Sleeping Prince
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    Sleeping Prince: सऊदी अरब के शाही परिवार में शनिवार को गहरा शोक छा गया, जब शहजादे अलवलीद बिन खालद बिन तलाल का 36 साल की उम्र में निधन हो गया। जिन्हें “द स्लीपिंग प्रिंस” यानी “सोते हुए शहजादे” के नाम से जाना जाता था, उन्होंने लगभग 20 साल तक बेहोशी की हालत में जिंदगी की जंग लड़ी। 2005 में लंदन में हुई, एक कार दुर्घटना के बाद से वे कभी होश में नहीं आए और रियाद में लगातार डॉक्टरी देखभाल में रहे।

    आज उनकी अंतिम विदाई होगी। पुरुषों के लिए नमाज-ए-जनाजा रियाद की इमाम तुर्की बिन अब्दुल्लाह मस्जिद में अस्र की नमाज के बाद होगी, जबकि महिलाओं के लिए किंग फैसल अस्पताल में जुहर की नमाज के बाद दुआ का आयोजन किया जाएगा।

    एक होनहार युवा की दुखद कहानी-

    18 अप्रैल 1990 को जन्मे शहजादे अलवलीद बिन खालद बिन तलाल सऊदी शाही खानदान के एक प्रमुख सदस्य प्रिंस खालद बिन तलाल अल सऊद के सबसे बड़े बेटे थे। वे अरबपति प्रिंस अलवलीद बिन तलाल के भतीजे और आधुनिक सऊदी अरब के संस्थापक बादशाह अब्दुल अजीज के परपोते भी थे। वर्तमान बादशाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद उनके परदादा के भाई थे। 2005 में जब अलवलीद मात्र 15 साल के थे, वे लंदन के एक फौजी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। तभी एक गंभीर कार हादसे ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। इस दुर्घटना में उनके दिमाग में गहरी चोट लगी, खून बहने और अंदरूनी नुकसान की वजह से वे पूरी तरह से बेहोश हो गए।

    परिवार का अटूट विश्वास और संघर्ष-

    दुर्घटना के तुरंत बाद शहजादे अलवलीद को रियाद के किंग अब्दुल अजीज चिकित्सा केंद्र ले जाया गया, जहां उन्हें सांस लेने की मशीन और नली के जरिए खाना देने वाली व्यवस्था पर रखा गया। उनके परिवार ने दुनिया भर के डॉक्टरों से सलाह ली, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वे कभी होश में नहीं आए। 2015 में डॉक्टरों ने परिवार को जीवन रक्षक उपकरण बंद करने की सलाह दी थी, लेकिन उनके पिता प्रिंस खालद ने इससे साफ इंकार कर दिया। उनका कहना था, कि जिंदगी और मौत सिर्फ अल्लाह के हाथ में है और वे अपने बेटे के ठीक होने पर पूरा भरोसा रखते हैं।

    2019 में कुछ समय के लिए उम्मीद की किरण दिखी, जब शहजादे ने अंगुलियों को हिलाना और सिर घुमाने जैसी छोटी हरकतें दिखाईं। परिवार को लगा, कि शायद वे ठीक हो रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।

    एक पिता की अटूट आस्था की मिसाल-

    पूरे 20 साल तक प्रिंस खालद बिन तलाल ने अपने बेटे पर से उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने हमेशा कहा, कि जान और मौत केवल खुदा के हाथ में है। इस दौरान शहजादे अलवलीद रियाद में लगातार डॉक्टरी देखभाल में रहे। उनके परिवार ने कभी भी हार नहीं मानी और हर संभव इलाज की कोशिश की। यह कहानी एक परिवार के प्यार, विश्वास और हिम्मत की अनूठी मिसाल है। जब पूरी दुनिया ने उम्मीद छोड़ दी थी, तब भी एक पिता ने अपने बेटे का साथ नहीं छोड़ा। शहजादे अलवलीद की मृत्यु से न केवल सऊदी शाही परिवार, बल्कि पूरी दुनिया में यह संदेश गया है, कि माता-पिता का प्यार किसी भी हालात में कम नहीं होता।

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    शाही परिवार और देश के लिए दुख की घड़ी-

    “सोते हुए शहजादे” के नाम से मशहूर हो चुके शहजादे अलवलीद बिन खालद बिन तलाल का निधन पूरे सऊदी अरब के लिए दुख की बात है। उनकी कहानी चिकित्सा विज्ञान की सीमाओं और एक परिवार के बेशर्त प्यार दोनों को दर्शाती है। आज जब उनका अंतिम संस्कार हो रहा है, तो पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा है। बीस साल तक अपने बेटे के लिए लड़ने वाले प्रिंस खालद बिन तलाल की मिसाल हमें सिखाती है, कि सच्चा प्यार कभी हार नहीं मानता। शहजादे अलवलीद की याद हमेशा एक ऐसे युवा की होगी, जिसने अपनी बेहोशी की हालत में भी पूरी दुनिया को एक पिता के प्यार की ताकत दिखाई।

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