Putin India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिन के लिए भारत आ रहे हैं। यह कोई साधारण दौरा नहीं है। इस यात्रा का समय और इसके मायने दोनों ही काफी खास हैं। सवाल यह है, कि आखिर पुतिन क्यों भारत आ रहे हैं और इस समय यह मुलाकात क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?
इस यात्रा के पीछे कई बड़ी वजहें हैं। पहली और सबसे अहम बात यह है, कि रूस को भारत जैसे बड़े बाजार की सख्त जरूरत है। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। ऐसे में भारत रूस के लिए एक विश्वसनीय और मजबूत साझेदार बनकर उभरा है। लगभग डेढ़ अरब की आबादी और 8 फीसदी से ज्यादा की आर्थिक वृद्धि के साथ भारत रूस के लिए सुनहरा मौका है।
तेल की खरीदारी और अमेरिका का दबाव-
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन की इस यात्रा की सबसे बड़ी वजह तेल का व्यापार है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत सिर्फ 2.5 फीसदी तेल रूस से खरीदता था। लेकिन प्रतिबंधों के बाद जब रूस ने सस्ते दामों में तेल बेचना शुरू किया, तो भारत ने इस अवसर का फायदा उठाया। आज भारत अपने कुल तेल आयात का 35 फीसदी रूस से खरीदता है। यह रूस की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है।
लेकिन अमेरिका को यह पसंद नहीं आया। ट्रंप सरकार ने अक्टूबर में भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। अमेरिका का कहना है, कि रूसी तेल खरीदकर भारत क्रेमलिन के युद्ध खर्च में मदद कर रहा है। इसके बाद भारत ने रूसी तेल के आर्डर कम कर दिए हैं। पुतिन इस यात्रा में मोदी को समझाना चाहेंगे, कि भारत तेल की खरीदारी जारी रखे।
रक्षा सौदे और रणनीतिक साझेदारी-
पुतिन की यात्रा का दूसरा बड़ा कारण हथियारों के सौदे हैं। सोवियत काल से लेकर अब तक रूस भारत को हथियार बेचता रहा है। हालांकि हाल के वर्षों में भारत ने अपने रक्षा आयात को विविध बनाने की कोशिश की है, लेकिन रूसी हथियारों की जरूरत अभी भी बनी हुई है। भारतीय वायुसेना के कई दस्ते रूसी सुखोई-30 विमानों का इस्तेमाल करते हैं। एस-400 वायु रक्षा प्रणाली भी रूस से ही आई हैं।
पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से जे-35 पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान खरीदा है। इससे भारत चिंतित है और वह रूस से सु-57 जैसा आधुनिक लड़ाकू विमान और बेहतर एस-500 रक्षा प्रणाली खरीदना चाहता है। यही वजह है, कि इस दौरे में बड़े रक्षा सौदों की उम्मीद है।
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दुनिया को संदेश देना-
पुतिन के लिए यह यात्रा एक राजनीतिक बयान भी है। क्रेमलिन यह दिखाना चाहता है, कि यूक्रेन युद्ध के बावजूद रूस अंतरराष्ट्रीय मंच पर अकेला नहीं है। भारत और चीन जैसी महाशक्तियां उसके साथ खड़ी हैं। मोदी के साथ पुतिन की गर्मजोशी भरी दोस्ती यह साबित करती है, कि पश्चिम रूस को अलग-थलग नहीं कर सका है।
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इसके अलावा, रूस को कुशल कामगारों की भी जरूरत है। श्रमिकों की कमी से जूझ रहे रूस के लिए भारत एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है। मार्च 2025 तक दोनों देशों के बीच व्यापार 68.72 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो 2020 में सिर्फ 8.1 अरब डॉलर था। पुतिन चाहते हैं, कि यह रिश्ता और मजबूत हो।



