Russia-China Military Exercise: रशियन प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा इस साल की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक रही। राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य बैंक्वेट से लेकर द्विपक्षीय बैठकों तक, यह दो दिवसीय दौरा कई मायनों में खास रहा। लेकिन इस यात्रा का समय भी उतना ही महत्वपूर्ण है। एक तरफ जहां भारत-अमेरिका के रिश्ते पिछले दो दशकों के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं, वहीं वॉशिंगटन ने भारतीय सामानों पर 50 फीसदी तक का टैरिफ लगा दिया है। रूसी क्रूड ऑयल खरीदने पर भी 25 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है।
रूस और चीन का तीसरा संयुक्त एंटी-मिसाइल अभ्यास-
इसी बीच, दिसंबर की शुरुआत में रूस और चीन ने रूसी धरती पर अपना तीसरा संयुक्त एंटी-मिसाइल अभ्यास किया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस एक्सरसाइज में दोनों देशों के युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल थीं। जापान सागर से दागी गई दुश्मन मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता का परीक्षण किया गया। साथ ही, दुश्मन के महत्वपूर्ण मिसाइल ठिकानों को नष्ट करने का अभ्यास भी हुआ।
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— NSTRIKE (@NSTRIKE1231) December 7, 2025
Russia and China are conducting joint missile exercises — according to Reuters, the third round of joint missile drills took place in early December on Russian territory.
🔸 China’s Ministry of Defense emphasized that the exercises were not directed against any… pic.twitter.com/wrBzwTc13l
यह एक्सरसाइज रूस-चीन के डिफेंस संबंधों में एक नया चैप्टर दर्शाती है। खास बात यह है, कि यह अभ्यास पुतिन की भारत यात्रा के दौरान ही आयोजित किया गया। भारत और चीन के बीच लंबे समय से चली आ रही, तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए, रूस की यह पहल पावर बैलेंस बनाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
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क्या है भारत के लिए चिंता का विषय?
अंग्रज़ी समाचार वेबसाइट इंडिया डॉट कॉम के मुताबिक, चीन के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है, कि ये एक्सरसाइज किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं थीं। हालांकि, 2022 में यूक्रेन पर हमले से पहले रूस और चीन ने “नो लिमिट्स” स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास का वादा शामिल था।
रूस-चीन के बढ़ते डिफेंस सहयोग से भारत के लिए चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। 1962 के युद्ध के बाद से भारत-चीन सीमा विवाद जारी है और बॉर्डर झड़पें होती रहती हैं। हालांकि, रूस का कहना है, कि चीन के साथ उसकी साझेदारी भारत से उसके रिश्तों को प्रभावित नहीं करती।
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