World Happiness Report 2025
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    World Happiness Report 2025: विश्व हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 में दुनिया के सबसे दुखी देशों की सूची जारी कर दी गई है। यह रिपोर्ट विभिन्न कारकों जैसे सामाजिक समर्थन, आय, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणाओं के आधार पर तैयार की जाती है। आइए जानते हैं कि कौन से देश इस बार दुनिया के सबसे दुखी देशों की सूची में शामिल हुए हैं और भारत का स्थान कहां है।

    World Happiness Report 2025 अफगानिस्तान-

    147 देशों की सूची में अफगानिस्तान सबसे आखिरी स्थान पर है। तालिबान के शासन में यह देश युद्ध, आर्थिक पतन और अधिकारों पर प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों पर लगातार होने वाले हमले ने इस देश को खुशियों के पैमाने पर सबसे नीचे पहुंचा दिया है। लोगों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, और हर दिन जीवित रहने के संघर्ष ने इस देश को सबसे दुखी देश बना दिया है।

    World Happiness Report 2025 सियरा लियोन-

    सूची में 146वें स्थान पर सियरा लियोन है, जो अभी भी अपने गृहयुद्ध के घावों से उबर नहीं पाया है। गरीबी, राजनीतिक अस्थिरता और बुनियादी सेवाओं तक सीमित पहुंच ने इस देश के लोगों के जीवन को बेहद कठिन बना दिया है। लगातार आर्थिक संकट और विकास की धीमी गति ने भी देश के हैप्पीनेस स्कोर को प्रभावित किया है।

    World Happiness Report 2025 लेबनान-

    145वें स्थान पर लेबनान है, जिसे कभी मध्य पूर्व का पेरिस कहा जाता था। आज यह देश आर्थिक संकटों, राजनीतिक भ्रष्टाचार और सामाजिक अशांति से जूझ रहा है। बैंकिंग सेक्टर का पतन, मुद्रा का अवमूल्यन और बढ़ती बेरोजगारी ने लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। कई लोग बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

    World Happiness Report 2025 लेसोथो-

    दक्षिणी अफ्रीका में स्थित लेसोथो 144वें स्थान पर है। यह देश आर्थिक कठिनाइयों और स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें एचआईवी का उच्च प्रसार भी शामिल है। रोजगार के अवसरों की कमी और आर्थिक विकास की धीमी गति ने यहां के लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है।

    जिम्बाब्वे-

    143वें स्थान पर खूबसूरत प्राकृतिक नजारों वाला जिम्बाब्वे है, जो आर्थिक अस्थिरता, मुद्रास्फीति और शासन संबंधी मुद्दों से प्रभावित है। इन सभी कारकों ने निवासियों को गहरे संकट में डाल दिया है। एक समय में अफ्रीका के अनाज के भंडार के रूप में जाना जाने वाला यह देश आज आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है।

    डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो-

    142वें स्थान पर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो है, जिसे चल रहे संघर्ष, गरीबी और अस्थिरता ने बुरी तरह प्रभावित किया है। प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, यह देश राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के चक्र में फंसा हुआ है, जिससे इसके नागरिकों का जीवन अत्यधिक कठिन हो गया है।

    मलावी-

    दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक, मलावी 141वें स्थान पर है। यह देश चरम गरीबी, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक सीमित पहुंच से जूझ रहा है। कृषि पर निर्भरता और औद्योगिक विकास की कमी ने इस देश के आर्थिक विकास को प्रभावित किया है।

    कोमोरोस-

    हिंद महासागर में स्थित इस छोटे से द्वीप राष्ट्र कोमोरोस को 139वां स्थान मिला है। राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक अल्पविकास और सीमित प्राकृतिक संसाधनों ने इस देश के विकास में बाधा डाली है। पर्यटन क्षेत्र के विकास की संभावनाओं के बावजूद, आर्थिक चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।

    तंजानिया-

    प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों से समृद्ध होने के बावजूद, 138वें स्थान पर तंजानिया है, जो व्यापक गरीबी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुंच और अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहा है। सेरेंगेटी और किलिमंजारो जैसे आकर्षणों के बावजूद, आर्थिक विषमता और गरीबी ने यहां के लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया है।

    भारत का स्थान कहां है?

    विश्व हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 में भारत 147 देशों में से 118वें स्थान पर है। यह 2024 की रिपोर्ट में भारत के 126वें स्थान से एक सुधार दर्शाता है। हालांकि, भारत अभी भी नेपाल (92वां), पाकिस्तान (109वां), चीन (68वां), यूक्रेन (111वां) और फिलिस्तीन (99वां) से पीछे है।

    भारत के रैंकिंग में सुधार आर्थिक विकास, सामाजिक कार्यक्रमों और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों का संकेत हो सकता है। लेकिन, अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और बेहतर जीवन स्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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    हैप्पीनेस स्कोर का महत्व-

    विश्व हैप्पीनेस रिपोर्ट सिर्फ एक सूची नहीं है, बल्कि यह देशों को अपने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि आर्थिक विकास के अलावा, सामाजिक समर्थन, स्वतंत्रता, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार की कमी जैसे कारक लोगों के खुशहाल जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर देश को अपने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सिर्फ आर्थिक विकास पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक कल्याण पर भी ध्यान देना चाहिए। तभी सच्चे अर्थों में खुशहाली आएगी।

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