Symptoms of Liver Cancer: हमारे शरीर में लिवर का काम सिर्फ खाना पचाने तक सीमित नहीं है। यह हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है, जो खून को साफ करने, जरूरी प्रोटीन बनाने, एनर्जी सेव करने और शरीर से जहरीले पदार्थ निकालने का काम करता है। लेकिन जब लीवर की कोशिकाएं गलत तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो यह लीवर के कैंसर का रूप ले लेती हैं, जो एक गंभीर स्थिति है।
आज के समय में बिज़ी लाइफस्टाइल की वजह से लीवर की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। शराब का ज्यादा सेवन, हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण, फैटी लीवर, मोटापा या खानदानी बीमारी जैसे कारक लीवर के कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं। समय के साथ लीवर का कैंसर शरीर से जहर निकालने की प्रक्रिया को बिगाड़ देता है, जिससे हानिकारक पदार्थ खून में जमा होने लगते हैं।
लीवर कैंसर के प्रकार-
लीवर का कैंसर मुख्यतः दो प्रकार का होता है। पहला है हेपैटोसेल्यूलर कार्सिनोमा, जो सबसे आम किस्म है और लीवर की कोशिकाओं में शुरू होता है। दूसरा है कोलांगियोकार्सिनोमा, जो पित्त नली में पनपता है। दोनों ही प्रकार के कैंसर शरीर के लिए खतरनाक हैं और अगर समय रहते इलाज न मिले तो जानलेवा हो सकते हैं।
सबसे बड़ी समस्या यह है, कि लीवर के कैंसर के शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं या फिर लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जब तक जांच होती है, तब तक बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है। लीवर की काम करने की क्षमता कम होने से दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं और धीरे-धीरे पूरा शरीर कमजोर होने लगता है।
AIIMS के डॉक्टर से जानें शुरुआती लक्षण-
AIIMS के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग की पूर्व निदेशक डॉ. अनन्या गुप्ता बताती हैं, कि लीवर के कैंसर के लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और अक्सर इन्हें दूसरी आम बीमारियां समझ लिया जाता है। इसलिए लोग डॉक्टरी मदद लेने में देरी करते हैं।
सबसे पहले मरीज को लगातार थकान और कमजोरी महसूस होती है। भूख कम लग जाती है और बिना किसी वजह से वजन घटने लगता है। पेट के दाईं तरफ दर्द या भारीपन का एहसास होता है। आंखों और त्वचा का पीला होना, यानी पीलिया के लक्षण नजर आते हैं। बार-बार जी मिचलाना या उल्टी आना भी एक चेतावनी का संकेत है।
जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मरीज के पेट में सूजन आने लगती है और पैरों में भी सूजन हो जाती है। शरीर में कमजोरी और भी बढ़ जाती है। गंभीर हालात में खून बहना या खून की उल्टी भी हो सकती है। ये सभी लक्षण अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए लोग इन्हें टाल देते हैं।
समय पर जांच है जरूरी-
डॉ. गुप्ता के अनुसार, समय पर चिकित्सा जांच बेहद जरूरी है। अगर ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। जांच के तरीकों जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई और जिगर की बायोप्सी से सही निदान हो सकता है। जल्दी पता लगने से इलाज के नतीजे बहुत बेहतर होते हैं और गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में लोग अपनी सेहत को नजरअंदाज करते हैं, लेकिन यह गलत रवैया है। जब भी शरीर कोई संकेत देता है, तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए। जिगर के कैंसर के मामले में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह चुपचाप मारने वाली बीमारी है।
बचाव के आसान तरीके-
थोड़ी सी सावधानी से लीवर के कैंसर से बचा जा सकता है। सबसे पहले शराब और धूम्रपान से पूरी तरह दूर रहना चाहिए। हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाना चाहिए। स्वस्थ आहार लेना और मोटापे से बचना भी जरूरी है।
नियमित व्यायाम करना और जिगर की समय-समय पर जांच कराना भी फायदेमंद है। अगर खानदान में किसी को लीवर की समस्या रही है, तो अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। तली हुई चीजें, डिब्बाबंद खाना और फास्ट फूड से बचकर ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
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लीवर का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन जागरूकता और समय पर कार्रवाई से इससे बचा जा सकता है। शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें और नियमित सेहत की जांच कराते रहें। याद रखें, कि बचाव हमेशा इलाज से बेहतर होता है। अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाकर और सेहत के प्रति सचेत रहकर हम न सिर्फ जिगर के कैंसर बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों से भी बच सकते हैं। आखिर में, अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, क्योंकि स्वस्थ जीवन ही खुशहाल जीवन है।
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