Abhinav Bindra: ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा ने अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉलर लियोनेल मेसी के हालिया भारत दौरे पर अपनी चिंता जाहिर की है। बिंद्रा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट के जरिए बताया, कि किस तरह इस पूरे इवेंट ने उन्हें “बेचैन” और “उदास” कर दिया।
विवादों से शुरू हुआ मेसी का भारत दौरा-
मेसी का भारत दौरा शुरू से ही विवादों में रहा। कोलकाता में हुए पहले इवेंट में भारी मिसमैनेजमेंट की वजह से फैंस को मेसी की एक झलक भी नहीं मिल पाई, जिससे उनमें भारी नाराजगी फैल गई। हालांकि हैदराबाद और मुंबई में आयोजित कार्यक्रम अपेक्षाकृत सफल रहे, लेकिन वहां पर राजनेताओं, सेलिब्रिटीज और उद्योगपतियों की भीड़ मेसी के साथ फोटो खिंचवाने के लिए उमड़ पड़ी।-
बिंद्रा का दिल से निकला सवाल-
अभिनव बिंद्रा ने अपने X अकाउंट पर एक लंबा पोस्ट लिखकर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “लियोनेल मेसी उन दुर्लभ खिलाड़ियों में से एक हैं, जिनकी कहानी खेल से परे है। एक बच्चे से लेकर फुटबॉल के महानायक बनने तक की उनकी यात्रा ने दुनियाभर के लाखों लोगों को प्रेरित किया है। एक एथलीट के रूप में मैं उनके लिए गहरा सम्मान रखता हूं, उनकी दृढ़ता, विनम्रता और महानता की निरंतर खोज के लिए।”
Lionel Messi is one of those rare athletes whose story transcends sport. His journey from a child fighting physical odds to a footballer who redefined excellence has moved millions across the world. As someone who has lived the life of an athlete, I hold profound respect and…
— Abhinav A. Bindra OLY (@Abhinav_Bindra) December 15, 2025
लेकिन साथ ही बिंद्रा ने यह भी कहा, कि जिस तरीके से यह दौरा ऑर्गेनाइज़ हुआ, वह “अस्त-व्यस्त” और “बेचैन करने वाला” था। उन्होंने स्पष्ट किया, कि वे मेसी को दोष नहीं दे रहे, उन्होंने अपनी मेहनत से यह सब हासिल किया है।
करोड़ों की बर्बादी या निवेश?
बिंद्रा की सबसे बड़ी चिंता यह थी ,कि करोड़ों रुपये सिर्फ मेसी के साथ फोटो खिंचवाने और कुछ पलों की प्रोक्सिमिट के लिए खर्च किए गए। उन्होंने लिखा, “यह लोगों का अपना पैसा है और वे इसे जैसे चाहें खर्च करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन मैं यह सोचकर उदास हो जाता हूं, कि अगर इस पैसे और एनर्जी का एक हिस्सा भी हमारे देश में खेल की नींव मजबूत करने में लगाया जाता तो क्या होता।”
उन्होंने देश में प्लेग्राुंड्स, युवा प्रतिभाओं के लिए कोच और ग्रासरुटलेबल्स पर खेल विकास की जरूरत पर जोर दिया। बिंद्रा का सवाल साफ था, क्या हम खेल की संस्कृति बना रहे हैं या सिर्फ दूर से बड़े खिलाड़ियों का जश्न मना रहे हैं?
एक एथलीट की असली चिंता-
अभिनव बिंद्रा ने अपनी बात को जजमेंट के तौर पर नहीं बल्कि एक जिनियस चिंता के रूप में रखा। उनका मानना है कि मेसी जैसे दिग्गजों के प्रति सम्मान जरूरी है, लेकिन साथ ही हमें अपने देश में खेल के इंफ्रास्टक्चर और युवा खिलाड़ियों पर भी ध्यान देना चाहिए।
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यह बयान भारतीय खेल जगत में एक जरूरी बहस को जन्म दे सकता है। क्या हम सिर्फ इंटरनेशनल स्टार्स के दर्शक बनकर रह जाएंगे, या अपने देश में अगली पीढ़ी के चैंपियंस तैयार करेंगे? अभिनव बिंद्रा का यह सवाल हर खेल प्रेमी और नीति निर्माता के लिए सोचने का विषय है।
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