China Buying Garbage
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    China Buying Garbage: सुनने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह सच है। चीन की सरकार ने हाल ही में घोषणा की है, कि उनके शहरों में कचरा खत्म हो गया है और इसीलिए वह दूसरे शहरों से और यहां तक, कि दूसरे देशों से भी कचरा खरीदेंगे। जी हां, आपने सही पढ़ा है, कचरा खरीदेंगे। जहां भारत जैसे देश कचरे के ढेर से परेशान हैं, वहीं चीन साफ-सफाई से इतना आगे निकल गया है, कि उन्हें कचरे की कमी महसूस हो रही है।

    पहली बार सुनने में यह बात बकवास लग सकती है, लेकिन इसके पीछे एक बेहतरीन वैज्ञानिक कारण है। चीन ने पिछले 5 सालों में अपने कचरा से ऊर्जा बनाने वाले कारखानों को हर साल 26% की दर से बढ़ाया है। तुलना के लिए बता दें, कि बाकी देश केवल 4% की दर से इस तकनीक को बढ़ा पाए हैं। यही कारण है, कि चीन आज कचरे के मामले में एक अलग ही स्तर पर खेल रहा है।

    कचरे से ऊर्जा का कारखाना-

    चीन के शंघाई में स्थित कचरा से बिजली बनाने वाला कारखाना रोजाना 5000 टन कचरे को साफ करता है। यह संख्या इतनी बड़ी है, कि एक छोटे शहर का पूरा कचरा इसमें समा जाता है। लेकिन इस कारखाने की कार्यप्रणाली कैसे होती है? यह एक दिलचस्प प्रक्रिया है।

    सबसे पहले शहरों से कचरा इकट्ठा किया जाता है। फिर इस कचरे को भूमिगत बहुत तेज गर्मी पर जलाया जाता है। इस जलने की प्रक्रिया से तेज गति वाली भाप बनती है। इस भाप की शक्ति को चक्की घुमाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बिजली पैदा होती है। यह पूरा तंत्र इतना उन्नत है, कि न केवल कचरा खत्म हो जाता है, बल्कि बहुत सारी बिजली भी बन जाती है।

    कचरा बना नया ईंधन-

    चीनी लोग कचरे को तेल की तरह देख रहे हैं। उनका मानना है, कि कचरा भी तेल के बराबर है। यह सोच बिल्कुल सही है, क्योंकि जैसे तेल से ऊर्जा मिलती है, वैसे ही कचरे से भी ऊर्जा निकाली जा सकती है। इस सोच ने चीन की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाया है और साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा की है।

    अब ये कारखाने कचरे के लिए भूखे हैं। उन्हें कहीं से भी कचरा चाहिए, क्योंकि ज्यादा कचरा मतलब ज्यादा बिजली और ज्यादा बिजली मतलब ज्यादा मुनाफा। इसीलिए चीनी कंपनियां कचरे को ऊंची कीमत पर खरीद रही हैं। बिजली कंपनियां इस पैदा की गई, बिजली को बेचकर अच्छा फायदा कमा रही हैं।

    चीन का कायाकल्प-

    2012-13 तक चीन भी भारत की तरह कचरे से परेशान था। उनके शहर भी कचरे के ढेर से भरे हुए थे और प्रदूषण की समस्या गंभीर थी। लेकिन देखिए, कि कैसे उन्होंने अपना पूरा कायाकल्प किया है। आज चीन न केवल अपना कचरा खत्म कर चुका है, बल्कि दूसरे देशों का कचरा भी मांग रहा है।

    यह बदलाव रातों-रात नहीं हुआ है। चीनी सरकार ने व्यवस्थित योजना के साथ कचरा प्रबंधन को प्राथमिकता दी। उन्होंने तकनीक में पैसा लगाया, कुशल कामगारों को प्रशिक्षण दिया और जनता में जागरूकता भी बढ़ाई। नतीजा यह है, कि आज चीन कचरा प्रबंधन के मामले में दुनिया का नेता बन गया है।

    भारत की स्थिति-

    भारत की बात करें, तो पूरे इतने बड़े देश में सिर्फ 12 से 14 कचरा से ऊर्जा बनाने वाले कारखाने हैं। यह संख्या हमारी जरूरत के हिसाब से बहुत कम है। भारत जैसे देश के लिए जहां हर दिन हजारों टन कचरा पैदा होता है, यह तकनीक सोने की खान साबित हो सकती है। हमारे यहां मुंबई, दिल्ली, बंगलौर जैसे बड़े शहरों में कचरे की समस्या बहुत गंभीर है। अगर हम चीन की तरह इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाएं, तो न केवल हमारे शहर साफ हो जाएंगे, बल्कि बिजली की समस्या भी काफी हद तक हल हो सकती है।

    आर्थिक फायदे-

    चीन का यह मॉडल साबित करता है, कि कचरा सिर्फ समस्या नहीं है, बल्कि एक अवसर भी है। जब चीनी कंपनियां कचरे को ऊंची कीमत पर खरीदने को तैयार हैं, तो इसका मतलब है, कि इसमें बहुत पैसा है। भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका है, कि वह अपने कचरे को चीन को बेचकर पैसा कमा सकता है।

    लेकिन बेहतर यह होगा, कि हम खुद ही इस तकनीक को अपनाकर अपने कचरे से बिजली बनाएं। इससे हमारे यहां रोजगार भी पैदा होंगे और ऊर्जा की जरूरत भी पूरी होगी। दोहरा फायदा मिलेगा।

    पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव-

    इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को होता है। जब कचरा जलाकर बिजली बनाई जाती है, तो वह जमीन में दबकर मिट्टी और पानी को प्रदूषित नहीं करता। साथ ही कोयले और पेट्रोल जैसे प्राकृतिक संसाधनों की बचत भी होती है। चीन के शहरों की हवा पहले से काफी साफ हो गई है। क्योंकि कचरे के ढेर से निकलने वाली जहरीली गैसें अब नहीं बनतीं। यह तकनीक जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद करती है।

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    भारत के लिए नया रास्ता-

    चीन की सफलता की कहानी भारत के लिए प्रेरणा है। अगर हम सही नीति और योजना के साथ आगे बढ़ें, तो हम भी अगले 10 सालों में कचरे की समस्या से निजात पा सकते हैं। सरकार को इस दिशा में तेजी से काम करना चाहिए और निजी कंपनियों को भी इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

    भारत के पास एक बड़ा फायदा यह है, कि हमारे यहां कचरे की कोई कमी नहीं है। अगर हम सही तरीके से इसका इस्तेमाल करें, तो हम न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सकते हैं, बल्कि दूसरे देशों को बिजली भी बेच सकते हैं।

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