Clean Air With Home
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    Clean Air With Home: भारत के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह रियल एस्टेट की दुनिया में एक नया बिजनेस मॉडल बन चुकी है। जी हां, अब डेवलपर्स स्वच्छ हवा को एक प्रीमियम एमेनिटी के रूप में पेश कर रहे हैं और होमबायर्स इसके लिए अतिरिक्त कीमत चुकाने को भी तैयार हैं।

    टियर-2 शहरों से शुरू हुआ AQI होम्स का ट्रेंड-

    इंदौर और अहमदाबाद जैसे टियर-2 शहरों में “AQI होम्स” का कॉन्सेप्ट तेजी से पॉपुलर हो रहा है। पुणे जैसे प्रमुख शहर भी इस ट्रेंड में शामिल हो गए हैं, जहां वाहनों और कंस्ट्रक्शन से होने वाला प्रदूषण गंभीर समस्या बन चुका है। कोहिनूर ग्रुप के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत गोयल बताते हैं, कि खरीदार अब हरियाली और स्वच्छ हवा के लिए लगभग 2 प्रतिशत तक प्रीमियम देने को तैयार हैं। पुणे के प्रभात रोड जैसे इलाके, जो अपनी हरियाली के लिए मशहूर हैं, वहां की प्रॉपर्टीज सरॉउंडिंग एरियाज की तुलना में अधिक कीमत पर बिक रही हैं।

    क्या है इन प्रोजेक्ट्स की खासियत-

    ये प्रोजेक्ट्स केवल हरियाली तक सीमित नहीं हैं। इनमें विंड कॉरिडोर्स, नेटिव ट्री बेल्ट्स, डस्ट रिडक्शन जोन्स और लो-डेंसिटी लेआउट्स जैसे साइंटिफिक मेजर्स शामिल हैं। माइक्रोमिट्टी के फाउंडर मनोज धनोटिया ने इंदौर में 400 करोड़ रुपये के निवेश से मधुवन प्रोजेक्ट डेवलप किया है, जिसमें 400 से अधिक विला हैं। वे बताते हैं, कि फैमिलीज अब साइंटिफिकली डिजाइन की गई क्लीन एयर के लिए प्रीमियम देने को तैयार हैं।

    GIFT सिटी जैसी ग्रीनफील्ड लोकेशन्स में भी यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है। नीला स्पेसेस के मैनेजिंग डायरेक्टर दीप वडोदरिया के अनुसार, उनके प्राणा प्रोजेक्ट की 70 प्रतिशत डिमांड अब गुजरात के बाहर से आ रही है और यह प्रोजेक्ट अपने कंपटीटर्स से 10-20 प्रतिशत अधिक कीमत पर बिक रहा है।

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    क्या यही है समाधान?

    हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं, कि स्वच्छ हवा को एमेनिटी बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। नाइट फ्रैंक इंडिया के विवेक राठी कहते हैं, कि एयर क्वालिटी की समस्या किसी एक एंटरप्राइज से हल नहीं हो सकती। इसके लिए सरकार और सभी स्टेकहोल्डर्स के सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।

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