Bengaluru Stampede: बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। कर्नाटक हाई कोर्ट को सौंपी गई स्थिति रिपोर्ट में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB), उनके इवेंट मैनेजमेंट पार्टनर डीएनए नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी ने बिना अनुमति के बड़े पैमाने पर जीत का परेड और जश्न का आयोजन किया था।
आखिरी समय पर दी गई जानकारी-
रिपोर्ट के मुताबिक, 3 जून को शाम 6:30 बजे, यानी अहमदाबाद में RCB और पंजाब किंग्स के बीच IPL फाइनल से सिर्फ कुछ घंटे पहले, KSCA ने डीएनए नेटवर्क्स की तरफ से कुब्बन पार्क पुलिस स्टेशन में एक सूचना लेटर जमा किया था। इस लेटर में लिखा था, कि अगर RCB टूर्नामेंट जीतती है, तो चिन्नास्वामी स्टेडियम के आसपास जीत का परेड और स्टेडियम में जश्न का आयोजन किया जाएगा। लेकिन यहां मेन प्रॉब्लम यह थी, कि यह सिर्फ एक सूचना थी, कानून के अनुसार, जरूरी अनुमति की मांग नहीं। यह वैसा ही था, जैसे आप अपने घर में पार्टी करने से पहले पड़ोसियों को बताएं, लेकिन सोसाइटी से अनुमति न लें।
पुलिस ने मना किया था-
अंग्रेज़ी समाचार वेबसाइट द् हिंदू के मुताबिक, पुलिस ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इसकी वजह यह थी, कि अनुमति पत्र में जरूरी जानकारी नहीं थी, जैसे कि कितने लोग आएंगे, इवेंट की व्यवस्था कैसी होगी और भीड़ को कैसे काबू में रखा जाएगा। दूसरी बड़ी वजह यह थी, कि यह प्रस्ताव बहुत कम समय पहले दिया गया था, जिससे सही तरीके से प्रोसेसिंग नहीं हो सकती थी। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है, क्योंकि बड़े इवेंट्स के लिए पुलिस को पहले से तैयारी करनी होती है। सिक्योरिटी व्यवस्था, ट्रैफिक मैनेजमेंट और इमरजेंसी सर्विसेज की व्यवस्था करने में समय लगता है।
4 जून को क्या हुआ था-
इसके बावजूद, 4 जून को RCB ने सुबह 7:01 बजे से शुरू करके कई सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए विधान सौध से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक ‘विजय परेड’ की घोषणा की। दोपहर 3:14 बजे की आखिरी पोस्ट में बताया गया, कि परेड शाम 5 बजे शुरू होगी और उसके बाद स्टेडियम में जश्न होगा। इस पोस्ट में पहली बार यह जिक्र था, कि फ्री पास ऑनलाइन उपलब्ध हैं, लेकिन तब तक बड़ी भीड़ पहले से ही जमा होने लगी थी। इन पोस्ट्स को व्यापक रूप से देखा गया। पहली चार अपडेट्स को क्रमशः 16 लाख, 4.26 लाख, 7.6 लाख, और 17 लाख लोगों ने देखा था।
भीड़ का अनुमान-
BMRCL की रिपोर्ट के अनुसार 4 जून को 9.66 लाख लोगों ने मेट्रो का इस्तेमाल किया, जबकि रोजाना औसतन 6 लाख लोग मेट्रो का उपयोग करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, “पैदल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और प्राइवेट साधनों से आने वाले लोगों को मिलाकर 4 जून को अनुमानित भीड़ 3 लाख लोगों से कहीं ज्यादा थी।” यह एक बहुत बड़ी संख्या है और इसे संभालने के लिए पहले से तैयारी जरूरी थी।
अनुमति की कमी-
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है, कि आयोजकों ने कभी भी लाइसेंसिंग एंड कंट्रोलिंग ऑफ असेंबलीज एंड प्रोसेशन्स (बेंगलुरु सिटी) ऑर्डर, 2009 के तहत निर्धारित फॉर्मेट में पुलिस से अनुमति नहीं मांगी। सिर्फ सूचना देना अनुमति मांगना नहीं होता, खासकर बेंगलुरु के केंद्रीय इलाके में बड़े पब्लिक गैदरिंग के लिए।
जरूरी जानकारी का अभाव-
अधिकारियों का कहना है, कि अनुमति पत्र में मुख्य जानकारियां गायब थीं, जैसे कि कितने लोग हिस्सा लेंगे, कहां जमा होंगे, समय क्या होगा, इवेंट के जिम्मेदार लोगों के नाम और संपर्क जानकारी और ट्रैफिक व भीड़ कंट्रोल की योजना। इस जानकारी की कमी के कारण पुलिस इवेंट के पैमाने का आकलन नहीं कर सकी और पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की योजना नहीं बना सकी।इसके अलावा, पब्लिक को निर्देश देने के लिए कोई साइनेज या लाउडस्पीकर नहीं था, एंट्री गेट्स और बैठने की जगहों पर भीड़ मैनेजमेंट के लिए प्रशिक्षित स्टाफ नहीं था और लाउडस्पीकर के उपयोग या पुलिस बंदोबस्त के लिए पहले से कोई अनुरोध नहीं किया गया था।
Bengaluru Stampede पुलिस की कार्रवाई-
समन्वय या अनुमति के अभाव के बावजूद, बेंगलुरु सिटी पुलिस ने स्थिति को संभालने के लिए कई उपाय किए। 4 जून को सुबह 10 बजे ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस के दफ्तर में एक मीटिंग बुलाई गई, जहां ट्रैफिक और कानून व्यवस्था की योजना तैयार की गई।
ट्रैफिक के लिए 4 DCP, 6 ACP, 23 PI, 57 PSI, 104 ASI और 462 कांस्टेबल तैनात किए गए। RCB टीम के रूट पर HAL एयरपोर्ट से ताज वेस्ट एंड होटल, विधान सौध और अंत में चिन्नास्वामी स्टेडियम तक वाहनों की आवाजाही को रेगुलेट किया गया। प्रेस, सोशल मीडिया और FM रेडियो के जरिए ट्रैफिक एडवाइजरी और मैप जारी किया गया। लोगों को सलाह दी गई, कि वे सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट से बचें और लिमिटेड पार्किंग के कारण नम्मा मेट्रो या दूसरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें।
Bengaluru Stampede सुरक्षा व्यवस्था-
पुलिस ने 9 डायवर्जन प्वाइंट्स बनाए और 125 बैरिकेड्स लगाए, साथ ही एहतियात के तौर पर 11 और बैरिकेडिंग जोन जोड़े गए। स्थानीय स्कूलों से दोपहर तक छुट्टी करने को कहा गया। BMTC ने अपनी सारथी टीमों को तैनात किया और एंबुलेंस मैनेजमेंट के लिए E-Path एप को एक्टिवेट किया गया। इवेंट के दौरान ट्रैफिक मूवमेंट की निगरानी के लिए एक समर्पित कंट्रोल रूम स्थापित किया गया। आठ मुख्य सेक्टर्स की पहचान की गई और भीड़ को रेगुलेट और मैनेज करने के लिए पुलिस कर्मचारियों को तैनात किया गया। यह सब कुछ अचानक और बिना पहले की तैयारी के करना पड़ा।
Bengaluru Stampede आयोजकों की लापरवाही-
रिपोर्ट में निकाला गया है, कि RCB, DNA नेटवर्क्स और KSCA ने मानक प्रक्रियाओं और सुरक्षा उपायों को नज़रअंदाज़ किया, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ और जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ी। समय पर अनुमति प्राप्त करने और अधिकारियों के साथ तालमेल बिठाने में उनकी असफलता ने शहर प्रशासन को ऐसे इवेंट के लिए रिएक्टिव रूप से जवाब देने पर मजबूर कर दिया, जिसने सोशल मीडिया के जरिए पहले से ही गति पकड़ ली थी।
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पुलिस अधिकारियों की निलंबन-
“कानून प्रवर्तन पदानुक्रम में जवाबदेही की आवश्यकता को पहचानते हुए, सरकार ने 5 जून 2025 को पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। एक सरकारी आदेश के तहत पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया, जिसमें तीन महत्वपूर्ण रैंक के IPS अधिकारी शामिल थे। पुलिस कमिश्नर, इंस्पेक्टर जनरल और अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस, साथ ही कुब्बन पार्क के असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस और कुब्बन पार्क के पुलिस इंस्पेक्टर,” रिपोर्ट में कहा गया है।
यह पूरा मामला दिखाता है, कि कैसे सोशल मीडिया की शक्ति और फैन्स के जोश के बीच सही योजना और सुरक्षा व्यवस्था का अभाव जानलेवा हो सकता है। यह सिर्फ एक क्रिकेट टीम की जीत का जश्न था, लेकिन इसकी कीमत 11 लोगों की जान से चुकानी पड़ी।
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