Shubhanshu Shukla: भारत के लिए यह एक गर्व का क्षण है। 41 साल के लंबे इंतजार के बाद, भारत का एक और बेटा अंतरिक्ष की यात्रा पर निकलने जा रहा है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कल 11 जून को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर अपना ऐतिहासिक सफर शुरू करेंगे। मौसम की खराब स्थिति के कारण मिशन को एक दिन आगे बढ़ाया गया है, लेकिन यह देरी भारत के अंतरिक्ष सपनों को और भी मजबूत बनाती है।
Shubhanshu Shukla कौन हैं शुभांशु शुक्ला-
लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज के पूर्व छात्र शुभांशु शुक्ला आज भारत के लिए गर्व का विषय बने हुए हैं। 2006 में भारतीय वायु सेना में कमीशन पाने वाले शुक्ला को प्यार से "गुंजन" के नाम से भी जाना जाता है। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे शुभांशु अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने सशस्त्र बलों में करियर बनाया है।
फाइटर पायलट के रूप में शुक्ला का करियर शानदार रहा है। उन्होंने 2000 से अधिक उड़ान घंटे पूरे किए हैं और 16 साल से अधिक की सेवा दी है। Su-30MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर और हॉक जैसे विभिन्न एयरक्राफ्ट उड़ाने का अनुभव रखने वाले शुभांशु एक योग्य फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट भी हैं।
Representing India, meet #Ax4 Mission Pilot Shubhanshu Shukla. @isro pic.twitter.com/3NkwIP3ER7
— Axiom Space (@Axiom_Space) June 8, 2025
Shubhanshu Shukla Axiom-4 मिशन-
Axiom-4 मिशन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का चौथा प्राइवेट एस्ट्रोनॉट मिशन है। यह मिशन NASA के केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए Falcon 9 रॉकेट की मदद से लॉन्च होगा। इस मिशन की कमांडर हैं, पूर्व NASA एस्ट्रोनॉट पेगी व्हिटसन, जो अब Axiom Space के साथ काम कर रही हैं।
इस अंतर्राष्ट्रीय टीम में पोलैंड के स्लावोज़ उज़नान्स्की (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से) और हंगरी के तिबोर कापू भी मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल हैं। शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट की अहम जिम्मेदारी संभालेंगे - एक ऐसी भूमिका जिसमें बेहद सटीकता और कुशलता की जरूरत होती है।
गागनयान से ISS तक-
ISRO के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम (HSP) के तहत चुने गए शुभांशु शुक्ला आने वाले गागनयान मिशन के लिए भी एक प्रमुख उम्मीदवार हैं। पिछले आठ महीनों से वे NASA और Axiom Space के साथ गहन प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह कोई आसान काम नहीं था - दिन-रात की मेहनत, अंतरिक्ष की चुनौतियों के लिए तैयारी और विभिन्न तकनीकी पहलुओं की समझ विकसित करना।
भारत ने इस मिशन के लिए 60 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जो दर्शाता है कि देश अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर कितना गंभीर है। यह प्राइवेट कमर्शियल मिशन भारत के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है।
राकेश शर्मा के बाद का इंतजार खत्म-
1984 में राकेश शर्मा ने जब सोवियत सोयुज़ स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष की यात्रा की थी, तब से भारत इस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा था। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन 41 साल के लंबे अंतराल को समाप्त करता है। वे पहले भारतीय होंगे जो International Space Station पर जाएंगे।
यह केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। शुभांशु की यह यात्रा भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और तकनीकी प्रगति का प्रतीक है।
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नए सपनों की शुरुआत-
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल गागनयान मिशन की तैयारी में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में भारत के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी रास्ता बनाएगा। इस मिशन से मिलने वाला अनुभव और तकनीकी ज्ञान भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को और भी मजबूत बनेगा।
आज जब शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की ओर रवाना होंगे, तो पूरा भारत उनके साथ होगा। उनके इस ऐतिहासिक सफर से भारत के युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और वे भी अंतरिक्ष के सपने देखने के लिए प्रेरित होंगे। यह सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष सपनों की एक नई शुरुआत है।
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