Artificial Sun
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    Artificial Sun: धूप हमारे लिए उतनी ही जरूरी होती है, जितना की पानी हमारे लिए जरूरी है। अगर ब्रह्मांड से सूरज गायब हो जाएगा तो धरती बिल्कुल बर्फ की तरह सफेद ठंडी पड़ जाएगी। धरती पर रहने वाले हर प्राणी के लिए सूरज की किरणें काफी जरूरी होती है। अगर ठंड पड़ रही है और सूरज की किरणें राहत का एहसास कराती है। पेड़ पौधे से लेकर पक्षी, इंसानों तक ज्यादा दिन तक बिना धूप के नहीं रह सकते। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर सूरज के दर्शन बहुत कम ही होते हैं। दरअसल इटालियन स्वीट सीमा पर एक घाटी में बसवा एक छोटा सा गांव है, जो एक अजीब समस्या का सामना कर रहा है।

    3 महीने यह गांव अंधेरे में डूबा-

    यह दुनिया का ऐसा जगह है जहां सूरज तो उगता है लेकिन इसकी रोशनी यहां तक नहीं पहुंच पाती है। यह शहर पहाड़ों से घिरा हुआ है और हर साल नवंबर से फरवरी तक 3 महीने यह गांव अंधेरे में ही डूबा रहता है। यहां की आबादी भी बहुत कम है और यह नगर एक तरफ घाटी तो दूसरी तरफ पहाड़ से घिरा हुआ है। ठंड के महीने में यहां पर सूरज की रोशनी ना पहुंचने की वजह से पूरे गांव में अंधेरा सन्नाटा छाया जाता है। यह गांव के लिए एक बड़ी समस्या थी। लेकिन गांव वालों ने एक बड़ा जुगाड़ खोज निकाला। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए उन्होंने धरती पर ही सूरज को उतार दिया। दरअसल गांव वालों ने धूप की व्यवस्था करने के लिए एक अलग ही सूरज का इंतजाम कर लिया।

    एक विशाल मिरर-

    एनडीटीवी के मुताबिक, साल 1999 में एक स्थानीय आर्किटेक्चर बेंजामिन ने चर्च की दीवार पर एक घड़ी लगाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इस सुझाव को खारिज कर दिया गया। धूप घड़ी की वजह से मेयर ने उस वक्त आर्किटेक्चर को कुछ ऐसा बनाने के लिए कहा था, जिससे कि गांव में पूरे साल धूप पड़ती रहे। धूप के लिए आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने मिलकर 8 मीटर चौड़ा और 5 मीटर लंबाई का एक विशाल मिरर तैयार किया। जिसे लगभग 1 करोड रुपए की लागत से बनाया गया था। साल 2006 के दिसंबर में प्रोजेक्ट का काम पूरा हो गया। इसके बाद मिरर में एक खास सॉफ्टवेयर प्रोग्राम भी लगाया गया था।

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    6 घंटे तक सूरज की रोशनी

    इस सॉफ्टवेयर की वजह से यह मिरर सूरज के समय के हिसाब से घूम जाता है और इसी तरह से इस बड़े से मिरर से गांव में एक दिन में 6 घंटे तक सूरज की रोशनी रहती है। इस तरह से 6 घंटे तक गांव को रोशनी मिलती रहती है। यह आर्टिफिशियल रोशनी प्राकृतिक धूप के बराबर और इतनी शक्तिशाली नहीं है। वहीं गर्मी के मौसम में अगर ऐसी व्यवस्था रहेगी तो विशाल मिनट की वजह से गांव में तेज धूप पड़ेगी। इसीलिए गर्मी के सीजन में मिरर को ढक दिया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि परियोजना जिससे ना सिर्फ व्यावहारिक लाभ हुआ, बल्कि अंतरराष्ट्रीय तौर पर भी इसने लोगों को काफी अट्रैक्ट किया था।

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