Qatar
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    Qatar: भारत सरकार कतर में कैद 8 भारतीयों की वापसी के लिए हरकत में आ गई है। कतर में 8 भारतीयों की फांसी को रोकने के लिए मोदी सरकार बहुत से विकल्पों पर विचार कर रही है। विदेश मंत्री जयशंकर ने आठ भारतीयों के परिवारों से मुलाकात की उन्होंने कहा कि सरकार हर जरूरी प्रयास कर रही है। कतर विवाद के बीच कहा जा रहा है कि अब सऊदी मॉडल भारतीयों की फांसी को रोकेगा। आखिर कौन सा सऊदी मॉडल है जो कतर में 8 भारतीयों को फांसी रोक सकता है? आईए जानते हैं-

    दो भारतीयों का अपहरण-

    दरअसल 18 दिसंबर को राष्ट्रीय को कतर का राष्ट्रीय दिवस है। इस दिन कतर सरकार कई कैदियों को रिहा करती है, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है। क्योंकि 1990 के दशक में इराक ने दो भारतीयों का अपहरण कर लिया गया था। भारत सरकार की कोशिशें का ही असर था, कि कतर की अदालत के प्रमुख ने हस्तक्षेप कर दोनों भारतियों को रिहा कराया।

    पारदर्शिता का अभाव-

    दरअसल कतर की अदालत में भारत के आठ पूर्व नौ सैनिकों को जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि जिस तरह से कतर में उनकी गिरफ्तारी की है उसे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव नजर आता है। 8 पूर्वी नेवी अधिकारियों के परिवार का कहना है कि उन्हें कतर की न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है, उन्होंने प्रधानमंत्री के दखल की मांग की है।

    तालिबान और हमास-

    हमेशा से ही कतर भारत के आंतरिक मामलों में गिद्ध की नजर रखते हुए आ रहा है। तालिबान और हमास जैसे संगठनों की पनाहगाह है। यह देश मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया में अपना प्रभुत्व जमाए रखने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाता है। कतर की इन सभी खुराफातों की बात को उजागर करने का यही सही समय है।

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    इजरायल गाजा युद्ध में कतर की भूमिका-

    इजरायल गाजा युद्ध में कतर की भूमिका पर दुनिया पहले ही सवाल खड़े कर चुकी है। अब इस मामले में भारत को भी मौका मिल गया है। कतर चाहता है कि भारत ऐसे बैक फुट पर आए, जैसे कि नूपुर शर्मा के मामले में आए थे। लेकिन इस बार उनका दांव पलटति हुआ दिख रहा है। जासूसी के मन माने आरोप और मौत का फैसला सुना कर कतर ने जिस तरह भारतीय नौसेना के अधिकारियों को अपनी कैद में रखा है। वह फिरौती की खातिर अपहरण करने की वारदात से ज्यादा कुछ नहीं है।

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