की सीमा पर मौजूद है। जिसका मतलब यह है कि जम्मू कश्मीर क्षेत्र को अब 1150 क्यूसेक पानी से लाभ होगा, जो पहले पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। पानी का इस्तेमाल सिंचाई उद्देश्य के लिए किया जाएगा। जिससे कि कठुआ और सांबा जिले में 32 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि को लाभ होगा।
शाहपुर बांध परियोजना-
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाहपुर बांध परियोजना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। क्योंकि इसमें जम्मू कश्मीर में हजारों एकड़ कृषि भूमि को सिचित करने की क्षमता है। 8 सितंबर 2018 को जम्मू कश्मीर और पंजाब के शाहपुर कंडी बांध परियोजना पर काम फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जो पिछले 40 साल से लटका हुआ था।
भारत का विशेष अधिकार-
जानकारी के मुताबिक, 1960 में पाकिस्तान और भारत के बीच सिंधु जल संधि के तहत रावी, व्यास और सतलुज नदियों के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। जबकि सिंधु, झेलम और चिनाव नदियों पर पाकिस्तान का नियंत्रण है। शाहपुर कंडी बैराज के पूरा होने से भारत को रावी नदी का ज्यादा इस्तेमाल करने की अनुमति मिलती है। जिससे कि यह सुनिश्चित होता है कि पुराने लखनपुर बांध से पहले पाकिस्तान की ओर बहने वाला पानी अब जम्मू-कश्मीर और पंजाब में इस्तेमाल किया जाएगा।
शाहपुर कंडी बैराज परियोजना-
शाहपुर कंडी बैराज परियोजना की आधारशिला 1995 में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह द्वारा रखी गई थी। हालांकि इस परियोजना को जम्मू कश्मीर और पंजाब की सरकारों के बीच बहुत से विवादों का सामना करना पड़ा था। जिसकी वजह से यह 4.30 साल से ज्यादा समय तक निलंबित रहा। पहले ही भारत ने कई भंडारण कार्यों का निर्माण किया है। जिसमें सतलुज पर भाखड़ा बांध विकास पर पीडीओके बांध और रावी पर थेन शामिल है।
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2 मिलियन एकड़ फीट पानी-
ब्यास-सतलुज लिंक और इंदिरा गांधी नहर परियोजना के साथ इन परियोजनाओं ने भारत को पूर्वी नदियों के पानी के लगभग पूरे हिस्से का इस्तेमाल करने की अनुमति दी। हालांकि रावी नदी का लगभग 2 मिलियन एकड़ फीट पानी अभी भी माधोपुर के नीचे पाकिस्तान में बिना इस्तेमाल के ही बह रहा है। शाहपुर मंडी बैराज के पूरा होने से भारत अब अपने लाभ के लिए रावी नदी से ज्यादा जल संसाधनों का इस्तेमाल कर सकता है। जिससे जम्मू कश्मीर और पंजाब के कृषि क्षेत्र में आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।
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