Sadhguru Health Tips: आज के समय में हर कोई स्वस्थ रहना चाहता है। लोग जिम जाते हैं, योग करते हैं और तरह-तरह की डाइट फॉलो करते हैं। लेकिन प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु कहते हैं, कि अच्छी सेहत सिर्फ सही चीजें खाने से नहीं मिलती। असली बात यह है कि हमें पता होना चाहिए कि किन चीजों से बचना है। वे कहते हैं कि हम रोज जो कुछ खाते हैं, उसमें कुछ चीजें ऐसी हैं जो धीरे-धीरे हमारी सेहत खराब कर रही हैं।
सद्गुरु इन चीजों को “सेहत के दुश्मन” कहते हैं। ये वो चीजें हैं, जिन्हें हम बिना सोचे-समझे हर दिन खाते हैं, लेकिन ये हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती रहती हैं। आइए जानते हैं कि वे कौन सी चीजें हैं और क्यों हमें इनसे बचना चाहिए।
सफेद चीनी-
अंग्रेजी वेबसाइट हेल्थ एंड मी के मुताबिक, सद्गुरु के अनुसार, आज हम जो चीनी खाते हैं, वह वैसी बिल्कुल नहीं है, जैसी हमारे पुराने जमाने के लोग खाते थे। पहले लोग गुड़, खजूर, या गन्ने का रस इस्तेमाल करते थे, जो प्राकृतिक था। लेकिन आज की सफेद चीनी बहुत ज्यादा प्रोसेसिंग के बाद बनती है। इस प्रक्रिया में इसके सारे विटामिन और मिनरल निकल जाते हैं, सिर्फ खाली कैलोरी बच जाती है।
जब हम ज्यादा चीनी खाते हैं, तो इससे मोटापा, डायबिटीज, और दिल की बीमारियां होती हैं। सद्गुरु बताते हैं, कि चीनी सिर्फ वजन बढ़ाती ही नहीं है, बल्कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर कर देती है। इसकी जगह गुड़, शहद या फल का इस्तेमाल करना बेहतर होता है।
हालांकि डॉक्टर पलानियप्पन, जो यूट्यूब पर डॉक्टर पाल के नाम से जाने जाते हैं, कहते हैं, कि गुड़ और चीनी में उतना ज्यादा फर्क नहीं है। उनके अनुसार दो चम्मच चीनी में 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है, जबकि दो चम्मच गुड़ में 6 ग्राम। अगर आप दिन भर में 200 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेते हैं तो यह फर्क ज्यादा मायने नहीं रखता। फिर भी वे मानते हैं कि गुड़ से ब्लड शुगर कम बढ़ता है।
दूध-
दूध को अक्सर एक संपूर्ण आहार माना जाता है, लेकिन सद्गुरु कहते हैं, कि ज्यादातर वयस्क इसे सही तरीके से पचा नहीं पाते। कई लोगों के शरीर में वे एंजाइम नहीं होते, जो दूध में मौजूद लैक्टोज को तोड़ सकें। इससे पेट में गैस, कफ की समस्या, और सुस्ती हो सकती है। हालांकि दूध में कैल्शियम होता है, लेकिन सद्गुरु सुझाते हैं, कि हरी पत्तेदार सब्जियां, तिल, रागी और मेवे से भी कैल्शियम मिल सकता है। जो लोग दूध आसानी से पचा सकते हैं, वे थोड़ा-बहुत ले सकते हैं, लेकिन रोज दूध पीना जरूरी नहीं है।
फिजिशियन्स कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन का हवाला देकर बताया गया है, कि हार्वर्ड के एक अध्ययन में 72,000 महिलाओं को 20 साल तक देखा गया। इसमें पाया गया, कि दूध पीने से हड्डियों का टूटना या ऑस्टियोपोरोसिस नहीं रुकता। दुनिया की 65% आबादी लैक्टोज इंटॉलरेंट है, जिसमें एशिया के ज्यादातर लोग शामिल हैं।
मैदा और सफेद चावल-
आजकल अनाज को साफ करने की जो प्रक्रिया होती है, उसमें अनाज के बाहरी हिस्से और अंकुर वाला भाग निकाल दिया जाता है। बस अंदर का स्टार्च वाला हिस्सा बच जाता है। ऐसा करने से अनाज ज्यादा दिन तक खराब नहीं होता, लेकिन इसमें मौजूद फाइबर, विटामिन और मिनरल खत्म हो जाते हैं।
सफेद चावल और मैदा जैसी चीजों से शरीर को कोई खास पोषण नहीं मिलता, बल्कि इससे ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है। सद्गुरु सुझाते हैं कि ब्राउन राइस, मिलेट, और दलिया जैसे साबुत अनाज खाने चाहिए। इससे पाचन अच्छा होता है, एनर्जी लंबे समय तक बनी रहती है, और आंत की सेहत भी अच्छी रहती है।
चाय और कॉफी-
बहुत से लोगों के लिए सुबह चाय या कॉफी के बिना दिन शुरू ही नहीं होता। लेकिन सद्गुरु कहते हैं, कि इनका ज्यादा सेवन ठीक नहीं है। ये पेय पदार्थ दिमाग को तुरंत एनर्जी देते हैं, लेकिन बाद में शरीर और भी ज्यादा थक जाता है। जब हम रोज चाय-कॉफी पीते हैं तो इसकी लत लग जाती है। इससे नींद की समस्या हो सकती है और तनाव भी बढ़ सकता है। सद्गुरु सुझाते हैं कि धीरे-धीरे इनकी मात्रा कम करें और इसकी जगह हर्बल टी, ताजे फलों का जूस या सिर्फ पानी पिएं। इससे शरीर में प्राकृतिक एनर्जी बनी रहेगी।
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प्राकृतिक विकल्प अपनाएं-
सद्गुरु का मानना है, कि स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने खान-पान में बदलाव लाना होगा। चीनी की जगह गुड़ और शहद का इस्तेमाल करें। दूध की जगह बादाम, तिल और हरी सब्जियों से कैल्शियम लें। मैदे की जगह साबुत अनाज चुनें। चाय-कॉफी की जगह हर्बल टी या सादा पानी पिएं। यह बदलाव एक दिन में नहीं हो सकता। धीरे-धीरे इन चीजों को कम करके प्राकृतिक विकल्प अपनाने होंगे। शुरुआत में थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन कुछ दिनों बाद शरीर को इसकी आदत हो जाएगी।
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